नृत्य बना करियर, फिटनेस और कारोबार का नया मंत्र
कभी स्कूल के वार्षिकोत्सव या मोहल्ले के समारोह तक सीमित रहने वाला नृत्य आज अलीगढ़ की नई पहचान बन चुका है। बदलते समय के साथ नृत्य ने केवल मंचों पर अपनी जगह नहीं बनाई। बल्कि करियर, सेहत और कारोबार के नए रास्ते भी खोल दिए हैं।

शहर में नृत्य के बढ़ते चलन ने सामाजिक सोच को बदला है और युवाओं के लिए नए अवसर गढ़े हैं। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर 'बोले अलीगढ़' के तहत हिन्दुस्तान समाचार पत्र ने कुछ ऐसे ही चेहरों से बातचीत की।
अलीगढ़ में अब नृत्य को सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक सुनियोजित करियर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। कथक, भरतनाट्यम, हिप-हॉप, कंटेम्परेरी, सालसा और फ्यूजन जैसे विभिन्न शैलियों में प्रशिक्षित युवाओं ने नृत्य को अपना पेशा बना लिया है। शहर में करीब 25 से अधिक डांस स्टूडियो सक्रिय हैं। जहां हर उम्र के लोग प्रशिक्षण ले रहे हैं। डांस एकेडमीज़ के संचालकों के अनुसार, बीते पांच वर्षों में प्रोफेशनल डांस कोचिंग लेने वालों की संख्या 40 फीसद से अधिक बढ़ी है। अब नृत्य केवल बच्चों का शौक नहीं रहा। युवा भी प्रतियोगिताओं, इवेंट्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पहचान बनाने के लिए इसे गंभीरता से अपना रहे हैं। शादी समारोहों, कॉर्पोरेट इवेंट्स और सांस्कृतिक महोत्सवों में अब प्रोफेशनल कोरियोग्राफर्स की मांग बढ़ गई है। कोरियोग्राफी पैकेज अब आयोजन के बजट का एक जरूरी हिस्सा बन चुका है।
थिरकते कदमों में सेहत का रहस्य
फिटनेस इंडस्ट्री में नृत्य ने क्रांतिकारी बदलाव लाया है। जिम और फिटनेस स्टूडियो अब वेट ट्रेनिंग और कार्डियो के साथ ज़ुंबा, एरोबिक्स और कार्डियो डांस को भी अपने नियमित कार्यक्रम में शामिल कर रहे हैं। शहर के 15 से ज्यादा फिटनेस स्टूडियो हर सप्ताह ज़ुंबा और डांस-कार्डियो सत्र आयोजित करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एक घंटे के डांस वर्कआउट से औसतन 400 से 600 कैलोरी तक बर्न होती हैं। स्ट्रेस कम करने, फुर्ती बढ़ाने और दिल की सेहत सुधारने के लिए डांस को एक प्रभावी चिकित्सा के रूप में भी अपनाया जा रहा है। डॉक्टरों और फिटनेस विशेषज्ञों के अनुसार, डांस न केवल शरीर को सक्रिय रखता है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर डालता है। महामारी के बाद डांस थैरेपी की मांग और लोकप्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
डांस से बढ़ता कारोबार
नृत्य ने अलीगढ़ में नए-नए कारोबारों को जन्म दिया है। डांस से जुड़े सेक्टरों में निवेश और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं। डांस एकेडमीज़ के अलावा, डांस कॉस्ट्यूम किराए की दुकानें, इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां, म्यूजिक स्टूडियो और सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएशन का भी बाजार बना है। डांस थीम्ड फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का अलग बाजार उभर आया है। शहर के प्रमुख बाजारों जैसे बन्नादेवी, रामघाट रोड और सासनी गेट, महावीरगंज इलाके में डांस परिधान और ऐक्सेसरीज की दुकानों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डांस कॉस्ट्यूम्स के किराए का कारोबार हर शादी और त्योहार सीजन में चरम पर पहुंच जाता है। इवेंट कंपनियां अब डांस प्रोग्राम को अपने पैकेज का हिस्सा बनाकर ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। शादी समारोहों में मेहंदी, संगीत, विदाई और रिसेप्शन के कार्यक्रमों में अलग-अलग थीम पर डांस रिहर्सल कराए जा रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी थिरकन
यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने अलीगढ़ के डांस टैलेंट को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचा दिया है। करीब 50 से ज्यादा युवा नियमित रूप से डांस वीडियो बनाकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर रहे हैं। इनमें से कई डांसर यूट्यूब से हर माह ₹5000 से ₹50000 तक की कमाई कर रहे हैं। स्पॉन्सरशिप डील्स, ब्रांड कोलैबरेशन और ऑनलाइन वर्कशॉप्स ने डिजिटल डांस करियर को नया आयाम दिया है। लोकल डांस क्रिएटर्स का कहना है कि सोशल मीडिया ने प्रतिभाओं को सीमाओं से मुक्त कर दिया है। अब छोटे शहरों के डांसर भी सीधे दर्शकों से जुड़ पा रहे हैं और अपने हुनर से पहचान बना रहे हैं।
शहर में नृत्य संस्कृति का बदलता स्वरूप
-अलीगढ़ के सामाजिक आयोजनों में नृत्य अब एक जरूरी तत्व बन चुका है। चाहे शादी हो या स्कूल फंक्शन, डांस की प्रस्तुतियां हर कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण बन गई हैं।
-स्कूलों ने डांस को पढ़ाई के साथ जोड़कर बच्चों के व्यक्तित्व विकास का जरिया बनाया है। कई स्कूलों ने नियमित डांस क्लासेस और वार्षिक डांस प्रतियोगिताएं शुरू कर दी हैं।
-महिलाएं भी डांस फिटनेस क्लासेज़ के जरिए आत्मविश्वास और स्वास्थ्य दोनों का संतुलन साध रही हैं। वर्किंग वूमेन के बीच जुंबा और बॉलीवुड डांस वर्कआउट खासे लोकप्रिय हो रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएं
नृत्य को लेकर जिस तरह का उत्साह अलीगढ़ में दिख रहा है, उससे स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में यहां से और भी अधिक प्रोफेशनल डांसर्स, कोरियोग्राफर और फिटनेस एक्सपर्ट सामने आएंगे। सरकारी और निजी संस्थाओं के सहयोग से अगर नृत्य प्रशिक्षण और मंचों की संख्या बढ़ती है। तो अलीगढ़ डांस और परफॉर्मिंग आर्ट्स का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। साथ ही डांस टूरिज्म और सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए शहर की अर्थव्यवस्था को भी नया बल मिल सकता है।
कैसे बढ़ी डांस की दीवानगी
सोशल मीडिया प्रभाव
यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक रील्स ने युवाओं को मंच दिया। मोबाइल कैमरे से डांस रिकॉर्ड कर सोशल प्लेटफॉर्म पर डालना आम हो गया है। यह सीधी लोकप्रियता और सराहना मिलने का जरिया बना।
फिटनेस की बढ़ती जागरूकता
डांस वर्कआउट जैसे ज़ुंबा, डांस-कार्डियो ने सेहत के साथ मनोरंजन का बेहतरीन मेल पेश किया। जिम और फिटनेस स्टूडियो ने भी इसे मुख्यधारा में लाकर लोगों को फिटनेस के प्रति आकर्षित किया।
इवेंट इंडस्ट्री का विस्तार
हर छोटे-बड़े समारोह में डांस परफॉर्मेंस अनिवार्य हो गई। शादी, संगीत, मेहंदी से लेकर कॉर्पोरेट इवेंट्स तक हर आयोजन में थीम आधारित डांस इंटीग्रेट हो गया।
प्रोफेशनल करियर के मौके
डांस अब करियर का भी विकल्प बन गया है। डांस टीचर, कोरियोग्राफर, डिजिटल कंटेंट क्रिएटर जैसे विकल्पों ने नए रोजगार के दरवाजे खोले।
शिक्षा संस्थानों में बढ़ावा
स्कूल-कॉलेजों ने डांस को सह-पाठ्यक्रम गतिविधि के रूप में शामिल किया। इससे डांस को सामाजिक स्वीकार्यता मिली और बच्चों में आत्मविश्वास व व्यक्तित्व विकास हुआ।
समाज की सोच में बदलाव
अब डांस को केवल लड़कियों या छोटे बच्चों की गतिविधि नहीं माना जाता। सभी उम्र और वर्ग के लोग इसे खुले दिल से अपना रहे हैं। बड़े भी स्टेज पर थिरकते नजर आ रहे हैं।
बोले लोग
डांस अब बच्चों के साथ-साथ बड़ों का भी जुनून बन गया है। पहले लोग डांस को केवल शौक समझते थे। अब इसे करियर बनाने लगे हैं। अलीगढ़ में फिटनेस क्लासेज में भी डांस का जबरदस्त क्रेज दिख रहा है।
रिषभ शर्मा, फिटनेस ट्रेनर
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पहले डांस केवल स्कूल फंक्शनों तक सीमित था। अब हर कार्यक्रम में डांस की प्रस्तुति जरूरी हो गई है। इंस्टाग्राम रील्स ने युवाओं को डांस के प्रति और ज्यादा उत्साहित कर दिया है।
आस्था शर्मा, कत्थक गुरू
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पिछले तीन सालों में डांस स्टूडियो में नामांकन दोगुना हो गया है। बच्चे ही नहीं, बड़े भी डांस सीखने में रुचि दिखा रहे हैं।
नेहा शर्मा, फिटनेस ट्रेनर
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डांस फिटनेस का एक बेहतरीन जरिया है। मैं सप्ताह में तीन से चार दिन जुंबा क्लास जाती हूं। इससे शरीर फिट रहता है और मानसिक तनाव भी दूर होता है। इसने जिंदगी में नया आत्मविश्वास भरा है।
पूजा
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डांस अब हर इवेंट का अभिन्न हिस्सा है। बिना कोरियोग्राफ डांस के कोई शादी अधूरी लगती है। लोग अब डांस में रिहर्सल पर भी अच्छा खासा खर्च करने लगे हैं।
राधा शर्मा
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बच्चों में डांस के प्रति जो ऊर्जा है, वह अद्भुत है। स्कूलों ने अब डांस को एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी नहीं, बल्कि एक जरूरी स्किल मानना शुरू कर दिया है।
ममता सिंह
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डांस इवेंट्स की बढ़ती संख्या से फोटोग्राफी इंडस्ट्री को भी नया बाजार मिला है। हर कार्यक्रम में डांस शूटिंग की अलग से बुकिंग होती है। डांस ने कई क्षेत्रों को साथ में आगे बढ़ाया है।
शिवानी
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वर्किंग वूमेन के बीच डांस आधारित वर्कआउट बहुत लोकप्रिय हो गया है। ऑफिस के तनाव को दूर करने के लिए डांस थैरेपी से बेहतर कुछ नहीं है। डांस से हम खुद को नए सिरे से तरोताजा महसूस करते हैं।
निशी
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डांस केवल कला नहीं रहा, ये अब एक बड़ा कारोबार भी बन चुका है। डांस अकादमियां, कोरियोग्राफर और इवेंट कंपनियों के जरिए करोड़ों का कारोबार हो रहा है।
शशि चौहान
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सोशल मीडिया ने डांस के प्रति दीवानगी को कई गुना बढ़ा दिया है। अब हम मोबाइल पर भी अपने डांस टैलेंट को दिखा सकते हैं और पहचान बना सकते हैं।
प्रियंका सिंह
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डांस कार्डियो और जुंबा जैसी एक्सरसाइज से लोग जिम में भी ज्यादा टिके रहते हैं। डांस वर्कआउट ने फिटनेस इंडस्ट्री को नई जान दी है।
हेमलता
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डांस से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। स्टेज पर परफॉर्म करने से पब्लिक स्पीकिंग में भी मदद मिली। डांस अब मेरी पढ़ाई के साथ एक बड़ी ताकत बन गया है।
छाया
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रोज एक डांस वीडियो बनाना अब हमारी आदत हो गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने हमें बड़ा मंच दिया है। छोटे शहरों से भी हम राष्ट्रीय स्तर पर चमक सकते हैं।
दीपिका
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डांस अब केवल गर्ल्स का डोमेन नहीं रहा। लड़के भी हिप-हॉप, बी-बॉयिंग जैसी शैलियों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। यह एक बड़ी सोच में बदलाव का संकेत है।
नीरू
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मैंने 55 साल की उम्र में ज़ुंबा शुरू किया। डांस ने मेरी सेहत सुधार दी है। अब हमें उम्र की परवाह नहीं करनी चाहिए, जब तक दिल थिरकने को कहे।
पिंकी
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शादी-ब्याह में अब बिना थीम डांस प्रोग्राम के कार्यक्रम अधूरा माना जाता है। डांस को लेकर लोग अब क्रिएटिविटी और पेशेवर तैयारी पर ध्यान देते हैं।
इंदु सिंह
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वर्कआउट के मुकाबले डांस फिटनेस ज्यादा मजेदार और टिकाऊ है। इसमें लोग बोर नहीं होते। अलीगढ़ में महिलाओं में इसकी जबरदस्त मांग है।
आरती चौहान
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यूट्यूब चैनल पर डांस ट्यूटोरियल्स अपलोड करने से न केवल पहचान मिलती है, बल्कि आय भी होती है। अलीगढ़ के युवाओं के लिए यह सुनहरा मौका है।
निशा जादौन
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नृत्य और संगीत का गहरा संबंध है। नृत्य की लोकप्रियता ने संगीत शिक्षा की मांग भी बढ़ाई है। दोनों कलाएं साथ-साथ आगे बढ़ रही हैं।
नीतू सिन्हा
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डांस इवेंट्स के कारण डांस ड्रेस और एसेसरीज की मांग बहुत बढ़ी है। हर इवेंट के लिए थीम बेस्ड ड्रेसिंग की डिमांड रहती है, जो कारोबार को बढ़ा रही है।
सरिता सिंह
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