जेल में देखी बुराई, अब बाहर सीखेगा अच्छाई का ककहरा; मां-बाप के साथ 5 साल का मासूम भी हुआ रिहा
कानपुर में एक बच्चा मां के साथ जब जेल गया था तो उम्र ढाई वर्ष थी। आयु कम होने के कारण उसे मां के साथ जेल में रहने की अनुमति मिल गई। कुछ और बड़ा हुआ तो जेल के दूसरे बच्चों के साथ पढ़ने जाने लगा। वह दिन भी आया जब मां के साथ उसे खुले आसमान के नीचे अपनी मर्जी से रहने, घूमने और खाने की आजादी मिली।
यूपी के कानपुर से एक अजब मामला सामने आया है। जहां एक बच्चा मां के साथ जब जेल गया था तो उम्र ढाई वर्ष थी। आयु कम होने के कारण उसे मां के साथ जेल में रहने की अनुमति मिल गई। कुछ और बड़ा हुआ तो जेल के दूसरे बच्चों के साथ पढ़ने जाने लगा। इस दौरान भी वह उतना समय ही जेल से बाहर रहता था जितनी देर कक्षा चलती। इसके बाद फिर जेल की बंदिशें तरमीम हो जातीं। तीन साल बाद शनिवार को वह दिन भी आया जब मां के साथ उसे खुले आसमान के नीचे अपनी मर्जी से रहने, घूमने और खाने की आजादी मिली। साढ़े पांच साल के इस मासूम की आंखों में अजीब सी चमक थी।
बच्चे ने कहा, जेल में बुराई देखी है अब बाहर अच्छाई का ककहरा सीखेगा। बालक के माता-पिता को जनवरी 2022 में तीन साल की सजा हो गई थी। शनिवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर दोनों को जुर्माना अदा करने के बाद रिहाई मिल गई। माता-पिता के साथ जेल से बाहर आए इस बालक को भले ही सब कुछ न पता हो लेकिन इतना जरूर मालूम है कि अपराध गंदी बात है। उसने कहा कि जेल में रहना अच्छी बात नहीं है। इसलिए अब वह पढ़ाई करेगा और अच्छा इंसान बनेगा।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर नौ बंदी रिहा हुए
जिला कारागार में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर नौ बंदियों को रिहा किया गया। यह बंदी छोटे-छोटे अपराधों में सजा पूरी कर चुके थे लेकिन जुर्माना अदा न होने से जेल में रहने को मजबूर थे। जेल अधीक्षक डा. बीडी पांडेय ने बताया कि प्रकृति सहयोग फोरम की ओर से 36500 रुपये जमा कराए गए जिसके बाद बंदियों को रिहा कर दिया गया। इनमें एक पति-पत्नी भी शामिल हैं। इस दौरान सैयद नजम एडवोकेट, जेलर अनिल कुमार पाण्डेय, मनीष कुमार, डिप्टी जेलर अरूण कुमार सिंह व रंजीत यादव उपस्थित रहे।