भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को उत्तराखड के फॉरेटस डिविजन ऑडिट में काफी गड़बड़ी मिली है। कैग रिपोर्ट के अनुसार, फॉरेस्ट डिविजन ने प्रतिपूरक वनीकरण (कंपनसेटरी अफोरेस्टेशन) के लिए आवंटित धनराशि का इस्तेमाल दूसरी जगह किया।
Uttarakhand Weather: देहरादून में गुरुवार मौसम सुबह से ही बदला रहा। दिन में हल्की और रात के समय झमाझम बारिश हुई। पर्यटक स्थल धनोल्टी में इस सीजन में तीसरी बार बर्फबारी हुई है। इस दौरान तापमान में तेजी से गिरावट देखने को मिली है।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने वित्त वर्ष 2017-18 और वर्ष 2021-22 के बीच 607 करोड़ रुपये सरकार की इजाजत के बिना खर्च कर डाले। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में इसको लेकर सवाल उठाए गए हैं।
राज्य में औद्योगिक वातावरण विकसित करने के लिए सरकार ने नए स्टार्ट अप को बढ़ावा देगी। करीब 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड नए स्टार्ट स्थापित करने वालों की सहायता करेगा। इसके लिए बजट में 20 करोड़ रुपये का शुरुआती प्रावधान भी कर दिया गया है।
देहरादून में खतरनाक तरीके से वाहन चलाकर न केवल अपनी, बल्कि दूसरों की जान भी खतरे में डालने वाले चालकों के खिलाफ अब परिवहन विभाग कड़ा एक्शन लेगा। सीधे लाइसेंस रद्द करने की तैयारी चल रही है।
उत्तराखंड में नये प्रस्तावित भू कानून में नगर निकाय सीमा से बाहर भी दूसरे राज्य के लोगों के लिए 250 वर्ग मीटर जमीन खरीद के मानक और सख्त कर दिए गए हैं। अब दूसरे राज्य के लोगों को जमीन खरीदने को सब रजिस्ट्रार के समक्ष बाकायदा कानूनी शपथपत्र देकर बताना होगा।
देहरादून में एमबीबीएस छात्र ने पत्नी के साथ मिलकर इंटर कॉलेज के रिटायर प्रिंसिपल की हत्या कर दी है। वारदात के बाद दोनों फरार हैं। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
समान नागरिक संहिता को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है। इस बार लिव इन रजिस्ट्रेशन को लेकर पूछे जाने वाले सवालों पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है। अब इस मामले पर हाई कोर्ट ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।
दुबई से संचालित बोट ब्रो टीएलसी नाम के ऐप के जरिए करोड़ों की ठगी के मामले में ईडी की जांच का दायरा देहरादून तक पहुंच गया है। उत्तराखंड में इस गिरोह के कारोबार का संचालन नवीन नेगी नाम का शख्स कर रहा था। अब ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की है।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि कई लिव-इन रिश्ते सफल विवाह में बदल चुके हैं, और ऐसे में यह प्रावधान जोड़ों के भविष्य और गोपनीयता में दिक्कतें पैदा कर सकता है।