जन्म लेते ही नवजात शिशु की अटक रही सांस
जन्म लेते ही नवजात शिशु की अटक रही सांस

लखीसराय, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। मातृ-शिशु मृत्यु दर में आपेक्षित सुधार के लिए भले भी केंद्र के साथ राज्य सरकार अपने स्तर से स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से लगातार प्रयास कर रहा हो। मगर स्थानीय सदर अस्पताल के लेबर वार्ड एवं अधिकांश निजी नर्सिंग होम में तैनात स्वास्थ्य कर्मी जाने अनजाने प्रशिक्षण के अभाव या फिर अन्य कारण से अपनी लापरवाही व मनमानी के कारण सरकार के इस मिशन के राह में रुकावट डाल रही है। यूं कहे तो स्वास्थ्य कर्मी की लापरवाही के कारण जन्म लेते ही नवजात की सांस अटक रही है। उनकी सांस को नियमित करने के लिए सदर अस्पताल में संचालित एसएनसीयू वार्ड की भूमिका बढ़ रही है।
नियमानुसार निजी नर्सिंग होम के खिलाफ स्वंतत्र रुप से जांच या कार्रवाई कर मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में असफल जिला स्वास्थ्य विभाग व विशेष रूप से सदर अस्पताल प्रबंधन ने लेबर वार्ड से सदर अस्पताल परिसर में संचालित लेबर वार्ड से एसएनसीयू वार्ड में भर्ती होने वाले नवजात का समीक्षा करने का निर्णय लिया है। जिसमें विशेष रूप से ऑन ड्यूटी तैनात स्वास्थ्य कर्मी जिनके ड्यूटी आवर में सबसे अधिक नवजात एसएनसीयू वार्ड में भर्ती हो रहे हैं इसका आंकड़ा लेबर वार्ड इंचार्ज को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। ज्ञात हो जिले के निजी एवं सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाले 0 से 28 दिन उम्र के गंभीर नवजात को पूरे तरीके से मुफ्त एवं बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए एसएनसीयू वार्ड का स्थापना किया गया है। कुछ दिन पूर्व एसएनसीयू एवं सदर अस्पताल में संचालित लेबर वार्ड की समीक्षा रिपोर्ट ने अस्पताल प्रबंधन के साथ जिला स्वास्थ्य समिति को चौंका दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समीक्षा में पाया गया कि जिले की 13 से 14 लाख आबादी वाले निजी एवं सरकारी सहित 300 से अधिक संचालित अस्पताल में से अधिकांश सदर अस्पताल में संचालित लेबर वार्ड से ही जन्म के तत्काल बाद गंभीर स्थिति में नवजात को भर्ती किया जा रहा है। जिसमें अधिकांश नवजात को सांस लेने में परेशानी की बात कही गई है। एसएनसीयू वार्ड के नोडल शिशु रोग विशेषज्ञ डा. विभूषण कुमार, डीएस सह शिशु रोग विशेषज्ञ डा. राकेश कुमार एवं वार्ड में तैनात अधिकांश स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि लेबर वार्ड से औसतन हर दूसरे से तीसरे दिन एक नवजात वार्ड में भर्ती हो रहे हैं। जिसमें अधिकांश को सांस लेने में परेशानी हो रही है। शिशु रोग विशेषज्ञ होने के नाते डीएस डॉ राकेश कुमार ने एसएनसीयू वार्ड में तैनात स्वास्थ्य कर्मी से जब इस बारे में गंभीरता पूर्वक विचार विमर्श किया तो काफी चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। जिसमें जन्म के तत्काल बाद वार्ड में भर्ती होने वाले नवजात की लेबर वार्ड में नियमानुसार उचित देखभाल का अभाव और प्रसव दौरान लापरवाही की बात सामने आई। इसके बाद प्रबंधन ने लेबर वार्ड इंचार्ज से वार्ड में तैनात कर्मी का प्रोफॉमेंस रिपोर्ट मांगने का निर्णय। डीएस डॉ राकेश कुमार ने बताया कि लेबर वार्ड इंचार्ज से मिली परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर सबसे अधिक जिस स्वास्थ्य कर्मी के ड्यूटी आवर में जन्म के तत्काल बाद नवजात को एसएनसीयू वार्ड में रेफर किया गया एवं रेफर होने का कारण का भी समीक्षा किया जाएगा। समीक्षा में लापरवाही को चिह्नित करते हुए संबंधित स्वास्थ्य कर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिसमें तत्काल उन्हें लेबर वार्ड से अन्य वार्ड का रास्ता दिखाया जाएगा।
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