इसरो ने बयान जारी करके कहा, 'ठोस प्रोपेलेंट भारतीय अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों में अहम भूमिका निभाता है और वर्टिकल मिक्सर ठोस मोटर उत्पादन में महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है।'
भारत ने पिछले महीने ऐतिहासिक स्पैडेक्स मिशन से अमेरिका, रूस और चीन की बराबरी कर ली। भारत ने अपना पहला अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया। हाल ही में मिशन से जुड़ी कुछ खबरों पर इसरो ने अब चुप्पी तोड़ी है।
यह जानकारी ऐसे समय सामने आई है जब भारत चंद्रयान-4 मिशन की तैयारी में है। साल 2027 में चंद्रयान-4 लॉन्च होगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह से चट्टानों के नमूने एकत्र कर पृथ्वी पर लाना है।
खगोलविदों ने ब्रह्मांड में ऐसे रहस्य का पता लगाया है जो अंतरिक्ष पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों की सोच बदल देगा। वैज्ञानिकों ने ऐसी ‘महा’ सुरंगों का पता लगाया है, जिसमें अंतरिक्ष के सभी तारे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
स्पैडेक्स मिशन की सफलता ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बराबर कर दिया है। इस सफलता ने भारत के अगले 15 साल के मिशनों की राह भी खोल दी है। 2040 तक के प्लान रेडी हैं।
नारायणन साल 1984 में इसरो से जुड़े थे। अपने लगभग 40 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने भारत के अंतरिक्ष मिशन में अहम योगदान दिया है। नारायणन एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं।
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) प्रोजेक्ट पहले ही 7 और 9 जनवरी को डॉकिंग प्रयोगों के लिए घोषित दो समय सीमा को चूक चुकी है। इसरो ने 30 दिसंबर को स्पेडेक्स मिशन को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था।
ग्रामीणों की ही पहले इस पर नजर पड़ी और उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी। रिंग वाले इलाके को सुरक्षित कर लिया गया और बाकी मलबे को भी जुटाया जा रहा है।
इसरो ने अपने नए मिशन स्पैडेक्स को सफलता पूर्वक लॉन्च कर दिया है। इससे पहले मिशन की लॉन्चिंग तकनीकी कारणों से दो मिनट लेट रखी गई थी। इस मिशन की सफलता अंतरिक्ष में दो उपग्रहों की डॉकिंग और अन-डॉकिंग पर निर्भर है। ऐसा अभी तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन ही कर पाए हैं।
इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि हम जब देश की आजादी की 100वीं सालगिरह मनाएंगे तो भारत का झंडा भी चांद पर लहराएगा। हमारा एक यात्री वहां जाएगा और वहीं पर तिरंगा लहराकर लौटेगा। हमारा यह लक्ष्य वर्ष 2040 के लिए है।' इससे पहले चंद्रयान-4 मिशन पर काम चल रहा है।