SPADEX में बड़ी गड़बड़? भारत के ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन पर ISRO चीफ ने तोड़ी चुप्पी
- भारत ने पिछले महीने ऐतिहासिक स्पैडेक्स मिशन से अमेरिका, रूस और चीन की बराबरी कर ली। भारत ने अपना पहला अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया। हाल ही में मिशन से जुड़ी कुछ खबरों पर इसरो ने अब चुप्पी तोड़ी है।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 16 जनवरी को अंतरिक्ष में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) के तहत अपना पहला अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया था। भारत इस ऐतिहासिक सफलता से अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस तकनीकी मील के पत्थर को हासिल करने वाला विश्व स्तर पर चौथा देश बन गया है। हाल ही में स्पैडेक्स को लेकर तकनीकी समस्याओं से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं। आखिरकार इसरो ने इस पर चुप्पी तोड़ी है।
इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने स्पष्ट किया कि जनवरी में अंतरिक्ष में डॉकिंग के बाद से एक इकाई के रूप में कार्य कर रहे दो उपग्रह – चेज़र और टारगेट – पूरी तरह सुचारू रूप से काम कर रहे हैं। इसरो प्रमुख ने कहा, कोई गड़बड़ी नहीं है, अभी यह डॉक किया हुआ है। हम एक-एक कदम बढ़ा रहे हैं। हम अध्ययन कर रहे हैं और उसके बाद कई प्रयोग करने की योजना बना रहे हैं।
हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि यह मिशन तकनीकी समस्याओं का सामना कर रहा है क्योंकि दोनों अंतरिक्षयान – SDX-01 और SDX-02 – अभी तक अनडॉक (अलग) नहीं हुए हैं।
16 जनवरी को ऐतिहासिक डॉकिंग
इसरो ने 16 जनवरी 2025 को ऐतिहासिक रूप से सफलतापूर्वक स्पेस डॉकिंग पूरी की थी। इस प्रक्रिया में चेज़र और टारगेट उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में उड़ान भरते हुए एक साथ जोड़ा गया था। इसरो ने तब घोषणा की थी कि दोनों उपग्रहों को एकल इकाई के रूप में नियंत्रित करने में सफलता मिली है। 30 दिसंबर 2024 को PSLV C60 रॉकेट से श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इन दोनों उपग्रहों को लॉन्च किया गया था। लॉन्च के बाद इन्हें 475 किमी की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया था।
तकनीकी चुनौतियों के कारण टला था डॉकिंग
इसरो ने शुरुआत में 7 जनवरी को डॉकिंग की योजना बनाई थी, जिसे बाद में 9 जनवरी के लिए पुनर्निर्धारित किया गया। हालांकि, कुछ तकनीकी चुनौतियों के कारण इसे आगे बढ़ाया गया। 11 जनवरी को डॉकिंग का प्रयास किया गया था, लेकिन अंतिम क्षणों में इसे रद्द कर दिया गया था। इसरो पहले भी स्पष्ट कर चुका है कि वह अभी भी अनडॉकिंग प्रक्रिया की समीक्षा कर रहा है और इसे पूरा करने में कुछ समय लग सकता है।
इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा, अभी की स्थिति यह है कि दोनों उपग्रह सफलतापूर्वक डॉक हो चुके हैं और सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष में हैं। अब हम इसके परिणामों का अध्ययन कर रहे हैं। मेरी टीम इसकी समीक्षा कर रही है और हम उचित समय पर सही निर्णय लेंगे। स्पेस डॉकिंग तकनीक भविष्य में अंतरिक्ष में उपग्रहों की सर्विसिंग, ईंधन भरने और बड़े मिशनों के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगी। इसरो इस क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयां छूने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।