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ISRO के स्पैडेक्स मिशन की सफलता ने अगले 15 साल की राह कैसे खोली, 2040 का क्या है प्लान

  • स्पैडेक्स मिशन की सफलता ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बराबर कर दिया है। इस सफलता ने भारत के अगले 15 साल के मिशनों की राह भी खोल दी है। 2040 तक के प्लान रेडी हैं।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 16 Jan 2025 05:02 PM
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भारत ने गुरुवार को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) के तहत अपना पहला अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया और इसके साथ ही वह ऐसी तकनीकी उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। इससे पहले यह उपलब्धि अमेरिका, रूस और चीन ने हासिल की थी। इसरो की इस सफलता पर पीएम नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई दी है। स्पैडेक्स की सफलता ने भारत के अगले 15 साल के मिशनों की राह खोल दी है। 2040 तक के प्लान रेडी हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा , “अंतरिक्ष यान की डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हुई। एक ऐतिहासिक क्षण। भारत अंतरिक्ष डॉकिंग में सफलता हासिल करने वाला चौथा देश बन गया।” स्पैडेक्स मिशन उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में इसरो की बढ़ती विशेषज्ञता को रेखांकित करता है और भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों और अंतरिक्ष स्टेशन सहयोग के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। इसरो के अधिकारियों ने टीम को बधाई देते हुए इस उपलब्धि को भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।

मिशन से अगले 15 साल की राह कैसे खुली

अंतरिक्ष में डॉकिंग और अन डॉकिंग मिशन को सबसे पहले अमेरिका ने 59 साल पहले किया था। उसके अगले साल 1967 को रूस ने इस कारनामे को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। चीन ने 2011 में यह सफलता पाई। चौथे देश के रूप में भारत ने भी इस ग्रुप में अपनी जगह बना ली है। सवाल यह है कि भारत ने स्पैडेक्स मिशन अभी ही क्यों किया? दरअसल, इस मिशन की सक्सेस ने इसरो के लिए अगले 15 साल की राहें खोल दी है। इसरो ने 2040 तक के मिशनों को काम करना शुरू कर दिया है। इसरो 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के अपने लक्ष्य को साकार करने के काम पर लगा हुआ है।

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इसरो के अधिकारियों ने बताया कि यह मिशन चंद्रयान-4, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और गगनयान सहित भारत की भविष्य की अंतरिक्ष पहलों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है। चंद्रयान-4 एक चंद्र मिशन है जिसे उन्नत डॉकिंग तकनीकों का उपयोग करके पृथ्वी पर नमूने वापस लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को 2028 तक लॉन्च करने के लिए निर्धारित एक मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन के रूप में देखा जाता है।

स्पैडेक्स के साथ भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं में एक बड़ी छलांग लगाई है। इस सफलता ने सैंपल रिटर्न, अंतरिक्ष स्टेशन असेंबली और अंतरग्रहीय अन्वेषण से जुड़े जटिल मिशनों के लिए आधार तैयार किया है। यह उपलब्धि एक अग्रणी वैश्विक अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में इसरो की स्थिति को मजबूत करती है।

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