सीपीआई (एम) को अपना नया महासचिव मिल गया है। केरल के अनुभवी नेता एमए बेबी को पार्टी की कमान सौंपी गई है। इसके साथ ही बदलाव की उम्मीदें बढ़ गई हैं। पार्टी ने बुजुर्ग नेताओं को सक्रिय जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है।
वक्फ संशोधन कानून लागू होने के बाद उस पर मंथन के लिए भाकपा ने महागठबंधन दलों की बैठक बुलाने की मांग की है। राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने इसके लिए राजद, कांग्रेस, माकपा और भाकपा माले को पत्र लिखा है। भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि ये कानून पूरी तरह असंवैधानिक है।
केरल के पूर्व मंत्री एमए बेबी को सीपीआई के 24वें अधिवेशन में पार्टी का महासचिव चुना गया है। पार्टी नेताओं के एक वर्ग ने इस पद के लिए ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) के अध्यक्ष अशोक धावले का समर्थन किया था।
भाकपा माले की ओर से आयोजित बदलो बिहार महाजुटान में बिहार में बदलाव का संकल्प लिया गया इस दौरान पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि हमने एकजुट होकर झारखंड में भाजपा को रोका है, अब बिहार भी पीछे नहीं रहेगा।
इसमें विभिन्न जनसंगठनों और आंदोलनकारी ताकतों की हिस्सेदारी होगी। यह एक तरह से बिहार की जनता की सभा होगी, जहां हर समुदाय और तबके के लोग अपनी बात रखेंगे। बिहार के आगामी चुनाव का एजेंडा तय करेंगे।
केरल में सीपीएम और सीपीआई वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) का हिस्सा हैं, जबकि कांग्रेस विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का नेतृत्व कर रही है।
सीपीएम ने राज्यों की ईकाइयों को भेजे गए मसौदे में कहा है कि मोदी सरकार फासीवादी नहीं है। सीपीएम के इस रुख पर कांग्रेस और सीपीआई भड़क गई हैं। कांग्रेस ने सीपीएम और बीजेपी के बीच गुप्त संबंध का आरोप भी लगा दिया है।
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी ने पिछले चुनाव के स्ट्राइक रेट को हथियार बनाया है। कांग्रेस बीते विधानसभा चुनाव में 70 सीट पर लड़कर 19 जीती थी, जबकि माले 19 में 12 सीटें थी। ऐसे में कांग्रेस इस बार 35-40, माले को 30-35 सीट मिल सकती है। वहीं आरजेडी 150 से ज्यादा सीटों पर लड़ने को इच्छुक हैं।
कैमूर जिले में माले नेता की चाकू से हमलाकर हत्या कर दी गई। मृतक 50 वर्षीय उदय उर्फ आजाद राम प्रखंड कमेटी के सदस्य थे। हत्या के विरोध में पार्टी कार्यकर्ता मार्च निकालेंगे।
पूर्णिया सांसद पप्पू यादव समेत कई राजनीतिक दलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। पप्पू यादव के बिहार बंद के आह्वान पर उनके समर्थक और छात्र संगठन बिहार के कई जिलों में सड़कों पर उतर गए थे। ट्रेन रोकने की कोशिश की थी। इसके अलावा कांग्रेस-लेफ्ट के नेता भी प्रदर्शन में शामिल हुए थे।