Top 10 biggest and Ruthless dictators: तानाशाही का इतिहास हमेशा से ही सत्ता, क्रूरता और मानवता के संघर्ष की कहानी रहा है। तानाशाहों ने अपने शासनकाल में अकल्पनीय अत्याचार किए और जनता के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित किया। तानाशाहों का शासन हमेशा मानवाधिकारों के हनन और क्रूरता का प्रतीक रहा है। ये नेता इतिहास के लिए एक चेतावनी हैं कि सत्ता के अंधाधुंध इस्तेमाल से समाज को कैसे बर्बाद किया जा सकता है। यहां हम दुनिया के 10 सबसे बड़े तानाशाहों की बात करेंगे, जिन्होंने इतिहास में अपनी क्रूरता के लिए कुख्याति प्राप्त की।
जर्मनी के नाजी नेता एडॉल्फ हिटलर ने 1933 से 1945 तक शासन किया। हिटलर की नीतियों और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उसकी आक्रामकता के कारण करीब 60 लाख यहूदियों का नरसंहार हुआ। वह अपने राजनीतिक विचारों, जातीय श्रेष्ठता की विचारधारा और विध्वंसकारी नीतियों के लिए कुख्यात है। हिटलर ने 1945 में बर्लिन के बंकर में आत्महत्या कर ली।
जोसेफ स्टालिन ने 1924 से 1953 तक सोवियत संघ पर शासन किया। उसके शासनकाल को "ग्रेट टेरर" के नाम से जाना जाता है, जिसमें करीब 70 लाख लाखों लोगों को मार दिया गया। कई लाख को जेल में डाल दिया गया, या श्रम शिविरों में भेजा गया। ऐसा कहा जाता है कि स्टालिन ने आर्थिक सुधारों के नाम पर लोगों को भुखमरी और दमन का शिकार बनाया। स्टालिन की 1953 में एक ब्रेन स्ट्रोक से मृत्यु हो गई।
चीन में 1949 से 1976 तक शासन करने वाले माओ जेडॉन्ग को माओ से-तुंग भी कहा जाता है। इसने "ग्रेट लीप फॉरवर्ड" और "सांस्कृतिक क्रांति" जैसे अभियानों के माध्यम से लाखों लोगों की जान ली। माओ को 20वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक माना जाता है। उसकी नीतियों के कारण बड़ी संख्या में मौतें हुईं, अनुमान है कि 4 से 8 करोड़ लोग भुखमरी, उत्पीड़न, जेल श्रम और सामूहिक फांसी के शिकार हुए। उसके शासन को अधिनायकवादी कहा गया है। उसके नेतृत्व में चीन ने आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अस्थिरता का सामना किया। माओ की 1976 में बीमारी के कारण मृत्यु हुई। 1976 में माओ की कई दिल के दौरे के बाद मृत्यु हो गई।
कंबोडिया के खमेर रूज नेता पोल पोट ने 1975 से 1979 तक शासन किया। उसने "किलिंग फील्ड्स" के दौरान करीब 20 लाख लोगों की हत्या कराई। पोल पोट का लक्ष्य कंबोडिया को एक कृषि-प्रधान समाज में बदलना था, जिसके लिए उसने शिक्षित वर्ग और शहरी नागरिकों को निशाना बनाया। पोल पोट के शासनकाल के दौरान, खमेर रूज ने कंबोडिया में व्यापक नरसंहार किया। इस अवधि में लगभग 17 लाख से 20 लाख लोगों की मौत हुई। यह संख्या कंबोडिया की उस समय की कुल जनसंख्या का लगभग एक चौथाई थी। पोल पोट की 1998 में बीमारी से मृत्यु हुई, वह घर में नजरबंद था।
इटली के फासीवादी नेता बेनिटो मुसोलिनी ने 1922 से 1943 तक शासन किया। वह द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर का सहयोगी था। उसकी तानाशाही के दौरान इटली ने लोकतंत्र खो दिया, और उसने अपनी सेना को युद्ध में झोंक दिया, जिससे देश बर्बादी की ओर चला गया। ब्रिटिश इतिहासकार कॉर्नर का अनुमान है कि द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर के साथ लड़ने के मुसोलिनी के विनाशकारी निर्णय के परिणामस्वरूप 500,000 से अधिक इतालवी मारे गए। इनमें नाजी मृत्यु शिविरों में भेजे गए 7,700 इतालवी यहूदी भी शामिल हैं। मुसोलिनी को 1945 में इटली में पकड़कर फांसी दी गई और बाद में उसका शव सार्वजनिक रूप से लटका दिया गया।
किम जोंग-इल ने 1994 से 2011 तक उत्तर कोरिया पर शासन किया। उसने देश को बाहरी दुनिया से अलग-थलग रखा और अपने नागरिकों पर कठोर प्रतिबंध लगाए। उनके शासनकाल में लाखों लोग भुखमरी और दमन का शिकार हुए। किम जोंग-इल के शासनकाल के दौरान कई लाख लोग मारे गए। उत्तर कोरिया में आज भी तानाशाही है और किम जोंग-इल के बेटे किम जोंग उन का राज है। किम जोंग-इल की 2011 में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई।
इराक के नेता सद्दाम हुसैन ने 1979 से 2003 तक शासन किया। उसके शासनकाल में कुर्द समुदाय के खिलाफ नरसंहार, रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल, और राजनीतिक विरोधियों की हत्या जैसे अत्याचार हुए। उसने अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। कुर्द नरसंहार (अल-अनफाल अभियान) के दौरान लगभग 50,000 से 100,000 कुर्द मारे गए। ईरान-इराक युद्ध (1980-1988) में लगभग 5 लाख से 10 लाख लोग मारे गए, जिनमें सैनिक और नागरिक शामिल थे। सद्दाम हुसैन को 2006 में इराक में फांसी दी गई।
1973 से 1990 तक चिली पर शासन करने वाले अगस्टो पिनोशे ने अपने राजनीतिक विरोधियों को मारने और यातनाएं देने के लिए कुख्याति अर्जित की। उसके शासनकाल में हजारों लोगों को गायब कर दिया गया या उनकी हत्या कर दी गई। पिनोशे की 2006 में बीमारी से मृत्यु हुई, वह उस समय अपने घर पर ही था। मौत का कारण अज्ञात है।
ईदी अमीन ने 1971 से 1979 तक युगांडा पर शासन किया। उसका शासन क्रूरता, अत्याचार और अराजकता के लिए कुख्यात था। अमीन के आदेश पर करीब 3 लाख लोगों की हत्या कर दी गई, और उन्होंने एशियाई मूल के हजारों लोगों को देश से निष्कासित कर दिया। उसकी नीतियों और तानाशाही के कारण युगांडा की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई। ईदी अमीन को "युगांडा का कसाई" कहा जाता है। उसका शासन सत्ता के दुरुपयोग और मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक भयानक उदाहरण है। ईदी अमीन की 2003 में सऊदी अरब में बीमारी के कारण मृत्यु हुई।
रोमानिया के तानाशाह निकोलस चाउशेस्कू ने 1965 से 1989 तक शासन किया। उसकी क्रूरता और निरंकुश नीतियों के कारण देश ने भयंकर गरीबी और दमन का सामना किया। 1989 में उन्हें सत्ता से हटा दिया गया और उसको फांसी दे दी गई।