Hindi NewsगैलरीदेशHMPV Virus कितना खतरनाक, कौन होते हैं ज्यादा शिकार; जानें सबकुछ

HMPV Virus कितना खतरनाक, कौन होते हैं ज्यादा शिकार; जानें सबकुछ

  • HMPV वायरस के भारत में भी अब तक तीन मामले मिल चुके हैं। इसके चलते दो राज्यों में अलर्ट की स्थिति है और एडवाइजरी जारी की गई है। वहीं भारत सरकार का कहना है कि हम इस वायरस के मामलों पर नजर बनाए हुए हैं और WHO भी जानकारी साझा कर रहा है।

Surya PrakashMon, 6 Jan 2025 04:11 PM
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तीन माह के पीड़ित शिशु का चल रहा है इलाज

भारत में अब तक जो तीन केस मिले हैं, वह नवजात बच्चों के ही हैं। तीन माह के एक शिशु का तो बेंगलुरु में इलाज चल रहा है।

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भारत में अब तक मिले हैं तीन मामले

दुनिया भर में कोरोना वायरस फैलने का कारण बने चीन में इन दिनों HMPV वायरस ने कोहराम मचा रखा है। भारत में भी बेंगलुरु से लेकर अहमदाबाद तक में इस संक्रमण के तीन मामले सामने आ चुके हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार ने तो एडवाइजरी भी जारी कर दी है और लोगों ने सावधान रहने को कहा है।

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कोरोना जैसे हैं लक्षण, बचाव क्या है

डॉक्टरों का कहना है कि इसके लक्षण भी कोरोना जैसे ही होते हैं। इसके अलावा किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से व्यक्ति प्रभावित होता है।

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5 साल से छोटे बच्चों को है ज्यादा खतरा

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह वायरस उन लोगों को ज्यादा शिकार बनाता है, जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो। इसके अलावा 5 साल तक के छोटे बच्चों को यह अपनी चपेट में लेता है।

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2 से 5 दिन तक रहा है सबसे ज्यादा असर

एक राहत की बात यह है कि HMPV वायरस 2 से 5 दिन तक ज्यादा प्रभावित करता है और फिर उसके बाद धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है।

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कैसे हो पाएगा छोटे बच्चों का बचाव

इससे सबसे ज्यादा प्रभावित छोटे बच्चे और बुजुर्ग होते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि वे संक्रमित लोगों के संपर्क में न आएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

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निमोनिया से पीड़ित बच्चों को ज्यादा रिस्क

आमतौर पर बच्चों में भी वे ज्यादा प्रभावित होते हैं, जो निमोनिया के शिकार हों।

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एम्स के पूर्व निदेशक क्या बोले

एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया का कहना है कि इससे डरने की जरूरत नहीं है। HMPV वायरस पहली बार 2001 में पाया गया था। तब से ही यह चल रहा है, लेकिन यह कोरोना जितना खतरनाक नहीं है।

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सिंगापुर जैसे कई देशों में मिले हैं केस

भारत के अलावा सिंगापुर जैसे कई देशों में इसके केस मिल चुके हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह वायरस सर्दियों से बसंत के मौसम तक ज्यादा प्रभावी रहता है। फिर धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है।