फीस बढोतरी पैकेज: बढ़ी फीस पर बिफरे अभिभावक, स्कूलों के मनमानी के खिलाफ प्रदर्शन
दिल्ली के निजी स्कूलों में अभिभावकों का गुस्सा बढ़ गया है। उन्होंने फीस बढ़ोतरी और स्कूलों की मनमानी के खिलाफ प्रदर्शन किया। डीपीएस द्वारका में 20 बच्चों को लाइब्रेरी में बैठाने की घटना ने अभिभावकों...

-अभिभावकों का आरोप एसडीएम की जांच के बाद भी डीपीएस द्वारका ने बच्चों को लाइब्रेरी में बिठाया -दून पब्लिक स्कूल सहित कई स्कूलों के अभिभावकों ने किया प्रदर्शन
-फीस नियंत्रित करने के लिए बने कानून: अभिभावक संघ
नई दिल्ली।प्रमुख संवाददाता
राजधानी के निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर अभिभावकों का गुस्सा चरम पर है। चिलचिलाती धूप में भी दून पब्लिक स्कूल पश्चिम विहार सहित राजधानी के अन्य इलाकों के अभिभावकों ने स्कूलों के बाहर फीस बढोतरी और उनकी मनमानी के खिलाफ प्रदर्शन किया।
दून पब्लिक स्कूल की एक अभिभावक ने कहा कि स्कूल फीस बढ़ाने के साथ किताबों की खरीद पर भी मोटा पैसा लेता है। ड्रेस के लिए एक ही वेंडर रखा है और अभिभावक की मजबूरी है कि उसी वेंडर से ड्रेस खरीदा जाएगा।
प्रदर्शनकारी एक अन्य अभिभावक ने कहा कि वार्षिक शुल्क, यातायात, किताब सहित कई मदों में पैसा बढ़ाया गया है। लगभग 40 फीसद अतिरिक्त भार अभिभावकों पर आ रहा है।
दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारका में पढ़ रहे बच्चों के कुछ अभिभावकों ने इस मामले को लेकर उच्च न्यायायल की तरफ रुख किया है। एक अभिभावक का कहना है कि बच्चों के साथ स्कूल का भेदभाव बहुत खराब है अमानवीय है।
20 बच्चों को बैठाया लाइब्रेरी में
दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारका में अपने बच्चे को पढ़ा रहे एक अभिभावक सोमेंद्र यादव ने बताया कि सोमवार को भी डीपीएस द्वारका स्कूल में बच्चों को मानसिक परेशानी से गुजरना पड़ा। 20 बच्चों को लाइब्रेरी में बैठाया गया। मेरी बेटी 10वीं से 11वें दाखिला ली और उसका सोमवार को पहला दिन था। मुझे जैसे पता चला मैंने अपनी मां को उसे लाने के स्कूल भेजा, मेरी बेटी घर आकर 1 घंटे रोई है और बोली है कि मैं स्कूल नहीं जाऊंगी। यह स्थिति तब है जब पिछले शुक्रवार को डीएम साउथ वेस्ट ने जाकर जांच की और जाकर लाइब्रेरी में छापा मारा और 11 बच्चे लाइब्रेरी में मिले। इसकी वीडियोग्राफी भी हुई। कक्षाओं के शिक्षक से बातचीत की गई लेकिन उनके पास कोई उत्तर नहीं था। बच्चों ने कहा कि स्कूल में बच्चों के साथ भेदभाव हो रहा है। जबरन लाइब्रेरी में बैठाया जाता है।
अभिभावक सौरभ अग्रवाल ने बताया कि मेरी बेटी को भी लाइब्रेरी में बैठाया गया वह 11वीं में पढ़ती है। उसे परेशानी झेलनी पड़ी। हम लोग नियमानुसार फीस देने के लिए तैयार हैं। लेकिन स्कूल प्रशासन शिक्षा निदेशालय द्वारा अप्रूव फीस हमसे ले। स्कूल प्रशासन मनमानी कर रहा है।
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अभिभावक संघ की प्रतिक्रिया-
फीस नियंत्रित करने के लिए बने कानून
अखिल भारतीय अभिभावक संघ के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल का कहना है कि फीस नियंत्रण के लिए सरकार को कानून बनाना चाहिए। स्कूलों की मनमानी केवल प्रभावी नियम से ही सुधर सकती है। दिल्ली सरकार को भी तमिलनाडु स्कूल फी रेगुलेशन एक्ट 2009 की तरह नियम बनाने होंगे तभी अभिभावकों व छात्रों का भला हो सकता है।
वहीं दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने बताया कि पिछले 10 साल से लगातार स्कूलों के द्वारा फीस बढ़ाई जा रही है। इसमें वह स्कूल भी शामिल हैं जिनको पूर्व अनुमति लेनी होती थी। लेकिन उन्होंने भी बिना अनुमति के फीस बढ़ा दी है। इसकी लिखित शिकायत शिक्षा अधिकारियों के पास गई हैं। लेकिन सबूत देने के बाद भी स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमारी मांग है कि प्राइवेट स्कूल ब्रांच और पूर्व शिक्षा निदेशक पर भी कार्रवाई करें। शिक्षा मंत्री ने स्कूलों के ऊपर जो कमेटी बनाने की बात कही है उसका हम लोग समर्थन करेंगे लेकिन इसमें देरी नहीं होनी चाहिए क्योंकि अभी बच्चे और अभिभावक प्रताड़ित हो रहे हैं।
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