दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम पर संस्थाओं से सुझाव मांगे
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से 22 संस्थाओं से प्रदूषण की रोकथाम के लिए सुझाव देने को कहा है

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। राजधानी में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए 22 संस्थाओं से सुझाव मांगे गए हैं। इनमें देश में पर्यावरण और प्रदूषण के क्षेत्र में काम करने वाली तमाम संस्थाएं शामिल हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से सभी संस्थाओं से प्रदूषण की रोकथाम के लिए सुझाव देने को कहा है। दिल्ली को देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में शामिल किया जाता है। हाल के कुछ वर्षों में दिल्ली की आबादी बहुत ही तेजी से बढ़ी है। इसके चलते तमाम तरह के निर्माण कार्य, वाहनों की संख्या और ऊर्जा की जरूरतें भी बढ़ी हैं।
इन कारकों के चलते प्रदूषक कणों का उत्सर्जन भी बढ़ा है। राजधानी के प्रदूषण की रोकथाम के लिए खासतौर पर पिछले 10-12 वर्षों में कई बड़े कदम उठाए गए हैं। इसके बावजूद प्रदूषण के स्तर में बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है। दिल्ली में आमतौर पर प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा रहता है। यानी ऐसे दिन कम ही रहते हैं, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से नीचे यानी हवा मध्यम श्रेणी में हो। जबकि, साल में दो-चार दिन ऐसे होते हैं, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से नीचे यानी संतोषजनक या अच्छी श्रेणी में रहती है। खासतौर पर जाड़े के समय प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा भयावह हो जाता है। जाड़े से पहले हर साल प्रदूषण की रोकथाम के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। इसी क्रम में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने प्रदूषण और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली 22 संस्थाओं से सुझाव देने को कहा है। इन संस्थाओं से कहा गया है कि वे अपने सुझावों को पांच हजार शब्दों में रख सकते हैं। इसे स्पष्ट करने वाले प्रस्तुतिकरण को भी संलग्न कर सकते हैं। इन सुझावों पर विचार करने के बाद उपयुक्त उपायों को लागू करने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। 11 बिंदुओं पर सुझाव दे सकते हैं डीपीसीपी ने इन संस्थाओं से 11 बिंदुओं पर सुझाव देने को कहा है। इसमें भौगोलिक और जलवायु संबंधी कारक, वाहनों से होने वाला प्रदूषण, उद्योगों से होने वाला उत्सर्जन, निर्माण गतिविधियां, कृषि अवशेषों को जलाया जाना, नीतियों को लागू किया जाना और उल्लंघन पर कार्रवाई, जन जागरुकता और लोगों की आदतों में बदलाव, ढांचागत संरचना और योजना, क्षेत्रीय सहयोग, बायोमास बर्निंग और वेस्ट बर्निंग, सड़क पर उड़ने वाली धूल आदि को शामिल किया गया है। माना जा रहा है कि इन संस्थाओं के विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श के सत्र भी आयोजित किए जा सकते हैं। जिसमें उनके द्वारा सुझाए गए उपायों पर विस्तृत चर्चा होगी।
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