केजरीवाल का खेल खराब करेगी कांग्रेस! राहुल गांधी के आते ही चली एक महीन चाल
राहुल गांधी की एंट्री के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 10 साल बाद दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस ने बेहद महीन चाल चल दी है।
राहुल गांधी की एंट्री के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 10 साल बाद दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस ने बेहद महीन चाल चल दी है। कांग्रेस की कोशिश अपने उन वोटर्स को वापस अपने पाले में लाने की है, जो 2013, 2015 और फिर 2020 में अरविंद केजरीवाल के साथ चल दिए थे। मुस्लिम बहुल सीट से राहुल गांधी की पहली रैली और इसमें जाति-आरक्षण कार्ड खेलकर कांग्रेस ने अपनी मंशा साफ कर दी है।
दिल्ली में दो दर्जन से अधिक ऐसी सीटें हैं जिन पर हार जीत मुस्लिम और दलित वोटर्स ही तय करते हैं। आम आदमी पार्टी के उभार से पहले दोनों ही तबका कांग्रेस के साथ मजबूती से जुड़ा रहा। लेकिन पिछले 2 विधानसभा चुनाव में यह वोट बैंक पूरी तरह 'आप' की ओर शिफ्ट हो गया। नजीता यह हुआ कि कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि 10 साल की एंटी इनकंबेंसी से जूझ रही 'आप' से अपने वोटर्स को वापस खींचने का यह सुनहरा मौका है।
यही वजह है कि पार्टी ने मुस्लिम और दलित वोटर्स को साधने पर काम तेज कर दिया है। राहुल गांधी ने सोमवार को अपने इस अभियान की शुरुआत सीलमपुर से की। राहुल गांधी की मौजूदगी में मंच से पार्टी के उम्मीदवार अब्दुल रहमान ने याद दिलाया कि दिल्ली दंगों के बाद पीड़ितों को मरहम लगाने के लिए राहुल गांधी ही आए थे, अरविंद केजरीवाल नहीं। खुद राहुल गांधी ने भी कहा कि वह जाति और धर्म देखे बिना हमेशा हिंसा के खिलाफ खड़े रहेंगे।
राहुल गांधी की इस सभा से मुसलमानों को संदेश देने के साथ ही दलित वोटर्स को भी साधने की भरसक कोशिश की गई। खुद राहुल गांधी ने जाति जनगणना कराने का वादा किया और आबादी के मुताबिक भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही। राहुल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से ऊपर ले जाएगी। उन्होंने मंच से अरविंद केजरीवाल से सवाल किया कि क्या वह जाति जनगणना के पक्ष में हैं।
अगले ही दिन पार्टी ने अरविंद केजरीवाल का एक पुराना वीडियो भी शेयर किया जिसमें अरविंद केजरीवाल को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जिसे एक बार आरक्षण का लाभ मिल जाए उसे कतार में सबसे पीछे खड़ा कर देना चाहिए। कांग्रेस यदि मुस्लिम और दलित वोटर्स के एक हिस्से को भी वापस अपनी ओर खींचने में कामयाब रही तो आम आदमी पार्टी का खेल बिगड़ सकता है। यही वजह है कि 'आप' कांग्रेस पर अधिक बोलने से बच रही है। खुद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह राहुल गांधी के बयानों पर कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। असल में 'आप' नहीं चाहती कि कांग्रेस कहीं मुकाबले में दिखे। यदि ऐसा होता है कि भाजपा विरोधी वोटों में बंटवारा हो सकता है और इसका नुकसान सीधे तौर पर 'आप' को होगा।