जब CJI चंद्रचूड़ से हुआ AI वकील का सामना, मृत्युदंड पर जवाब सुन क्यों मुस्कुरा रहे थे नए चीफ जस्टिस
इस दौरान सीजेआई ने AI वकील से मृत्युदंड पर एक उलझा सवाल पूछा, जिसका जवाब सुनकर जस्टिस चंद्रचूड़ और उनके उत्तराधिकारी यानी नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना मुस्कुरा पड़े।
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज (गुरुवार, 7 नवंबर) सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय न्यायिक संग्रहालय और अभिलेखागार का उद्घाटन किया। जजों की पुरानी लाइब्रेरी को ही संग्रहालय में तब्दील किया गया है। इस मौके पर चीफ जस्टिस का सामना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वकील से हुआ। इस दौरान सीजेआई ने AI वकील से मृत्युदंड पर एक उलझा सवाल पूछा, जिसका जवाब सुनकर जस्टिस चंद्रचूड़ और उनके उत्तराधिकारी यानी नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना मुस्कुरा पड़े।
दरअसल, एआई वकील, जो एक पेशेवर वकील की तरह काला कोट पहने और टाई लगाए हुए था और चश्मा पहने हुए था, का ज्ञान जानने के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ ने उससे पूछा कि क्या भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है? इस पर एआई वकील ने फौरन जवाब दिया, "हां, भारत में मृत्युदंड संवैधानिक है। यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दुर्लभतम मामलों के लिए आरक्षित है, जहां अपराध असाधारण रूप से जघन्य किस्म का हो, वहां ऐसी सजा दी जा सकती है।" मुख्य न्यायाधीश इस जवाब से संतुष्ट दिखे।
उनके साथ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस असहसानुद्दीन अमानुल्लाह भी थे। तीनों जजों को AI वकील का जवाब सुनकर मुस्कुराते देखा या। बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना सोमवार को अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालने जा रहे हैं। इस उद्घाटन समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश और वकील भी शामिल हुए।
इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि नया संग्रहालय सर्वोच्च न्यायालय के चरित्र और राष्ट्र के लिए इसके महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि संग्रहालय युवा पीढ़ी के लिए एक संवादात्मक स्थान बने। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि स्कूलों और कॉलेजों के युवा बच्चे, नागरिक जो जरूरी नहीं कि वकील और न्यायाधीश हों, वे यहां आएं और न्यायालय में हर दिन जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसे महसूस करें और उन्हें कानून के शासन के महत्व और न्यायाधीशों और वकीलों के रूप में हम सभी द्वारा किए जाने वाले काम का जीवंत अनुभव प्रदान करें।”
मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि यह संग्रहालय "न्यायाधीश-केंद्रित" नहीं है। इसमें वे खंड हैं जिन्हें हमने संविधान सभा में देखा, जिन्होंने संविधान का निर्माण किया... बार के सदस्य जिन्होंने अपनी निडर वकालत से न्यायालय को आज जैसा बनाया, उसमें योगदान दिया और मुझे यकीन है कि हम यहाँ अधिक से अधिक लोगों को लाने में सक्षम होंगे। मैं बार के सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूँ कि वे संग्रहालय में आएँ और देखें। मुझे उम्मीद है कि अगले सप्ताहों में मेरे उत्तराधिकारी युवा पीढ़ी के लिए भी इस जगह को खोलेंगे ताकि वे न्याय की उस सांस को ले सकें जो हम हर दिन लेते हैं।"
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायाधीश पुस्तकालय को सार्वजनिक संग्रहालय में बदलने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर आपत्ति जताई है। एससीबीए के पूर्व अध्यक्ष ने बुधवार को लिखे पत्र में बुनियादी ढांचे से संबंधित निर्णयों पर ‘‘गहरी पीड़ा’’ व्यक्त की। कुमार के अनुसार, इसमें विधि क्षेत्र से जुड़े लोगों की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की अनदेखी की गई है।