Hindi Newsदेश न्यूज़Why CJI DY Chandrachud says we can not differentiate between judges either they came from Bar or Lower Court

निचली अदालत से आए हों या बार से, नहीं कर सकते जजों में भेदभाव; CJI की दो टूक

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय संवैधानिक संस्थाएं हैं और उनकी संवैधानिक स्थिति को अनुच्छेद 216 द्वारा मान्यता प्राप्त है। अनुच्छेद 216 इस बात पर कोई भेद नहीं करता कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की भर्ती कैसे की जाती है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 5 Nov 2024 09:52 PM
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देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दो टूक कहा है कि जजों के बीच किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। भले ही वे बार से सीधे हाई कोर्ट पहुंचे हों या निचली अदालतों से पदोन्नत होकर हाई कोर्ट पहुंचे हों। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला तथा जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि

जिला अदालतों से हाई कोर्ट में भर्ती किए गए जज बार से पदोन्नत न्यायाधीशों के समान ही पेंशन सहित सभी लाभ पाने के हकदार होंगे। तीनों जजों की पीठ ने कहा कि जिन स्रोतों से भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई हो, उनके उनके पद पर कोई प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि एक बार नियुक्त होने के बाद वे बिना किसी भेदभाव के "एक समरूप वर्ग" का हिस्सा होते हैं। पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों के बीच भेद करना मूलतः एकरूपता की भावना के विरुद्ध होगा।

पीठ ने कहा, "उच्च न्यायालय संवैधानिक संस्थाएं हैं और उनकी संवैधानिक स्थिति को अनुच्छेद 216 द्वारा मान्यता प्राप्त है। अनुच्छेद 216 इस बात पर कोई भेद नहीं करता कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की भर्ती कैसे की जाती है। एक बार उच्च न्यायालय में नियुक्त होने के बाद प्रत्येक न्यायाधीश का दर्जा बराबर होता है...एक बार नियुक्त होने के बाद वेतन या अन्य लाभों को लेकर न्यायाधीशों के बीच कोई भेद नहीं किया जा सकता है।"

पीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि न्यायिक स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए न्यायाधीशों की वित्तीय स्वतंत्रता एक आवश्यक घटक है। पीठ पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के बकाए वेतन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रुद्र प्रकाश मिश्रा को कई महीनों से वेतन न मिलने पर गंभीर रुख अपनाते हुए सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार सरकार को निर्देश दिया कि वह उनके लिए अस्थायी सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खाता खोलकर उनकी लंबित तनख्वाह जारी करे।

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पीठ ने इस मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “किसी भी न्यायाधीश से वेतन के बिना काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।” न्यायमूर्ति रुद्र प्रकाश मिश्रा को 4 नवंबर 2023 को जिला न्यायपालिका से पटना उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। उन्हें उनकी पदोन्नति की तारीख से वेतन नहीं मिल रहा है क्योंकि उनके पास जीपीएफ खाता नहीं है, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर वेतन लेने के लिए एक शर्त है। अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीश नई पेंशन योजना (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं और इस लिए उनके पास जीपीएफ खाते नहीं हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा को अपना वेतन नहीं मिल पा रहा था क्योंकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एनपीएस के अंतर्गत नहीं आते हैं।

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