सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए ईडी केस में आरोपी के आत्मसमर्पण का आदेश दिया। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने हाई कोर्ट द्वारा जारी जमानत आदेश को हल्का और लापरवाही भरा बताया।
हाई कोर्ट जज ने अपने फैसले में लिखा कि यह आरोप कि इस कोर्ट के जजों को रिश्वत देने के लिए धन प्राप्त किया गया था, न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गंभीर संदेह पैदा करता है और इसका अर्थ है कि न्याय बिकाऊ है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता साकिब नाचन जो फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है, सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेल से पेश हुआ था।
शीर्ष अदालत केंद्र द्वारा न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निर्देश दिया गया था कि शहीद सैनिक की पत्नी को जनवरी 2013 से उदारीकृत पारिवारिक पेंशन (LFP) के साथ-साथ बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पी बी वराले की पीठ ने टिप्पणी की कि जब आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से छेड़छाड़ नहीं होती। जब आप चुनाव हार जाते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ हो जीती है।
PIL में चिंता जताई गई है कि देश में 39 DRTs में से लगभग ⅓ ट्रिब्यूनल पीठासीन अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण वर्तमान में काम नहीं कर रहे हैं, जिससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए ऋण वसूली में तेजी लाने के उनके मूल उद्देश्य को नुकसान पहुंच रहा है।
जस्टिस सूर्यकांत ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी निर्माण कार्य के लिए इंजीनियरों की आवश्यकता होती है। ठेकेदारों को समय पर मजदूरों और निर्माण सामग्री की आपूर्ति की जरूरत होती है, तब इस मामले में देरी के लिए सरपंच को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जबकि उसने काम के आवंटन में कोई देरी ही नहीं की।
लोदी युग के मकबरे पर डीसीडब्ल्यूए द्वारा अवैध कब्जे की अनुमति देने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की भी कोर्ट ने खिंचाई की, जिसने उस मकबरे के अंदर झूठी छतें लगाई थीं और बिजली के पंखे और फर्नीचर लगवाए थे।
CJI Justice Sanjiv Khanna ने पुरानी परंपरा को बदलते हुए कहा कि अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा। केवल ई-मेल या लिखित पत्र के जरिए ही तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध स्वीकार किया जाएगा। वजह भी बताने होंगे।
CJI चंद्रचूड़ को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि रिटायरमेंट के बाद वह कौन सी नई जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने की भी चर्चा है क्योंकि जून 2024 से ही यह पद खाली है।