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PM किसान सम्मान निधि में हो बदलाव, ICAR का हो ऑडिट; किसान आंदोलन के बीच बोले उपराष्ट्रपति

उप राष्ट्रपति ने कहा कि हर संस्था को यह संकल्प लेना चाहिए कि किसान को राहत देने वाले कार्य करेंगे और किसानों को जागरूक करेंगे। अगर इन संस्थाओं में प्रतिदिन 100 किसान भी आते हैं, तो एक बड़ा बदलाव आएगा।

Pramod Praveen वार्ता, हैदराबाद/मेडकThu, 26 Dec 2024 12:26 AM
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देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर किसानों के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में बदलाव की आवश्यकता पर बल देते हुए बुधवार को कहा कि देश में अब तक कृषि और कृषि विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। तेलंगाना के मेडक जिले में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के एक कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित 'प्राकृतिक एवं जैविक किसान सम्मेलन-2024 को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि आईसीएआर के संस्थानों के आत्म-आकलन (ऑडिट) कराने की जरूरत है। उन्होंने PM किसान सम्मान निधि में बदलाव और कृषि अनुसंधान को किसान-केंद्रित बनाने की भी बात कही।

उन्होंने कहा कि कृषि और कृषि विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, “हम कृषि और कृषि विकास पर उतना ध्यान नहीं दे पाए हैं जितना हमें देना चाहिए था। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन उनके बजट पर ध्यान दें। यहां 5000 वैज्ञानिक हैं। करीब 25,000 लोग कार्यरत हैं। बजट 8,000 करोड़ से अधिक है। हम अनुसंधान किसके लिए कर रहे हैं? हम किसके जीवन को बदलने की कोशिश कर रहे हैं? क्या उनके जीवन में कोई बदलाव आ रहा है? अब समय आ गया है इन संस्थाओं का आकलन करने का, और किसी संस्था का आकलन करने का सबसे अच्छा तरीका आत्म-आकलन है।”

उप राष्ट्रपति ने कहा कि हर संस्था को यह संकल्प लेना चाहिए कि किसान को राहत देने वाले कार्य करेंगे और किसानों को जागरूक करेंगे। अगर इन संस्थाओं में प्रतिदिन 100 किसान भी आते हैं, तो एक बड़ा बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं में कार्यरत लोगों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और ऐसी संस्थाओं को एकलव्य ग्रामीण किसान की भलाई के लिए ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और उर्वरक सब्सिडी का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा, “हम किसानों की मदद करते हैं। साल में तीन बार किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्राप्त करते हैं। इसमें बदलाव की आवश्यकता है क्योंकि यह स्थिर है, लेकिन अर्थव्यवस्था में महंगाई है। हमें उर्वरक और सब्सिडी के बारे में सोचना होगा। क्या यह सब्सिडी सही तरीके से किसान तक पहुँच रही है?” उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं और कृषि विज्ञान केंद्रों को एक ऐसा फार्मूला तैयार करना चाहिए जिससे सब्सिडी सीधे किसान तक पहुंचे।

राष्ट्र की प्रगति को रोकने के लिए विभिन्न मुकदमों और विरोध आंदोलनों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि कुछ लोग दुनिया में और हमारे देश में ऐसे हैं जो हमारी प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं। अवैध तरीकों का सहारा लिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ऐसे समय में हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रवाद में अडिग विश्वास रखे। राष्ट्र पहले, मेरा देश पहले। आइए इस भावना से कार्य करें।”

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