Hindi Newsदेश न्यूज़CM Siddaramaiah said Amit Shah would have been scrap dealer if no Ambedkar Constitution

अंबेडकर का संविधान नहीं होता तो कबाड़ी होते अमित शाह, कर्नाटक सीएम ने सभापति धनखड़ को भी घेरा

  • शाह के बयान के लिए विपक्षी दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की है। सिद्धारमैया ने कहा कि शाह द्वारा कही गई बातों में कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

Amit Kumar भाषा, बेंगलुरुThu, 19 Dec 2024 07:31 PM
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने संविधान निर्माता बी.आर. अंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कथित टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की। सिद्धारमैया ने दावा किया कि अगर अंबेडकर का संविधान नहीं होता तो अमित शाह ‘‘कबाड़ी’’ होते। सिद्धारमैया ने विधानसभा में कहा कि यदि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ वास्तव में संविधान के तहत काम कर रहे हैं तो उन्हें शाह को तुरंत सदन से निलंबित कर देना चाहिए था।

इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस विधायकों के हंगामे के बीच विधानसभा में विस्तृत बयान पढ़ते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि पूरे देश ने गृह मंत्री द्वारा बाबा साहेब अंबेडकर के बारे में कहे गए ‘‘अपमानजनक’’ शब्दों को सुना है। दरअसल राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा था, ‘‘अभी एक फैशन बन गया है... अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’’

शाह के इस बयान के लिए विपक्षी दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की है। सिद्धारमैया ने कहा कि शाह द्वारा कही गई बातों में कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा और (राष्ट्रीय स्वंयसेवक) संघ परिवार के नेताओं के मन में जो चल रहा था, वह खुलकर सामने आ गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सबसे पहले मैं आपको (अमित शाह) बधाई देता हूं कि आपने बाबा साहेब अंबेडकर के बारे में भारतीय जनता पार्टी की अंदरुनी राय को देश के सामने खुलेआम और साहस के साथ उजागर किया और आखिरकार सच बोल दिया।’’

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उन्होंने कहा कि अगर संविधान नहीं होता तो शाह देश के गृह मंत्री नहीं, बल्कि अपने गांव में ‘‘कबाड़ी’’ होते। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर दिए गए उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर समाज में भ्रांति फैलाने की कोशिश की, क्योंकि चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने संविधान निर्माता के बार-बार किए गए अपमानों पर विपक्षी पार्टी की पोल खोलकर रख दी थी।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, ‘‘जब तक यह लिखित संविधान लागू नहीं हुआ, तब तक भारतीय समाज में ‘मनुस्मृति’ थी, जिसे जाति और लैंगिक भेदभाव को एक कानून बना दिया था। स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की आशा रखने वाले बाबासाहेब अंबेडकर ने न केवल संविधान दिया, बल्कि उन्होंने उस अलिखित संविधान ‘मनुस्मृति’ को भी जला दिया जो तब तक लागू थी।’’ उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर, 1927 को अंबेडकर ने सार्वजनिक रूप से ‘मनुस्मृति’ को जलाया और 22 साल बाद उन्होंने एक नया संविधान बनाया।

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