दो साल में पूरी तरह खात्मा हो जायेगा वामपंथी उग्रवाद, अमित शाह की मीटिंग; कूल अंदाज में दिखे अजीत डोभाल
पिछले पांच वर्षों में देश में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। केंद्र सरकार ने 2015 में इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को मंजूरी दी थी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) को लेकर एक हाई लेवल बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, अश्विनी चौबे, अर्जुन मुंडा और देवुसिंह चौहान के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल हुए। बैठक में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और झारखंड के मुख्यमंत्रियों क्रमशः एकनाथ शिंदे, वाईएस जगन मोहन रेड्डी और हेमंत सोरेन ने अपने विधायकों के साथ भाग लिया। इस बैठक में भारत के जेम्स बॉन्ड यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का कूल अंदाज देखने को मिला। वे खिलाखिलाकर हंस रहे थे और सभी से बातें कर रहे थे।
यह बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई। बैठक में गृह सचिव अजय भाला, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और एनआईए, एसएसबी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, बीएसएफ और एनएसजी के महानिदेशकों के साथ-साथ नक्सल प्रभावित राज्यों के गृह सचिव और मुख्य सचिव भी उपस्थित थे। बैठक के दौरान शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। इन राज्यों में साल 2010 के मुकाबले साल 2022 में हिंसक घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी आई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
इस दौरान अमित शाह ने कहा, ‘‘नक्सलवाद मानवता के लिए अभिशाप है और हम इसे इसके सभी रूपों में उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित हैं।’’ गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि दो साल में वामपंथी उग्रवाद का पूरी तरह से खात्मा हो जायेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में नक्सल प्रभावित इलाकों में चार दशकों में हिंसा की सबसे कम घटनाएं और मौतें हुईं।
अधिकारियों ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में देश में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से संबंधित सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। केंद्र सरकार ने 2015 में ‘एलडब्ल्यूई से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को मंजूरी दी थी। अधिकारियों ने कहा कि नीति में एक बहु-आयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है जिसमें सुरक्षा संबंधी उपाय, विकास संबंधी कामकाज, स्थानीय समुदायों के अधिकार और हकदारी सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस नीति के लगातार कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप देश भर में वामपंथी उग्रवाद की हिंसा में लगातार कमी आई है। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसक घटनाओं की संख्या में 2010 के उच्च स्तर के मुकाबले 2022 में 77 प्रतिशत की कमी आई है।
साल 2010 की तुलना में 2022 में सुरक्षा बलों और नागरिकों की मौतों की संख्या में भी 90 प्रतिशत की कमी आई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2004 से 2014 तक, वामपंथी उग्रवाद से संबंधित 17,679 घटनाएं हुईं और 6,984 मौतें हुईं। इसके विपरीत, 2014 से 2023 तक (15 जून 23 तक) वामपंथी उग्रवाद से संबंधित 7,649 घटनाएं हुई हैं और 2,020 मौतें हुई हैं।