सिखाने चले थे केजरीवाल, पर PM नरेंद्र मोदी से रिश्ते सुधार उमर अब्दुल्ला ने ही दी सीख; कैसे हुआ
- सीएम उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से एक तरह से अरविंद केजरीवाल को ही संदेश दिया है कि कैसे केंद्र से अच्छे रिश्ते रखते हुए भी प्रोजेक्ट पूरे कराए जा सकते हैं। उमर अब्दुल्ला ने अपने कार्य़काल में अब तक सब्र भी दिखाया है, जो कई मौकों पर साफ तौर पर नजर आया है।
अक्टूबर में उमर अब्दुल्ला ने जब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यदि उन्हें हाफ स्टेट को चलाने में दिक्कत हो तो मुझसे सलाह ले सकते हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली को हाफ स्टेट कहा जाता है, जिसमें सारी पावर एलजी के हाथ में होती है और हमने 10 साल तक सरकार चलाई है। मैं उमर से कहूंगा कि यदि उन्हें भी हाफ स्टेट बने जम्मू-कश्मीर की सरकार चलाने में परेशानी आए तो मुझसे सलाह ले सकते हैं। लेकिन तीन महीने के अंदर ही तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। 13 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी जब सोनमर्ग में जेड मोड़ टनल के उद्घाटन में पहुंचे तो उमर अब्दुल्ला और उनके बीच की केमिस्ट्री अलग ही थी। उमर अब्दुल्ला ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी जी ने चुनाव कराने के अपने वादे को पूरा किया है और बिना किसी धांधली के इलेक्शन हुए। इसका नतीजा है कि मैं यहां मुख्यमंत्री के तौर पर आपसे बात कर रहा हूं। इसके साथ ही उन्होंने पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग भी पूरी विनम्रता से रखी और कहा कि आपने हर वादे को पूरा किया। अब यह वादा ही बचा है। साफ था कि उमर अब्दुल्ला ने मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से रिश्ते सही रखने का फैसला किया है। वहीं जब पीएम मोदी की बारी आई तो उन्होंने भी उमर अब्दुल्ला की तारीफ की। उन्होंने निजी बातचीत का भी जिक्र किया और कहा कि उमर अब्दुल्ला ने तो मैराथन में भी हिस्सा लिया और जब दिल्ली आए तो इस पर मेरी बात हुई। इसके अलावा उन्होंने सोनमर्ग की तस्वीरें शेयर करने को लेकर भी उमर अब्दुल्ला का जिक्र किया।
साफ था कि दोनों 'हम साथ-साथ हैं' का संदेश देना चाहते हैं। लेकिन इसमें खासतौर पर तारीफ उमर अब्दुल्ला की बनती है, जिनकी पार्टी को कश्मीर से ही जोड़कर देखा जाता है। फिर भी उन्होंने जम्मू तक विस्तार का फैसला लिया और वहीं के नेता सुरिंदर सिंह को डिप्टी बनाया है। इसके अलावा केंद्र के साथ अच्छे रिश्ते रखे हैं। इस तरह उन्होंने जम्मू-कश्मीर से एक तरह केजरीवाल को ही संदेश दिया है कि कैसे केंद्र से अच्छे रिश्ते रखते हुए भी प्रोजेक्ट पूरे कराए जा सकते हैं। उमर अब्दुल्ला ने अपने कार्य़काल में अब तक सब्र भी दिखाया है। जैसे उन्होंने शेख अब्दुल्ला की जयंती पर छुट्टी का प्रस्ताव भेजा था, जिसे पर एलजी मनोज सिन्हा ने रोक लगा दी। इसके बाद भी उमर अब्दुल्ला ने कोई विरोध नहीं जताया बल्कि उस पर भी सब्र ही किया।
इस तरह उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से रिश्ते सुधारने की पहल की है। नरेंद्र मोदी ने भी इस पर अपने ही अंदाज में पॉजिटिव रुख दिखाया है। उमर अब्दुल्ला ने तो पीएम मोदी की तारीफ में यहां तक कहा कि आपने दिल और दिल्ली की दूरी कम की है। आपने ऐसा करके वादा निभाया है। इसी का परिणाम है कि आप 15 दिनों के अंदर दूसरी बार जम्मू-कश्मीर आए हैं।