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'इस्लाम कबूलने कहते और हमें भरोसा भी होने लगा था', IC-814 हाइजैक की असली कहानी

  • पूजा ने कहा कि हाइजैक के बाद प्लेन में दहशत फैल गई थी। एक यात्री को हार्ट अटैक आ गया था। ऐसे में माहौल सामान्य करने के लिए आतंकवादी अच्छा व्यवहार भी कर रहे थे। आतंकियों के हिंदू नाम पर पूजा ने कहा कि ये उनके ही नाम थे, जो प्लेन में वे लोग एक-दूसरे को बुलाने के लिए कोड नेम की तरह इस्तेमाल कर रहे थे।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 4 Sep 2024 09:44 AM
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1999 में हाइजैक इंडियन एयरलाइंस प्लेन आईसी 814 फिर एकबार सुर्खियों में हैं। हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज 'आईसी 814: द कंधार हाइजैक'  के कारण इसकी चर्चा ने जोर पकड़ ली है। इस सीरीज ने कई मुद्दों पर बहस को फिर से हवा दे दी है, जिसमें सरकार और विभिन्न एजेंसियों द्वारा स्थिति को संभालने प्रयास भी शामिल हैं। इंडिया टु़डे से बात करते हुए IC 814 में बंधक रहीं पूजा कटारिया ने कई जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया है कि आतंकी प्लेन में कैसा व्यवहार करते थे।

इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में पूजा ने कहा है कि प्लेन के हाइजैकर इस्लाम कबूल करने के लिए समझाता था। जिस दिन प्लेन को हाइजैक किया गया उस दिन पूजा कटारिया का जन्मदिन था। पूजा आज भी इस घटना से जुड़े कई सामान अपने पास रखी हैं, जिनमें एक शॉल भी जिसपर आतंकियों ने उनके और उनके पति के लिए कुछ अच्छी बातें लिखी हैं।

पूजा ने बताया कि आतंकियों में एक ‘डॉक्टर’ काफी पढ़ा-लिखा लग रहा था  और विमान में अच्छी-अच्छी बातें करता था। वह लोगों से इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए कहता था और बताता था कि आपके हिन्दू धर्म में काफी कमियां हैं। हमारे में से कुछ लोगों ने उनकी बात मान भी ली थी, लेकिन जब वे कहने लगे कि 'आपकी सरकार हमारी बात नहीं मान रही है। हम आपको मार देंगे।' इसके बाद हमलोग दहशत में आ गए।

पूजा ने कहा कि हाइजैक के बाद प्लेन में दहशत फैल गई थी और एक यात्री को हार्ट अटैक आ गया था। ऐसे में माहौल शांत करने के लिए आतंकवादी अच्छा व्यवहार भी कर रहे थे। आतंकियों के हिंदू नाम पर पूजा ने कहा कि ये उनके ही नाम थे, जो प्लेन में वे लोग एक-दूसरे को बुलाने के लिए कोड नेम की तरह इस्तेमाल कर रहे थे। 

पूजा ने बताया कि आतंकवादियों ने अफगानिस्तान की गीरीबी का जिक्र करते हुए यात्रियों से दान देने के लिए भी कहा था। हम सारे पैसेंजर मिलकर उनके कहने पर करीब 85 हजार रुपये इकट्ठा किए थे और उन्हें अफगानिस्तान को देने के लिए दिया था।

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