Madhopur Residents Struggle with Basic Amenities Amid Municipal Neglect बोले मुंगेर: नालों की हो सफाई, लगे स्ट्रीट लाइटें तो दूर होंगी समस्याएं, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले मुंगेर: नालों की हो सफाई, लगे स्ट्रीट लाइटें तो दूर होंगी समस्याएं

माधोपुर, मुंगेर शहर में लगभग 15,000 लोग रहते हैं, लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी है। नगर निगम द्वारा बजट में कोई योजना नहीं दी गई है। सड़कें, जल निकासी, स्वास्थ्य सेवाएं और पार्क की कमी है। लोग...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 19 May 2025 12:00 AM
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बोले मुंगेर: नालों की हो सफाई, लगे स्ट्रीट लाइटें तो दूर होंगी समस्याएं

माधोपुर के लोगों की परेशानी

प्रस्तुति: रणजीत कुमार ठाकुर/गौरव कुमार मिश्रा

मुंगेर शहर का माधोपुर, जहां लगभग 15,000 लोग रहते हैं। लेकिन यहां के लोगों को आज भी बुनियादी सुविधाएं नसीब नहीं हैं। यहां के लोग सरकारी उपेक्षा के शिकार हैं। नगर निगम द्वारा पारित 355 करोड़ रुपए के बजट में इस क्षेत्र में दो करोड़ की भी योजना नहीं दी गई। यहां न सड़कें दुरुस्त हैं, न जल निकासी की व्यवस्था, न स्वास्थ्य सुविधाएं और न ही बच्चों के लिए पार्क। चारों ओर फैली अनियमितता, लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता इस क्षेत्र की तस्वीर को बदतर बनाती जा रही है। माधोपुर के हजारों लोगों का के दर्द को उजागर करने के लिए अपने हिन्दुस्तान संवाददाता द्वारा यहां के निवासियों के साथ संवाद किया गया जिसमें उन्होंने खुलकर अपनी बातों को रखा।

शहर के माधोपुर की जनसंख्या लगभग 15,000 है बावजूद यहां के लोग विकास की दृष्टि से अब भी पिछड़े हैं। यहां के लोगों ने संवाद के दौरान बताया कि वर्षों की मांग के बाद माधोपुर की मुख्य सड़क का पुनर्निर्माण शुरू तो हुआ, लेकिन कार्य में भारी लापरवाही और मानकों की अनदेखी देखी जा रही है। कहीं सड़क की मोटाई मानक के अनुरूप नहीं है तो कहीं मानकों का पालन किए बिना ही सड़क की ढलाई की जा रही है। इस सड़क के निर्माण में पूरी तरह से अनियमितता बरती जा रही है और लूट-खसोट की जा रही है। लेकिन, इसकी शिकायत नगर निगम में करने के बाद भी अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि, मोहल्ले में नाले की हालत भी चिंताजनक है। नवनिर्मित नाला टूटते जा रहा है और पुराने नालों की सफाई लंबे समय से नहीं हुई है, जिससे जल निकासी बाधित है। ऊपर से आसपास के तीन वार्डों का कचरा भी यहीं फेंका जाता है, जिससे दुर्गंध और बीमारियों का खतरा बना रहता है।

यहां के लोगों ने बताया कि, इस मोहल्ला में ‘हर घर नल जल’ योजना भी अधूरी है। लगभग 250 लोगों के घरों में योजना अभी तक पहुंची ही नहीं और जहां पहुंची भी है, वहां पानी नहीं आ रहा। यही स्थिति सीवरेज पाइपलाइन कनेक्शन की भी है। यह भी कई क्षेत्रों में लोगों के घरों तक नहीं पहुंचा है। माधोपुर में 200 से अधिक संख्या में स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। ऐसे में, मोहल्ले का अधिकांश हिस्सा रात में अंधेरे में डूबा रहता है, जिसका फायदा असामाजिक तत्व उठा रहे हैं। चोरी, छिनतई और नशाखोरी की घटनाएं आम हो गई हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। यही नहीं इस मोहल्ले की खाली पड़े क्षेत्रों में रात के अंधेरे में नशाखोरी एवं मादक द्रव्यों का व्यापार चरम पर होता है। शराब के साथ-साथ अफीम, चरस, गांजा एवं स्मैक का अवैध धंधा जोरों पर है और यहां के युवाओं को इसका आदी बनाया जा रहा है। लेकिन, पुलिस सोया हुआ है। अपराध पर निगरानी के लिए मोहल्ले में कहीं भी एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा हुआ है। हम लोगों ने वार्ड पार्षद के माध्यम से मोहल्ले में चार हाई मास्ट लाइटों की मांग की थी, लेकिन यह भी अभी तक पूरी नहीं हुई है।

यही नहीं, मुंगेर में माधोपुर शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र है। लेकिन, प्रमुख शिक्षा केंद्र होने के बावजूद यहां की स्थिति दयनीय है। मोहल्ले में तीन सरकारी स्कूल, एक महिला कॉलेज और कई निजी कोचिंग संस्थान हैं, लेकिन इन शिक्षण संस्थानों के आस-पास मनचलों की उपस्थिति और उनकी हरकतें छात्राओं के लिए परेशानी का कारण बनती है। लेकिन, इस समस्या की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं है। मोहल्ले में स्वास्थ्य सेवाएं भी बेहद खराब हैं। एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र किराए की इमारत में संचालित हो रहा है, जहां सप्ताह में मात्र दो दिन ही चिकित्सक आते हैं। सप्ताह के बाकी दिन यह स्वास्थ्य केंद्र एएनएम के भरोसे चलता है। लोगों ने बताया कि, आसपास के 10 वार्डों के 1 लाख से अधिक जनसंख्या इस स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है, लेकिन जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिए जमीन देने की मांग करने पर नगर निगम ने इसके जमीन देने से इनकार कर दिया है। मेयर कुमकुम देवी ने पिछले वर्ष जुलाई में इस संबंध में कहा था कि, स्वास्थ्य केंद्र के लिए नगर निगम की जमीन को बर्बाद नहीं कर सकती। यानि, मेयर की नजर में एक ऐसे स्वास्थ्य केंद्र के लिए नगर निगम की जमीन का एनओसी देना जमीन की बर्बादी है जिस पर लगभग 100000 से अधिक लोग स्वास्थ्य सेवा के लिए निर्भर हों। इस एक बात से ही नगर निगम का इस मोहल्ले के प्रति उपेक्षा का भाव स्पष्ट हो जाता है।

माधोपुर लोगों ने कहा कि, इस मोहल्ले में बच्चों के लिए एक भी खेल के मैदान या पार्क तक नहीं हैं, जबकि पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। नगर निगम से पार्क निर्माण की मांग कई बार की गई है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां आंगनबाड़ी केंद्रों की भी भारी कमी है। माधोपुर में चार आंगनबाड़ी केंद्र की जरूरत है, लेकिन केवल दो ही संचालित हो रहे हैं, वो भी किराए के मकानों में। इसमें से भी एक आंगनबाड़ी केंद्र दूसरे वार्ड में संचालित किया जा रहा है। लोगों ने कहा कि, शिक्षा के प्रमुख केंद्र होने के साथ-साथ बगल में रेलवे स्टेशन होने के चलते इस मोहल्ले से होकर प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग गुजरते हैं। ऐसे में, प्रत्येक वर्ष पड़ने वाली प्रचंड गर्मी को देखते हुए नगर निगम से छात्र-छात्राओं एवं आम राहगीरों के लिए शुद्ध शीतल पेयजल उपलब्ध कराने की मांग की गई थी। इसके लिए नगर निगम से दो जगहों पर वाटर कूलिंग मशीन लगाने का अनुरोध किया गया था। लेकिन, आज तक नगर निगम में इस आवश्यकता की ओर ध्यान नहीं दिया है। आज ये हमारे मोहल्ले की कुछ समस्याएं हैं। इसके अलावा भी अन्य कई समस्याएं हैं जिनपर ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन जब, इन बड़ी समस्याओं के निदान के लिए नगर निगम आगे नहीं आ रहा है तो अन्य समस्याओं की चर्चा करना फिलहाल बेकार है।

कुल मिलाकर माधोपुर मोहल्ला विकास के नाम पर छलावा झेल रहा है। नगर निगम की उदासीनता, भ्रष्टाचार और संवेदनहीनता ने इस क्षेत्र को अंधेरे में धकेल दिया है। ऐसे में आवश्यकता है कि, नगर निगम तत्काल इस दिशा में सकारात्मक पहल करे और माधोपुर को उसका अधिकार दिलाए।

इंफोग्राफिक:

1. माधोपुर की आबादी लगभग 15000 है।

2. मतदाताओं की संख्या लगभग 7000 है।

3. यहां किराए के मकान में संचालित एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र पर आसपास के 10 वार्डों के लगभग 1 लाख से अधिक आबादी स्वास्थ्य सेवा के लिए निर्भर है।

समस्याएं:

1. माधोपुर की मुख्य सड़क का पुनर्निर्माण कार्य घटिया स्तर पर हो रहा है। कहीं मोटाई कम है, कहीं ढलाई बिना खुदाई और लेवलिंग के की जा रही है।

2. नवनिर्मित नाले टूटने लगे हैं, पुराने नालों की सफाई नहीं होती और तीन अन्य वार्डों का कचरा इसी मोहल्ले में फेंका जाता है, जिससे क्षेत्र गंदगी और दुर्गंध से परेशान है।

3. ‘हर घर नल जल’ योजना अभी भी सैकड़ों घरों तक नहीं पहुंची है। जहां कनेक्शन हैं, वहां पानी नहीं आ रहा। साथ ही, अधिकांश स्ट्रीट लाइटें खराब हैं, जिससे रात में अंधेरा रहता है।

4. यहां का एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र किराए की इमारत में संचालित है, जहां सप्ताह में केवल दो दिन ही डॉक्टर आते हैं। इस केंद्र पर लगभग 1 लाख की आबादी निर्भर है।

5. पर्याप्त सरकारी जमीन होते हुए भी पार्क का निर्माण नहीं हुआ है। चार की जगह सिर्फ दो आंगनबाड़ी केंद्र हैं, वह भी किराए पर। स्कूलों के सामने मनचले छात्राओं को परेशान करते हैं और पुलिस आंखें मूंदे हुए है।

सुझाव:

1. सड़क निर्माण कार्य की गुणवत्ता की निष्पक्ष जांच हो। दोषी संवेदक पर कार्रवाई की जाए और उसे ब्लैकलिस्ट किया जाए। प्रत्येक चरण की निगरानी के लिए नागरिक समिति गठित हो।

2. माधोपुर के सभी बड़े नालों की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए। कचरा निपटान हेतु स्थानीय ट्रेंचिंग ग्राउंड या रिसाइकल सेंटर की स्थापना हो। अन्य वार्डों का कचरा यहां फेंकने पर सख्त रोक लगे।

3. माधोपुर में जलापूर्ति योजनाओं को शत-प्रतिशत क्रियान्वित किया जाए।खराब स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत के लिए विशेष तकनीकी टीम गठित की जाए और प्रमुख चौराहों पर हाई मास्ट लाइट लगाई जाए।

4. नगर निगम द्वारा स्वास्थ्य केंद्र के स्थायी भवन के निर्माण के लिए तुरंत एनओसी जारी किया जाएं।चिकित्सकों की नियमित तैनाती हो। केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में विस्तारित किया जाए।

5. खाली पड़ी जमीन पर माधोपुर के बच्चों के लिए पार्कों और खेल मैदानों का निर्माण शीघ्र किया जाए। नए आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाएं और उन्हें सरकारी भवनों में शिफ्ट किया जाए। स्कूलों-कॉलेजों के सामने छात्राओं की सुरक्षा के लिए नियमित पुलिस गश्ती की जाए और अपराधों पर निगरानी के लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाई जाएं।

हमारी भी सुने:

'हर घर नल का जल’ योजना के तहत कई घरों में कनेक्शन तो मिल गया है, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक एक बूंद पानी नसीब नहीं हुआ है। कनेक्शन में भी हाफ इंच का पाइप का प्रयोग किया गया है।

-अरविंद कुमार शर्मा

माधोपुर के साथ नगर निगम सौतेला व्यवहार कर रहा है। लगभग 20 वर्षों के बाद सड़क का निर्माण तो शुरू हुआ है, लेकिन इसमें गुणवत्ता का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा जा रहा है। शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती।

-निरंजन कुमार

माधोपुर में बिजली के खंभों पर लगी सभी एलईडी लाइटें खराब पड़ी हैं। शाम होते ही यह मोहल्ला नशा करने वालों का अड्डा बन जाता है। पुलिस की कोई गश्ती नहीं होती।

-रमण कुमार

माधोपुर की कई कॉलोनियों में एलईडी लाइटें खराब हैं। अंधेरे का फायदा उठाकर असामाजिक तत्वों का जमघट लग जाता है। इससे आने-जाने वाले लोगों में भय बना रहता है।

-कृष्णा कुमार

माधोपुर में आए दिन छिनतई की घटनाएं रात में होती रहती हैं। हाल ही में शादी से लौट रही एक महिला के कान से सोने का झुमका झपट्टा मारकर अपराधी फरार हो गया। महिला रोती रही, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। पुलिस को शाम 8 बजे के बाद पैदल गश्ती करनी चाहिए।

-कुमयोदय

माधोपुर की सड़क लगभग 25 वर्षों बाद बन रही है, लेकिन निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। इस निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। कार्य गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए।

-हिमांशु शेखर

बिजली के खंभों पर लगी एलईडी लाइटें सभी खराब हैं। वार्ड पार्षद से शिकायत के बावजूद इन्हें ठीक नहीं किया गया। अब हम लोग खुद अपने घरों के आगे खंभों पर एलईडी बल्ब लगा रहे हैं।

-आनंद

नगर निगम के पास जमीन उपलब्ध होने के बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किराए के मकान में चल रहा है। वार्ड पार्षद द्वारा कई बार मेयर को लिखित में आवेदन दिया गया, फिर भी इस वार्ड के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है।

-पंकज कुमार

20 वर्षों बाद सड़क का निर्माण हो रहा है, लेकिन यह नवनिर्मित सड़क एक साल में ही जर्जर हो जाएगी। यह सरकार के पैसे का बंदरबांट है।

-मुकेश कुमार

माधोपुर को शिक्षा का हब कहा जाता है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है। इस कारण आए दिन आपराधिक घटनाएं घटती रहती हैं।

-प्रेम कुमार

स्वास्थ्य केंद्र किराए के मकान में संचालित हो रहा है, जबकि माधोपुर में पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। फिर भी नगर निगम एनओसी नहीं दे रहा है।

-विनोद शर्मा

मोहल्ला में लगभग 200 से अधिक एलईडी स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। वार्ड पार्षद के माध्यम से कई बार निगम में शिकायत किया जा चुका है, फिर भी समुचित कार्रवाई नहीं हो रही है।

-धीरेंद्र कुमार

माधोपुर में बच्चों के खेलने के लिए कोई पार्क नहीं है। पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन भी जरूरी है। निगम प्रशासन को यहां पार्क बनाना चाहिए।

-पप्पू कुमार

‘हर घर नल का जल’ योजना का लाभ हमें नहीं मिल रहा है। लगभग 250 घरों में आज तक पानी नहीं पहुंचा है। यही स्थिति सीवरेज योजना की भी है।

-मंटू कुमार

माधोपुर में अभी भी लगभग 250 घरों को हर घर नल जल योजना का कनेक्शन नहीं मिला है। शिकायत के बावजूद न कनेक्शन मिला और न ही पानी।

-ज्ञान कौशिक

माधोपुर के लोगों के साथ नगर निगम सौतेला व्यवहार कर रहा है। लगभग 20 वर्षों बाद सड़क बन रही है, लेकिन इसमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

-दिवेश कुमार

बोले प्रतिनिधि:

हमारे वार्ड में सड़क, नाला और स्वास्थ्य केंद्र की मांग पुरानी है। नगर निगम को कई बार स्वास्थ्य केंद्र के लिए एनओसी देने हेतु लिखित में आवेदन दिया गया, फिर भी नगर निगम की मेयर कुमकुम देवी माधोपुर आसपास के वार्डों की जनता के साथ भेदभाव कर रही हैं। हमारे वार्ड में स्वास्थ्य केंद्र आज भी किराए के मकान में चल रहा है। नगर निगम से कई बार एनओसी की मांग की गई, लेकिन मेयर एवं अधिकारी कहते हैं कि, निगम की जमीन को स्वास्थ्य केंद्र के लिए बर्बाद नहीं किया जाएगा। मैं मेयर साहिबा से एक बार फिर निवेदन करती हूं कि, एनओसी देकर स्वास्थ्य केंद्र निर्माण की अनुमति दें, ताकि लाखों लोगों को इसका लाभ मिल सके।

-श्वेता शर्मा, वार्ड पार्षद

बोले जिम्मेदार:

माधोपुर में गुणवत्ता विहीन सड़क निर्माण की जानकारी यदि आपके माध्यम से मिली है, तो निश्चित रूप से इसकी जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर संवेदक को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। पहले चरण में जिस ग्रुप द्वारा सड़क का निर्माण करवाया गया था, उसकी गुणवत्ता की जांच हमारी टीम द्वारा की गई थी और कार्य मानक के अनुसार हुआ था। अगर आगे के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया, तो संबंधित संवेदक को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। जहां तक एलईडी लाइटों की बात है, उनके रखरखाव हेतु नई एजेंसी का चयन किया गया है और इस सप्ताह से वह कार्य प्रारंभ कर देगी। जो भी लाइटें खराब हैं, उन्हें ठीक किया जाएगा। अन्य समस्याओं का भी जल्द ही निदान किया जाएगा।

-अभिषेक कुमार, प्रभारी नगर आयुक्त, मुंगेर

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