Hindi Newsदेश न्यूज़After the situation on LAC improves relations with China will improve Foreign Secretary is going to visit

LAC पर हालात सुधरने के बाद, चीन संग सुधरेंगे रिश्ते; विदेश सचिव करने वाले हैं दौरा

  • विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि विदेश सचिव-उपमंत्री तंत्र की एक बैठक के लिए चीन जा रहे हैं। इसमें कहा गया है कि इस द्विपक्षीय तंत्र की बहाली नेतृत्व स्तर पर हुए समझौते से हुई है, जिसमें भारत-चीन संबंधों के लिए अगले कदमों पर चर्चा की जाएगी।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 23 Jan 2025 07:54 PM
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LAC पर हालात सुधरने के बाद, चीन संग सुधरेंगे रिश्ते; विदेश सचिव करने वाले हैं दौरा

चीन के साथ सीमा पर विवाद के सुधरने के बाद दोनों देशों के बीच नजदीकियां देखी जा रही हैं। दोनों देशों के बीच संबंधों के सुधार के मद्देनजर राजनयिक स्तर पर बातचीत जल्द ही होने वाले हैं। इस बाबद विदेश सचिव विक्रम मिसरी दो दिवसीय यात्रा पर बीजिंग जाएंगे, जिसकी शुरुआत रविवार से होगी। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने गुरुवार को कहा कि मिसरी विदेश सचिव-उपमंत्री तंत्र की एक बैठक के लिए चीन जा रहे हैं। इसमें कहा गया है कि इस द्विपक्षीय तंत्र की बहाली नेतृत्व स्तर पर हुए समझौते से हुई है, जिसमें भारत-चीन संबंधों के लिए अगले कदमों पर चर्चा की जाएगी। इसमें राजनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों के क्षेत्र भी शामिल हैं।

बीते दिनों चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए और दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति को लागू करना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की हालिया टिप्पणियों पर यह प्रतिक्रिया दी।

जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन 2020 के बाद की सीमा स्थिति से उत्पन्न जटिलताओं से खुद को अलग करने की कोशिश कर रहे हैं और दोनों देशों के बीच संबंधों के दीर्घकालिक विकास पर अधिक विचार किये जाने की आवश्यकता है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हमें द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई व दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखने की जरूरत है, संबंधों को मधुर और स्थिर विकास की पटरी पर वापस लाने तथा बड़े पड़ोसी देशों के लिए सद्भाव के साथ रहने तथा साथ-साथ विकास करने का सही रास्ता खोजने की जरूरत है।”

जयशंकर ने पिछले दशकों में बीजिंग के साथ नयी दिल्ली के संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए 18 जनवरी को मुंबई में नानी पालकीवाला स्मारक व्याख्यान में कहा था कि पिछले नीति-निर्माताओं की गलत व्याख्या, चाहे वह आदर्शवाद या व्यावहारिक राजनीति की अनुपस्थिति से प्रेरित हो, ने चीन के साथ न तो सहयोग और न ही प्रतिस्पर्धा में मदद की है।

उन्होंने कहा था कि पिछले दशक में इस रुख में बदलाव आया है और आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता को दोनों पक्षों के बीच संबंधों का आधार बने रहना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि संबंधों के दीर्घकालिक विकास पर अधिक विचार किए जाने की आवश्यकता है।

गुओ ने जयशंकर की टिप्पणियों पर एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि दो प्रमुख सभ्यताओं, विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, चीन और भारत को विकास पर ध्यान केंद्रित करने और सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के 2.8 अरब से अधिक लोगों के मौलिक हितों को पूरा करता है, क्षेत्रीय देशों और लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करता है, वैश्विक दक्षिण के मजबूत होते ऐतिहासिक रुझान के अनुरूप है तथा इस क्षेत्र और व्यापक विश्व की शांति और समृद्धि के लिए अनुकूल है।

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