क्या होता है 'कोल्ड यूट्रस'? महिलाओं की फर्टिलिटी पर डालता है कैसे असर?
Cold Uterus Symptoms: इस समस्या से पीड़ित महिलाओं के यूट्रस में गर्माहट की कमी हो जाती है और जिसका असर महिलाओं की फर्टिलिटी और रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर पड़ने लगता है। आइए जानते हैं आखिर क्या होता है कोल्ड यूट्रस और कैसे यह समस्या महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित करती है।

खराब जीवनशैली ना सिर्फ आपके जीवन में तनाव को जन्म देती है बल्कि आपकी सेहत को भी कई तरह से नुकसान पहुंचाती है। सेहत से जुड़ी ऐसी ही एक समस्या का नाम कोल्ड यूट्रस (cold uterus)है। इस समस्या से पीड़ित महिलाओं के यूट्रस में गर्माहट की कमी हो जाती है और जिसका असर महिलाओं की फर्टिलिटी और रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर पड़ने लगता है। आइए जानते हैं आखिर क्या होता है कोल्ड यूट्रस, क्या हैं कोल्ड यूट्रस के कारण और लक्षण और कैसे यह समस्या महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित करती है।
कोल्ड यूट्रस क्या है।
कोल्ड यूट्रस या ठंडा गर्भाशय, एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें महिलाओं के यूट्रस में गर्माहट की कमी हो जाती है, जिसका असर महिलाओं की फर्टिलिटी और रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर पड़ता है। बता दें, यह समस्या महिला को गर्भाशय में रक्त संचार की कमी, हार्मोनल असंतुलन, या शरीर में ठंडक की अधिकता होने की वजह से होती है। आयुर्वेद में इस समस्या को 'शीत गर्भाशय' या वात-पित्त दोष के असंतुलन से जोड़कर देखा जाता है। यह एक लक्षण आधारित स्थिति है जो प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
कोल्ड यूट्रस के लक्षण
-अनियमित या दर्दनाक मासिक धर्म
-मासिक धर्म के दौरान कम रक्तस्राव या गहरे रंग का रक्त
-पैरों और पेट के निचले हिस्से में ठंडक और दर्द महसूस होना
-गर्भधारण में कठिनाई या बार-बार गर्भपात
-थकान, कमजोरी, या चक्कर आना
-निम्न बेसल बॉडी टेम्परेचर (BBT)
कोल्ड यूट्रस के कारण
-ठंडे खाद्य पदार्थों (जैसे कच्ची सब्जियां, ठंडे पेय) का अधिक सेवन
-ठंडे वातावरण में लंबे समय तक रहना
-तनाव और नींद की कमी
-हार्मोनल असंतुलन (विशेष रूप से प्रोजेस्टेरोन)
-खराब जीवनशैली, जैसे धूम्रपान या शराब का सेवन
कोल्ड यूट्रस का प्रजनन क्षमता पर असर
रक्त संचार में कमी- कोल्ड यूट्रस या ठंडा गर्भाशय का अर्थ है कि गर्भाशय में रक्त प्रवाह कम हो गया है, जिससे एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की परत) में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है। यह कम रक्त प्रवाह निषेचित अंडे के इम्प्लांटेशन को मुश्किल बना सकता है, क्योंकि एंडोमेट्रियम को भ्रूण को ठीक से सपोर्ट करने के लिए पर्याप्त रक्त और पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाते हैं।
हार्मोनल असंतुलन- प्रोजेस्टेरोन का निम्न स्तर ल्यूटियल फेज को छोटा कर सकता है, जो गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इससे गर्भपात का जोखिम बढ़ता है।
गर्भाशय का संकुचन- ठंडक के कारण गर्भाशय की मांसपेशियां सिकुड़ सकती हैं, जो भ्रूण के विकास के लिए अनुकूल वातावरण को बाधित करता है।
अंडाशय कार्यप्रणाली-ठंडा गर्भाशय अंडाशय के कार्य को प्रभावित कर सकता है, जिससे ओव्यूलेशन अनियमित हो सकता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली- आयुर्वेद के अनुसार, ठंडक शरीर की प्रतिरक्षा को कमजोर कर सकती है, जो गर्भावस्था के लिए आवश्यक ऊर्जा को प्रभावित करती है।
उपचार
-गर्म और पौष्टिक भोजन जैसे सूप, अदरक की चाय, दाल, और मसालेदार भोजन रक्त संचार को बढ़ाते हैं। महिला इसे डाइट में शामिल कर सकती है।
-अश्वगंधा, शतावरी, और तिल का तेल गर्भाशय को गर्म करने और हार्मोन को संतुलित करने में मदद करते हैं।
-योग और व्यायाम जैसे भुजंगासन, सेतुबंधासन, और हल्का व्यायाम रक्त संचार को बढ़ाते हैं।
-पेट के निचले हिस्से पर गर्म पानी की बोतल या गर्म सेंक गर्भाशय को गर्म रखता है।
-पर्याप्त नींद, तनाव प्रबंधन, और ठंडे वातावरण से बचाव प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर करता है।
सावधानी
यदि किसी महिला को गर्भधारण में कठिनाई हो रही है, तो अल्ट्रासाउंड, रक्त परीक्षण (HCG, प्रोजेस्टेरोन), करवाए जा सकते हैं। इसके अलावा अत्यधिक गर्म भोजन या सेंक से भी बचना चाहिए, क्योंकि यह हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकता है। इस बात का खास ख्याल रखें कि किसी भी उपचार से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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