बोले रांची: सप्ताह में 3 दिन ही जलापूर्ति, कचरा डंपिंग यार्ड तुरंत हटाएं
रांची के कांटाटोली क्षेत्र की टमटम टोली और चुनवा टोली में तीन हजार से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी है। स्थानीय निवासियों ने सड़कों, स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक शौचालय और जलापूर्ति की...

रांची, संवाददाता। कांटाटोली की टमटम टोली और चुनवा टोली राजधानी के बीच में बसी है, जहां तीन हजार से अधिक की आबादी निवास करती है। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने कहा कि यहां सड़क, स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक शौचालय, जलापूर्ति आदि की व्यवस्था नहीं है। कहा कि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कई बार अधिकारियों से आग्रह किया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सप्ताह में तीन दिन जलापूर्ति होती है, जिसे बढ़ाई जाए। मुहल्ले में कचरा का डंपिंग यार्ड बना दिया गया है, जिससे बच्चे बीमार पड़ते हैं। इसके बदले डस्टबिन लगाई जाए। रांची के कांटाटोली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली टमटम टोली और चुनवा टोली में सफाई व्यवस्था की बदहाल स्थिति स्थानीय लोगों के लिए बड़ी परेशानी बन गई है।
हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने कहा कि इन दोनों मोहल्लों में लगभग तीन हजार से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। साफ-सफाई होती ही नहीं है। यहां मुख्य सड़क पर ही खुले में कचरा फेंका जा रहा है, जिससे पूरे इलाके में गंदगी और दुर्गंध फैली हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर कचरा फेंकने के लिए कोई डस्टबिन नहीं लगाई गई है। नतीजतन मोहल्ले के लोग मजबूरी में खुले में कचरा फेंकते हैं, जिससे जगह-जगह कचरे के ढेर लग गए हैं। सबसे अधिक परेशानी तब होती है, जब बारिश के दिनों में कचरा पानी में बहकर गलियों में फैल जाता है और संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लोगों ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि निगम की ओर से नियमित रूप से कचरा उठाने की व्यवस्था नहीं है। साथ ही किसी भी घर से कचरा उठाया ही नहीं जाता, जबकि कुछ जगहों पर केवल डंपयार्ड से ही कचरा उठाव किया जाता है। ऐसे में मोहल्ले के भीतर गंदगी बढ़ती जा रही है और वातावरण दूषित होता जा रहा है। स्थानीय निवासियों की मांग है कि मोहल्ले के अंदर बनाए गए डंपयार्ड को तुरंत हटाया जाए। इसके स्थान पर प्रत्येक गली या मुख्य स्थानों पर डस्टबिन लगाई जाए, ताकि लोग उसमें कचरा डाल सकें। साथ ही मोहल्ले में घर-घर से कचरा उठाव की व्यवस्था की जानी चाहिए और क्षेत्र की सफाई नियमित रूप से होनी चाहिए। लोगों ने यह भी कहा कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह गंदगी खतरे का कारण बन रही है। दुर्गंध के कारण सांस लेने में भी तकलीफ होती है। इस मुद्दे पर कई बार शिकायत किए जाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। खेलकूद की कोई समुचित व्यवस्था नहीं टमटम टोली और चुनवा टोली में बच्चों और युवाओं के लिए खेलकूद की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। पूरा इलाका जनसंख्या के हिसाब से घनी बस्ती वाला है, लेकिन कहीं भी कोई सार्वजनिक खेल का मैदान नहीं है। बच्चे मोहल्ले में स्थित एक पुराने उर्दू पब्लिक स्कूल के परिसर में जाकर खेलते हैं। यह स्कूल कई वर्षों से बंद पड़ा है और इसका छोटा मैदान ही अब एकमात्र विकल्प बन चुका है, जहां बच्चे क्रिकेट, फुटबॉल या अन्य खेल गतिविधियां कर सकते हैं। हालांकि, यह जगह भी अब सुरक्षित नहीं रह गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम होते ही वहां नशेड़ियों और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। खुलेआम शराब पीना, गांजा , ड्रग्स का सेवन करते हैं। इससे बच्चों का मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास प्रभावित हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खेल न सिर्फ स्वास्थ्य का माध्यम होता है, बल्कि अनुशासन, सहयोग, नेतृत्व और तनाव मुक्ति का जरिया भी है। लोगों की मांग है कि बंद पड़े स्कूल के आसपास स्ट्रीट लाइट लगाई जाए। उसके मैदान को नगर निगम के सहयोग से विकसित कर सार्वजनिक खेल मैदान में तब्दील किया जाए। साथ ही वहां नियमित सुरक्षा व्यवस्था हो, ताकि असामाजिक तत्वों की गतिविधियों पर अंकुश लगे। अपर्याप्त बोरिंग, गंदा आता है सप्लाई वाटर कांटाटोली स्थित टमटम टोली और चुनवा टोली में पानी की समस्या सबसे गंभीर और पुरानी समस्याओं में से एक है। इस क्षेत्र में सप्ताह में महज तीन दिन ही सप्लाई पानी की आपूर्ति होती है। साथ ही सप्लाई पानी में कई बार गंदा पानी भी आता है, जिससे लोगों को परेशानी होती है। लोगों ने कहा कि नगर निगम ने कुछ राहत देने के उद्देश्य से मोहल्लों में एक-एक बोरिंग कर टंकी लगाने की व्यवस्था की है, लेकिन यह व्यवस्था मौजूदा घनी आबादी के लिए पर्याप्त नहीं है। एक टंकी से 100 से अधिक परिवारों को पानी उपलब्ध कराना संभव नहीं हो पाता। लोगों ने कहा कि सप्लाई पानी की पाइप की मरम्मत हो और निगम की ओर से इलाके में डीप बोरिंग करवाई जाए। मोहल्ले में स्ट्रीट लाइट नहीं, जहां हैं वहां खराब होकर बंद पड़ी मोहल्ले के अधिकांश हिस्सों में स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है। स्थानीय लोगों ने कहा कि जहां लाइट लगी है, उनमें से कई खराब पड़ीं हैं। शाम होते ही पूरा मोहल्ला अंधेरे में डूब जाता है, जिससे न सिर्फ राहगीरों को कठिनाई होती है, बल्कि आपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे कई बार निगम कार्यालय में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। मोहल्ले की अप्रोच सड़कें जर्जर एक तरफ ही नाली का निर्माण इस माेहल्ले को जोड़ने वाली कई संपर्क सड़कें अत्यंत खराब स्थिति में हैं। कई स्थानों पर सड़कें पूरी तरह से उखड़ चुकी हैं, जहां गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं। बरसात में ये गड्ढे पानी से भर जाते हैं और दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। यहां मुख्य सड़क के केवल एक ओर नाली का निर्माण किया गया है, लेकिन उसकी नियमित सफाई नहीं होने के कारण वह पूरी तरह गंदगी से जाम हो चुकी है। सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित रह गए मोहल्ले के लोग टमटम टोली और चुनवा टोली के कई निवासी आज भी सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से वंचित हैं। चाहे वह वृद्धावस्था पेंशन हो, विधवा पेंशन, कई पात्र परिवारों को अब तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है। मोहल्ले में कई ऐसे बुजुर्ग हैं जिनकी आय का कोई साधन नहीं है, लेकिन पेंशन सूची में उनका नाम नहीं है। महिलाएं और दिव्यांग जन भी योजनाओं से बाहर हैं। समस्याएं 1. मोहल्ले की मुख्य सड़क पर कचरा डंपिग से बदबू और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी 2. सप्ताह में तीन दिन आता है सप्लाई पानी, निगम की ओर से डीप बोरिंग अपर्याप्त 3. खेल के मैदान की कमी, एक मैदान जिसमें असामजिक तत्वों का रहता है कब्जा 4. अप्रोच सड़कों की जर्जर स्थिति, एक ओर ही हुआ है अब तक नाली का निर्माण 5. सर्वाजनिक शौचालय की कमी, सामाजिक सुरक्षा से वंचित मोहल्लावासी सुझाव 1. मोहल्ले की मुख्य सड़क पर कचरा डंपिग हटाया जाए, हर घर से कचरे का उठाव हो। 2. निगम और अधिक डीप बोरिंग की व्यवस्था करें, जिससे जलसंकट से निजात मिले 3. निगम मैदान को अपने अंतर्गत लेकर सार्वजनिक खेल के मैदान के रूप में विकसित करे। 4. अप्रोच सड़कों की मरम्मत हो, सड़क के दोनों ओर नाली का निर्माण किया जाए। 5. सर्वाजनिक शौचालय का निर्माण हो, सामाजिक सुरक्षा का लाभ मोहल्लेवासियों को दी जाए। :: बोले लोग :: यहां मुख्य सड़क पर ही खुले में कचरा फेंका जा रहा है, जिससे पूरे इलाके में गंदगी और दुर्गंध फैली हुई है। यहां पर कचरा फेंकने के लिए कोई डस्टबिन नहीं लगाई गई है। नतीजतन मोहल्ले के लोग मजबूरी में खुले में कचरा फेंकते हैं, जिससे जगह-जगह कचरे के ढेर लग गए हैं। खेल के मैदान की कमी है। एक मैदान है, उसमें भी असामाजिक तत्व सक्रिय हैं। -पवन तिर्की इस क्षेत्र में कई स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। स्कूल वाले मैदान में भी स्ट्रीट लाइट लगाने की आवश्यकता है, जिससे असामाजित तत्वों पर नकेल कसी जा सके। यहां कीसड़कों के दोनों किनारे नालियों का निर्माण किया जाए, जिससे बारिश में सड़कों पर जलजमाव न हो। नगर निगम की ओर से पानी के लिए अधिक डीप बोरिंग कराई जानी चाहिए। -नितेश तिर्की रात होते ही पूरा मोहल्ला अंधेरे में डूब जाता है। माेहल्ले की कई स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ीं हैं। महिलाएं बाहर नहीं निकल पातीं। -मरियानी एक्का क्षेत्र में कोई भी सार्वजनिक खेल के मैदान नहीं हैं। एक छोटा सा स्कूल का मैदान है, वहां भी असामाजिक तत्वों का कब्जा है। -पुणे कश्यप यहां गली की मुख्य सड़क पर कचरे का ढेर लगा है। निगम की ओर से डस्टबिन की व्यवस्था नहीं है। लोग मजबूरी में खुले में कचरा फेंकते हैं। -गीता देवी बच्चे गलियों में खेलते हैं या उस पुराने स्कूल के मैदान में, जहां अब नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है। वहां, बच्चों को भेजने में डर लगता है। -अमित वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन के कई पात्र परिवारों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। मोहल्ले में कई ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी आय का कोई साधन नहीं है। -पितृ एक्का सड़क के एक ओर ही नाली का निर्माण किया गया है, जो पूरी तरह से जाम है। बारिश के दिनों में नाली का गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है। -निरंजन तिर्की घरों से कचड़ा उठाव नहीं होता है। मोहल्ले में चारों ओर गंदगी का अंबार लगा है। गंदगी के कारण बदबू से क्षेत्र के लोग काफी परेशान हैं। -मीणा मोहल्ले में घर-घर से कचरा के उठाव की व्यवस्था की जानी चाहिए और क्षेत्र की सफाई नियमित रूप से होनी चाहिए। -सुनिल मिचारी बस स्टैंड के पास हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं, लेकिन सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से पूरा माहौल गंदा हो गया है। -अनुज हेंब्रम नाली सफाई के लिए कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। सड़क की दूसरी तरफ नाली है ही नहीं। -संतोष लकड़ा सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिलता है। यहां के लोगों ने कई बार पेंशन के लिए आवेदन दिया, लेकिन इसकेे बाद भी सुनवाई नहीं हुई। -स्नेहलता
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