बोले रांची: वेंडर मार्केट जैसी स्थाई मछली बाजार की व्यवस्था जल्द हो
घासी समाज के लोग मछली पालन और बेचना अपनी आजीविका के लिए करते हैं। उन्होंने सरकार से मछली बाजारों में प्राथमिकता देने और शिक्षा के क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ाने की मांग की है। समाज की महिलाएं भी मेहनत...

रांची, संवाददाता। घासी समाज के लोग अपनी आजीविका चलाने और बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में समाज के लोगों ने कहा- समाज के लोगों का मुख्य पेशा मछली पालन और बेचना है। सरकार मछली पालन के टेंडर में समाज के लोगों को प्राथमिकता दे। समाज की मांग है कि हाट-बाजारों और तालाबों के टेंडर में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाए। जिस प्रकार फुटपाथ और सब्जी बाजार वालों के लिए मार्केट का निर्माण किया गया है, उसी प्रकार मुख्य रूप से मछली बाजार का भी निर्माण किया जाए। झारखंड में अपनी परंपरागत जीविका, लोककला और सांस्कृतिक विरासत के लिए पहचाना जाने वाला घासी समाज आज भी विकास की मुख्यधारा से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहा है।
सरकार की ओर से चलाई जा रही कई योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। इसके पीछे प्रमुख कारण उनके सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक स्तर पर उपेक्षा है। घासी समाज के लोगों ने हिन्दुस्तान के बोले रांची के मंच से सरकार से कई मांगें रखीं। प्रमुख तौर पर परंपरागत पेशा मछली बेचने को संरक्षित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि घासी समाज का जीवन जलाशयों, तालाबों और पोखरों से जुड़ा रहा है। यह समाज सदियों से मछली पालन और बेचने का काम करता आया है। लेकिन, वर्तमान समय में स्थानीय निकायों की ओर से तालाबों और जल स्रोतों का ठेका (टेंडर) ऐसे प्रभावशाली लोगों को दे दिया जाता है, जो अधिक बोली लगाने की ताकत रखते हैं। इससे पारंपरिक मछुआरे समाज के लोग पीछे छूटते जा रहे हैं। समाज ने मांग की है कि सरकार मछली बेचने के लिए स्थायी बाजारों की व्यवस्था करे, जिसमें घासी समाज के लोगों को प्राथमिकता दी जाए। आज हालत यह है कि इन्हें सड़क किनारे या अस्थायी जगहों पर बैठकर मछली बेचनी पड़ती है, जिससे उनके व्यवसाय को अपमानजनक नजरों से देखा जाता है। घासी समाज के लिए शिक्षा के क्षेत्र में योजनाएं और सुविधाएं बढ़ाने की मांग की है। समाज के लोगों ने कहा कि घासी समाज की बच्चियां और छात्र आज भी इससे वंचित हैं। समाज ने सरकार से मांग की है कि सभी जिलों में अनुसूचित जाति वर्ग की बच्चियों के लिए छात्रावास बने। एसटी वर्ग की तरह एससी वर्ग को भी प्रोत्साहन राशि, स्कॉलरशिप, और विशेष विद्यालय की सुविधा मिले। जहां-जहां समाज की जनसंख्या अधिक है, वहां लाइब्रेरी और डिजिटल लर्निंग सेंटर की स्थापना की जाए। टेंडर और सहिया चयन में महिलाओं को प्राथमिकता घासी समाज की महिलाएं भी पुरुषों की तरह मेहनत करती हैं, चाहे वह मछली पकड़ना हो या बाजार में बेचना। इसके बावजूद उन्हें सरकारी टेंडरों में कोई स्थान नहीं मिलता। समाज की मांग है कि हाट-बाजारों और तालाबों के टेंडर में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाए। इसके साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग द्वारा चयनित सहिया पदों पर भी समाज की महिलाओं को वरीयता देने की मांग की गई है। उनका तर्क है कि सहिया जैसे पद समाज में स्वास्थ्य और जागरुकता फैलाने का माध्यम बनते हैं और इस तरह से महिलाएं समाज के भीतर बदलाव की वाहक बन सकती हैं। अनुसूचित जाति आयोग में समाज को मिले प्रतिनिधित्व: झारखंड सरकार वर्तमान में एससी आयोग (अनुसूचित जाति आयोग) के गठन पर विचार कर रही है। घासी समाज ने मांग की है कि इस आयोग में उनके समाज के लोगों को भी प्रतिनिधित्व मिले, ताकि उनकी आवाज सरकारी नीति निर्धारण तक पहुंचे। यह भी कहा गया कि आयोग के पास समाज के लोगों की संस्कृति, रोजगार, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर स्पष्ट नीतियां होनी चाहिए। परंपराओं-कला को सम्मान से संरक्षित किया जाए घासी समाज के लोगों ने बताया कि मांगें केवल सुविधाएं हासिल करने की कोशिश नहीं हैं, बल्कि यह एक सांस्कृतिक अस्तित्व की लड़ाई है। वे अपने परंपरागत पेशों, लोककला, और सामाजिक मान-सम्मान की रक्षा के लिए खड़े हुए हैं। समाज के लोगों का सरकार से आग्रह किया है कि नीति निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए और उनकी परंपराओं, रीति-रिवाजों, भाषा, कला और जीविका को सम्मान के साथ संरक्षित किया जाए। यह राज्य सरकार के लिए एक अवसर है कि वह झारखंड की जड़ों से जुड़े समाजों को अधिकार और सम्मान दे। एक समान, समावेशी और न्यायसंगत समाज के निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाए। समस्याएं 1. तालाबों और जलाशयों का ठेका सिर्फ प्रभावशाली लोगों को दिया जा रहा है। 2. एक भी जिला में महिला एससी छात्रावास नहीं, जिससे पढ़ाई में परेशानी होती है। 3. भूमिहीन होने के कारण कोई भी आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाता। 4. वर्तमान में भी घासी समाज के लोगों के साथ छुआछूत का व्यवहार। 5. सांस्कृतिक वाद्य यंत्रों को बनाने और बजाने के प्रशिक्षण में नहीं मिलता मौका सुझाव 1. तालाबों और जलाशयों के ठेके में घासी समाज के लोगों को प्राथमिकता मिले। 2. सभी जिलों में महिला एससी छात्रावास की व्यवस्था की जाए। 3. सरकार भूमिहीनों को वन पट्टा दिलाए, जिससे आवास बना सकें। 4. राज्य सरकार छुआछूत के व्यवहार को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि समाज सशक्तीकरण की ओर बढ़े। 5. सांस्कृतिक वाद्य यंत्रों को बनाने और बजाने के प्रशिक्षक के तौर पर तैनात किया जाए। बोले लोग जिस प्रकार सरकार ने दूसरे समाज के लोगों को सामुदायिक भवन दिए हैं, उसी प्रकार घासी समाज को भी सामुदायिक भवन दिया जाए। समाज के अधिकांश लोग निम्न आय वर्ग से आते हैं। इस कारण किराए पर भवन लेना आर्थिक बोझ हो जाता है। शादी-विवाह जैसे सामाजिक कार्यक्रमों को करने में परेशानी होती है। इस तरह के भवन का भार ढोना मुश्किल हो जाता है। -डॉ रिझु नायक भूमिहीन होने के कारण हमारे समाज के पास अंतिम संस्कार से जुड़े कार्य करने के लिए भी जमीन उपलब्ध नहीं है। सरकार के द्वारा अन्य समाज के लोगों को जिस प्रकार भूमि उपलब्ध कराई गई है, उसी प्रकार हमें भी अंतिम कार्य करने के लिए भूमि दी जाए। समाज के लोगों को वन पट्टा अधिनियम की तर्ज पर जमीन दी जाए, जहां समाज के लोग सरकार के द्वारा संचालित योजना जैसे पीएम आवास और अबुआ आवास योजना का लाभ लेकर घर बनाकर रह सकें। -राजन नायक घासी समाज के लोगों को सांस्कृतिक गुरु भी कहा जाता है। पर विभाग की ओर से दिए जाने वाले प्रशिक्षण में एक भी शिक्षक समाज के नहीं हैं। -सोनी नायक संस्कृति से जुड़े सभी प्रकार के बड़े कलाकारों को, जिनमें वाद्ययंत्र वादक, गायक और नर्तक हैं, को सरकारी पेंशन जैसी सुविधा मिले। -डॉ रितु घास शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जाति की महिलाएं और लड़कियां काफी पीछे हैं। सरकार की ओर से छात्रावास की सुविधा नहीं दी गई। -बिनीता नायक शिक्षित नहीं होने के कारण समाज आर्थिक रूप से भी काफी कमजोर होता जा रहा है। सरकार की ओर किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है। -शांति कुमारी घासी समाज को उचित भागीदारी राजनीतिक दलों को देनी चाहिए। राजनीति के क्षेत्र में हमारे समाज की भागीदारी बिल्कुल भी नहीं है। -किरण नायक घासी समाज के लोगों का मुख्य पेशा मछली बेचना है। सरकार मत्स्य पालन पर ध्यान देती है, पर इस काम से जुड़े लोगों पर ध्यान नहीं देती है। -महावीर नायक तालाब, जलाशयों और पोखर के टेंडर और नीलामी होने के कारण हमारे समाज के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। -बजरंग नायक घासी समाज के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले बच्चों के लिए विद्यालय, छात्रावास और लाइब्रेरी जैसी शिक्षा की सभी सुविधाएं सरकार की ओर दी जाए। -घनेश्वर नायक जिस प्रकार से फुटपाथ और सब्जी बाजार वालों के लिए मार्केट का निर्माण किया गया है, उसी प्रकार मछली बाजार का भी निर्माण किया जाए। -संजय नायक
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