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किलर ड्रोन के इंजन-पुर्जे रूस को क्यों दिए? दो चीनी कंपनियों पर बैन लगा आमने-सामने हुए US और ड्रैगन

अमेरिकी प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन इंजन बनाने वाली 'ज़ियामेन लिम्बाच एयरक्राफ्ट इंजन कंपनी' और रूसी कंपनी के साथ काम करने वाली 'रेडलेपस वेक्टर इंडस्ट्री' पर अमेरिका प्रतिबंध लगा रहा है।

Pramod Praveen भाषा, वॉशिंगटनThu, 17 Oct 2024 10:56 PM
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अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने आज (गुरुवार) को हमलावर ड्रोन के इंजन और पुर्जे बनाने वाली दो चीनी कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि इन कंपनियों ने लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम ड्रोन बनाने में रूस की सीधे मदद की जिनका इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में किया गया। पाबंदी लगाने की घोषणा से पहले नाम न बताने की शर्त पर वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका ने पहले चीन पर इस बात के लिए आरोप लगाया था कि वह यूक्रेन के खिलाफ क्रेमलिन के युद्ध को जारी रखने के लिए रूस के सैन्य-औद्योगिक आधार को भौतिक सहायता प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि नवीनतम प्रतिबंधों का उद्देश्य बीजिंग और मॉस्को के बीच ‘प्रत्यक्ष गतिविधि’ को निशाना बनाना है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक बयान में कहा कि रूस के गार्पिया श्रृंखला के लंबी दूरी के हमलावर ड्रोन रूसी रक्षा कंपनियों के सहयोग से चीन में डिजाइन और निर्मित किये गये जिनका उपयोग यूक्रेन में युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के लिए किया गया। इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर तबाही हुई।

बीजिंग ने इस बात पर जोर दिया है कि वह यूक्रेन या रूस को हथियार उपलब्ध नहीं कराता है तथा उसने रूस के साथ अपने व्यापार को सामान्य तथा पारदर्शी बताया है। अमेरिकी प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन इंजन बनाने वाली 'ज़ियामेन लिम्बाच एयरक्राफ्ट इंजन कंपनी' और रूसी कंपनी के साथ काम करने वाली 'रेडलेपस वेक्टर इंडस्ट्री' पर अमेरिका प्रतिबंध लगा रहा है।

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उन्होंने संकेत दिया कि दोनों चीनी कंपनियां वर्ष की शुरुआत से ही रूसियों के साथ मिलकर लंबी दूरी के हमलावर ड्रोन विकसित कर रही थीं। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने टीएसके वेक्टर के लाभकारी स्वामी रूसी नागरिक आर्टेम मिखाइलोविच यामशिकोव और रूसी संस्था टीडी वेक्टर के खिलाफ प्रतिबंधों की भी घोषणा की है।

माना जा रहा है कि इन ड्रोनों का इस्तेमाल यूक्रेन में सैन्य और नागरिक ठिकानों पर किया गया, जिससे बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा और इससे नागरिकों के साथ-साथ सैन् कर्मी भी हताहत हुए हैं। रॉयटर्स ने पिछले महीने ही ऐसी रिपोर्ट दी थी कि रूस ऐसे ड्रोन बना रहा है जिसमें चीनी इंजन और पुर्जों का उपयोग किया गया है।

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