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असद को रूस ने शरण दी और अमेरिका ने तेज किए हमले, सीरिया में क्यों दोनों सुपरपावर को इतनी दिलचस्पी

  • अमेरिका का कहना है कि वह इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हमला बोल रहा है। जो बाइडेन प्रशासन का कहना है कि सीरिया में असद सरकार का पतन हो गया है और ऐसी स्थिति में इस्लामिक स्टेट फिर से उभर सकता है। इसलिए उसे टारगेट करके हमले किए जा रहे हैं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, दमिश्नक/वॉशिंगटनMon, 9 Dec 2024 09:50 AM
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इजरायल और फिलिस्तीन में जारी भीषण संघर्ष के बीच सीरिया में छिड़े गृह युद्ध ने मध्य पूर्व में अशांति की एक और वजह पैदा कर दी है। विद्रोहियों के ताबड़तोड़ हमलों और शहर दर शहर कब्जों के बीच राष्ट्रपति बशर-अल-असद रूस भाग गए हैं। इसके अलावा उनका परिवार भी गायब है। वहीं अमेरिका ने भी सक्रियता बढ़ा दी है और सीरिया पर हवाई हमले किए हैं। अमेरिका का कहना है कि वह इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हमला बोल रहा है। जो बाइडेन प्रशासन का कहना है कि सीरिया में असद सरकार का पतन हो गया है और ऐसी स्थिति में इस्लामिक स्टेट फिर से उभर सकता है। इसलिए उसे टारगेट करके हमले किए जा रहे हैं।

इस तरह बशर-अल-असद परिवार के 6 दशकों का शासन अमेरिका में खत्म हो गया है। बीते 13 सालों से देश में गृह युद्ध छिड़ा हुआ था और अब उसकी परिणति के तौर पर असद को देश ही छोड़ना पड़ा है। बशर-अल-असद के पिता ने 1970 में सत्ता पर कब्जा जमाया था और उसके बाद 2000 से ही असद का शासन चल रहा है। सीरिया के इन हालातों नेअमेरिका और रूस के बीच भी एक नई रेस शुरू कर दी है। एक तरफ अमेरिका असद सरकार को अपना विरोधी मानता रहा है तो वहीं रूस की पुतिन सरकार उसकी समर्थक रही है। यही वजह है कि असद ने देश छोड़ा तो रूस निकल गए और असद की विदाई के बाद अमेरिका अब अपनी पैठ मजबूत करना चाहता है।

सीरिया के दमिश्क समेत कई बड़े शहरों पर बागियों का कब्जा हो चुका है। वहीं अमेरिका का कहना है कि उसने 75 इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हमले किए हैं। दक्षिण पूर्व सीरिया में पहले से ही अमेरिका के 900 सैनिक तैनात हैं, जो इस्लामिक स्टेट से मुकाबले के लिए रखे गए हैं। बाइडेन का कहना है कि बशर-अल-असद सरकरा का गिरना स्वाभाविक न्याय है। उन्होंने कहा कि सीरिया में लंबे से उत्पीड़न झेल रहे लोगों के लिए यह राहत की सांस है। वहीं बशर-अल-असद और उनके परिवार को रूस ने शरण दे रखी है। इस तरह रूस और अमेरिका के बीच इस मसले पर सीधा टकराव दिख रहा है।

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बता दें कि सीरिया में इस्लामिक संगठन हयात तहरीर अल-शाम ने 11 दिन पहले ही ऐलान किया था कि अब असद फैमिली के शासन का अंत होने वाला है। विद्रोहियों के शीर्ष कमांडर अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने कहा कि यह पूरे क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक विजय की तरह है। सीरिया में विद्रोहियों ने 27 नवंबर को ही हमले तेज किए थे, जिस दिन इजरायल और हिजबुल्ला के बीच सीजफायर हुआ था। गौरतलब है कि सीरिया में बीते 13 सालों में 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये लोग विद्रोहियों या फिर सरकार के द्वारा की गई हिंसा में मारे गए।

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