जब खामेनेई के खास ने सीरिया को बताया था ‘गोल्डन रिंग’; बशर का जाना ईरान को कितना बड़ा झटका?
- सीरिया में लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के बाद राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन का पतन हो चुका है। बरसों से प्रतिशोध की धुरी तैयार कर रहे ईरान के लिए कैसे यह एक बड़ा झटका है?
सीरिया में बशर अल असद की सरकार के पतन से ईरान के लिए स्थिति बदतर होती जा रही है। ईरान ने बरसों से मिडिल ईस्ट में आतंकवादी गुटों और प्रॉक्सी सरकारों की मदद से ‘एक्सिस ऑफ रजिस्टेंस’ यानी प्रतिरोध की धुरी बनाई है। हालांकि अब यह दशकों पुरानी रणनीति फेल होती दिख रही है। एक तरफ जहां गाजा में ईरान समर्थित हमास अंतिम सांसे गिन रहा है तो वहीं दूसरी तरफ लेबनान में इजरायल ने ईरान के सबसे शक्तिशाली सहयोगी हिजबुल्लाह की कमर तोड़ दी है। इजरायल ने पहली बार ईरान में घुसकर भी सफल हवाई हमले किए हैं जिससे ईरान को झटका लगा है। अब सीरिया में ईरान के लंबे समय से सहयोगी राष्ट्रपति बशर असद की सरकार का पतन हो गया है। रविवार अहले सुबह विद्रोही गुटों ने दमिश्क पर कब्जा करके असद परिवार की 50 से ज्यादा सालों से आ रही तानाशाही का अंत कर दिया।
ईरान कुछ ही समय पहले मिडिल ईस्ट में तेजी से उभर रहा था। एक्सिस ऑफ रजिस्टेंस अपने चरम पर था। लेबनान में हिजबुल्लाह इजरायल के खिलाफ बड़ी चुनौती के रूप में उभरा। ऐसा लग रहा था कि असद ने अरब स्प्रिंग विद्रोह से जन्मे गृहयुद्ध में जीत हासिल कर ली है। इराकी विद्रोहियों ने ईरान द्वारा डिजाइन किए गए बमों से अमेरिकी सैनिकों को मार डाला। यमन के हुती विद्रोहियों ने सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन से लड़ाई लड़ी। इन सब में चौराहे पर मौजूद सीरिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
‘गोल्डन रिंग’ टूटा
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के एक प्रमुख सलाहकार अली अकबर वेलयाती ने एक बार असद और सीरिया को चेन ऑफ रजिस्टेंस में ‘गोल्डन रिंग’ कहा था। उस वक्त ईरान ने कहा था, “सीरियाई सरकार के बिना यह चेन टूट जाएगी और इजरायल और उसके समर्थकों के खिलाफ लड़ाई कमजोर हो जाएगी।" अब यह चेन सचमुच टूट चुकी है। ईरान के लिए सीरिया एक महत्वपूर्ण भौगोलिक कड़ी थी जिसकी मदद से ईरान लेबनान में हिजबुल्लाह को हथियार और दूसरी चीजें भेजता था। हिजबुल्लाह के लिए यह बड़ी चुनौती होगी और इजरायल के साथ संघर्ष में उनके लिए यह एक बड़ा झटका है। यूएई के एक वरिष्ठ विश्लेषण अनवर गरगाश ने इस मामले पर अपनी राय दी है। उन्होंने बहरीन में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "गाजा और लेबनान में हो रही चीजों और सीरिया में घटनाक्रमों से ईरान का प्लान बिखर गया है।”
घरेलू स्तर पर भी असर
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों ने उसकी अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर दिया है। ईरान के शासकों ने लंबे समय से अपने क्षेत्रीय नेटवर्क को ईरानियों के सामने ताकत के रूप में प्रचारित किया है और इस नेटवर्क के कमजोर होने से घरेलू स्तर पर भी असर पड़ सकता है। माना जाता है कि असद को सहारा देने के लिए ईरान द्वारा खर्च किए गए अरबों डॉलर की वजह से देश के लोगों में नाराजगी थी। इसे लेकर 2022 में प्रदर्शन भी हुए थे। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने रविवार देर रात असद शासन के अंत पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा, "आश्चर्यजनक बात यह थी कि सीरिया की सेना मुकाबला करने में फेल रही। यह अप्रत्याशित था।"
अब ईरान के पास क्या रास्ते हैं?
सीरिया में हुए नुकसान का मतलब यह नहीं है कि ईरान की मिडिल ईस्ट में शक्ति दिखाने की क्षमता खत्म हो गई है। हुती विद्रोही इजरायल और लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर हमले जारी रख सकते हैं। ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को भी और तेज कर सकता है। IAEA के प्रमुख ने शुक्रवार को यह भी चेतावनी दी कि ईरान ने अपने हथियार-ग्रेड यूरेनियम के भंडार को बेहद तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया है।
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