DONALD TRUMP ON ZELENSKY: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से यूक्रेन को धमकी दी है। ट्रंप ने कहा कि मुझे लगता है कि जेलेंस्की रेयर अर्थ मिनरल डील से पीछे हटना चाहते हैं अगर ऐसा होता है तो यह उनके लिए बहुत बड़ी समस्या लेकर आएगा।
मैक्रोन ने बताया कि पेरिस में एकत्र हुए 27 नेताओं, जिनमें यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की, निवर्तमान जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ और इतालवी PM जियोर्जिया मेलोनी शामिल थे, ने सहमति व्यक्त की कि वे शांति स्थापित होने तक रूस पर प्रतिबंधों को कम नहीं करेंगे।
दक्षिण कोरिया की सेना के अनुसार, उत्तर कोरिया ने रूस की मदद के लिए 3,000 नए सैनिक भेजे हैं, जिससे यूक्रेन में लड़ रहे उत्तर कोरियाई सैनिकों की कुल संख्या 14,000 हो गई है।
डोनाल्ड ट्रंप के ग्रीनलैंड को संयुक्त राज्य में शामिल कर लेने के प्लान को रूसी राष्ट्रपति ने आश्चर्यजनक नहीं बताया है। पुतिन का कहना है कि अमेरिका इसमें ऐतिहासिक रूप से दिलचस्पी लेता रहा है।
यूक्रेन के मामले पर गुरुवार को यूरोपियन यूनियन के देशों ने एक मीटिंग बुलाई है। इस बैठक में तय किया जाएगा कि कैसे सीजफायर डील की जाएगी। एक विकल्प यह भी है कि ऐसे यूरोप के देशों की सेनाओं को भी यूक्रेन में तैनात किया जाए, जो इच्छुक हों।
रूस ने US के साथ सऊदी वार्ता पर एक बयान प्रकाशित किया है। इसमें कई शर्तें लगाई गई हैं जो काला सागर समझौते से जुड़ी हुई हैं। इसमें कहा गया है कि यह समझौता तभी लागू होगा, जब रूसी बैंकों पर से प्रतिबंध हटाए जाएंगे।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूत बनकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलने वाले दूत विटकॉफ ने कहा है कि ट्रंप पर हमले के बाद पुतिन ने उनके लिए प्रार्थना की थी। इतना ही नहीं अभी हाल में जब वह पुतिन से मिले तो उन्होंने ट्रंप के लिए एक तोहफा भी दिया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिलहाल रूस और यूक्रेन के बीच समझौता कराने में जुटे हुए हैं। ट्रंप ने मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बातचीत करने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति से भी बातचीत की। इस दौरान ट्रंप ने एक बड़ी मांग कर दी।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच दो घंटे लंबी वार्ता हुई। इसके बाद यूक्रेन और रूस के बीच तीन सालों से चली आ रही जंग में सीजफायर पर सहमति बन गई। पोलैंड के उप-विदेश मंत्री व्लादिस्लॉ बारतोसज्विस्की ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के रुख के चलते ऐसा हुआ है।
इस बातचीत के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उम्मीद जगी है कि यूरोप में शांति स्थापित हो सकेगी। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या दोनों पक्ष इस युद्ध विराम का पालन करेंगे या नहीं।