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जब 1971 में असद के पिता ने किया था तख्तापलट; सीरिया में शिया परिवार की तानाशाही के 54 साल

  • सीरिया में बशर अल असद की सरकार गिर गई है और इसके साथ ही हो गया है असद परिवार के पांच दशक पुराने शासन का अंत। कैसे सुन्नी बहुल देश में इस परिवार ने इतने साल जमाए रखें अपने पैर?

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानMon, 9 Dec 2024 07:41 AM
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‘डॉक्टर अब तुम्हारी बारी है।’ 14 साल के एक बच्चे ने जब अपनी स्कूल के दीवार पर यह बात लिखी उस वक्त उसे अंदाजा भी नहीं था कि यह एक वाक्य सीरिया में दशकों की तानाशाही के अंत की वजह बन जाएगी। सीरिया में रविवार को राष्ट्रपति बशर अल असद के परिवार के 54 साल पुराने शासन का अंत हो गया है। बशर को आखिरकार देश छोड़कर भागना पड़ा है और खबरों के मुताबिक उन्होंने रूस में शरण ली है। हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व में विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क सहित हमा और अलेप्पो जैसे देश के कई प्रमुख शहरों में कब्जा कर लिया है और सरकार के पतन को तानाशाही का अंत बताया है।

राष्ट्रपति बशर और उनके पिता हाफिज अल-असद ने सीरिया पर 50 से ज्यादा सालों तक शासन किया। 1971 में हाफिज ने सैन्य तख्तापलट करके सत्ता हथिया ली थी। 1946 में देश की आजादी के बाद सीरिया में कई बार तख्तापलट की असफल कोशिशें हुई थी और हाफिज का उदय इसी राजनीतिक अस्थिरता के बीच हुआ। अलावी अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले हाफिज ने सत्ता में खुद के पैर जमाने के लिए देश में सांप्रदायिक बंटवारे का फायदा उठाया। उन्होंने फुट डालो और राज करो की रणनीति अपनाई और अपनी सरकार में सिर्फ अलावी लोगों को ही प्रमुख सैन्य और सरकारी पदों पर बिठाया। इससे परिवार के दशकों के शासन की नींव बनी। हाफिज ने 1982 में हमा में मुस्लिम ब्रदरहुड को बेरहमी से कुचल दिया था। इसमें हजारों लोग मारे गए और हाफिज असद की तानाशाही का सबसे बड़ा प्रमाण बना। उनके शासन के दौरान असहमति या विरोध का एक ही अंजाम था- मौत।

‘डॉक्टर’ बशर अल-असद

जब 2000 में हाफिज अल-असद की मौत हुई तो लोगों को उम्मीद की किरण नजर आई। लोगों को लगा कि पढ़े लिखे बशर अल-असद सुधार लेकर आयेंगे। विदेश में मेडिकल की पढ़ाई कर लौटे बशर राजनीति से दूर थे। हालांकि 1994 में बड़े भाई बैसेल की एक सड़क दुघर्टना में मौत हो गई। इसके बाद सत्ता बशर को मिली। शुरुआत में बशर मॉडर्नाइजेशन के समर्थक भी थे। हालांकि बशर को अपने पिता से तानाशाही की विरासत मिली। हाफिज ने एक सख्त राजनीतिक प्रणाली और मिलिट्री और इंटेलिजेंस सर्विसेज में वफादारों का एक शक्तिशाली नेटवर्क तैयार कर रखा था। बशर के भाई माहेर और चचेरे भाई रामी मखलौफ सत्ता का प्रमुख चेहरा बने और अन्य लोगों के साथ मिलकर देश को लूटने लगे। देश भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया। 2011 में जब अरब स्प्रिंग सीरिया पहुंचा तब तक बशर के शासन में सीरिया पहले से ही आर्थिक मंदी, गरीबी और अकाल से जूझ रहा था।

5 लाख से ज्यादा लोगों ने गवां दी जान

सीरियाई लोगों ने 2011 में बशर के शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना शुरू किया जो जल्द ही एक गृह युद्ध में बदल गया। इस दौरान 5 लाख से से ज्यादा लोगों के मारे जाने का अनुमान है। असद ने नियंत्रण बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा दी। लोगों पर खुलेआम हवाई हमले करवाएं। यहां तक कि दो बार केमिकल हथियारों का भी इस्तेमाल किया जिसकी पूरी दुनिया में निंदा ही। असद की सेना ने सबसे बड़े शहर अलेप्पो के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण खो दिया था। उस समय उसे रूस और ईरान ने बचा लिया था।

एचटीएस ने दी आखिरी शह और मात

2016 में एचटीएस नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी ने अल-कायदा के साथ संबंध तोड़ने और धार्मिक सहिष्णुता को अपनाने की कसम खाने के बाद समूह की छवि को फिर से बनाने की कोशिश की। समूह ने उत्तर-पश्चिम सीरिया के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण किया और इस क्षेत्र में 2017 में एक ‘फ्री गवर्नमेंट’ भी बनाया। ISIS जैसे चरमपंथी समूहों के उदय के साथ-साथ अमेरिका, रूस और तुर्की जैसी शक्तियों के विदेशी हस्तक्षेप ने युद्ध को जटिल बना दिया था। बीते दिनों हयात तहरीर अल-शाम ने ईरान और हिजबुल्लाह का ध्यान इजरायल पर होने और रूस के यूक्रेन युद्ध में उलझे होने का फायदा होते हुए बशर को आखिरकार सत्ता से बेखदल कर दिया।

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