UP Shikshak bharti: नियुक्ति पत्र के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक, पांच साल कानूनी लड़ाई के बाद शुरू हुई थी नियुक्ति
UP Shikshak bharti after 5 years:अर्चना राय की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इस भर्ती में यथास्थिति बराकरार रखते हुए दो फरवरी को सुनवाई की तारीख लगाई है।
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 12460 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत रिक्त 6470 पदों पर भर्ती के लिए पांच साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले बेरोजगारों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही। इन अभ्यर्थियों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच के बाद दो चरणों में 29 दिसंबर और सात जनवरी को नियुक्ति पत्र वितरित करने के 24 घंटे बाद सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
अर्चना राय की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इस भर्ती में यथास्थिति बराकरार रखते हुए दो फरवरी को सुनवाई की तारीख लगाई है। इसके चलते चयनित शिक्षकों के प्राथमिक स्कूलों में पदस्थापन की कार्रवाई ठप हो गई है। शिक्षक भर्ती नियमावली 1981 में किसी भी जिले में उन्हीं प्रशिक्षुओं की नियुक्ति का प्रावधान था जहां से आवेदक ने प्रशिक्षण किया था। हालांकि सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने 2018 में एक सर्कुलर जारी कर उन अभ्यर्थियों को दूसरे जिले से आवेदन का अवसर दिया था जिन जिलों में पदों की संख्या शून्य थी। इसके खिलाफ अर्चना राय ने याचिका की थी। उधर लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच के नवंबर में जारी आदेश पर भर्ती शुरू हो गई। कुछ जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने अपने कार्यालय में शिक्षकों को कार्यभार भी ग्रहण करा दिया लेकिन पदस्थापन की कार्रवाई से पहले ही सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी।
75 में से 24 जिलों में नहीं था एक भी पद
12460 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन 15 दिसंबर 2016 को जारी हुआ था। प्रदेश के 75 में से 24 जिलों में एक भी पद रिक्त नहीं था। इन अभ्यर्थियों को किसी भी एक अन्य जनपद में आवेदन करने की छूट थी। 16 मार्च 2017 को पहली काउंसिलिंग हुई लेकिन इस बीच सरकार बदलने के बाद भर्ती पर रोक लग गई। 16 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री योगी ने भर्ती शुरू करने की अनुमति दी।
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