Hindi Newsकरियर न्यूज़UP Primary Teacher: No counseling for recruitment on 12091 posts even on court orders

यूपी प्राथमिक शिक्षक: कोर्ट के आदेश पर भी 12091 पदों पर भर्ती की काउंसिलिंग नहीं

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 72825 पदों पर हुई शिक्षक भर्ती में शेष रह गए 12091 पदों पर हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पात्र अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग नहीं हो रही। उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस

Alakha Ram Singh प्रमुख संवाददाता, प्रयागराजThu, 8 Feb 2024 09:11 AM
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UP Shikshak Bharti : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में बचे हुए 12091 पदों पर नियुक्ति को लेकर अफसर रुचि नहीं ले रहे। हाईकोर्ट ने 22 से 25 जनवरी तक विज्ञापन जारी करते हुए पांच फरवरी से शुरू हो रहे सप्ताह में काउंसिलिंग की तारीख देने के आदेश दिए थे। काउंसिलिंग का परिणाम फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जारी होना था। लेकिन न तो विज्ञापन जारी हुआ और न ही काउंसिलिंग ही हो सकी है। 12091 सूची में शामिल प्रतापगढ़ के शैलेश पांडेय का कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा है।

क्या है मामला ?

72825 शिक्षक भर्ती में विभिन्न जिलों में काउंसिलिंग के बावजूद न्यूनतम कटऑफ अंक अनारक्षित (105)/ आरक्षित (90) से अधिक पाने वाले कई अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए थे। प्रतापगढ़ के अभ्यर्थी राहुल पांडेय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दो नवंबर 2015 को ऐसे अभ्यर्थियों से प्रत्यावेदन लेने का आदेश दिया था। उस समय तक 58135 पद भर चुके थे। कोर्ट के आदेश पर लगभग 75 हजार अभ्यर्थियों ने प्रत्यावेदन दिया जिसमें से 12091 को पात्र बताते हुए उनकी लिस्ट जारी की गई। हालांकि बाद में यह प्रकरण कानूनी लड़ाई में उलझा रह गया और आज तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।

उम्मीद है कि यूपी सरकार जल्द इस मामले पर विचार कर शेष पदों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करेगी और अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी पाने में आने वाली कई प्रकार की अड़चनों को दूर करने की पहल और तेज करेगी। 

69000 शिक्षकों में 70.5 प्रतिशत आरक्षित वर्ग के : सुरेश खन्ना
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण का पूरी तरह पालन किया गया है। 69000 शिक्षकों में अन्य पिछड़ा वर्ग, दलित व एसटी वर्ग की तादाद 48699 है यानी 70.5 प्रतिशत लोग केवल आरक्षित वर्ग से ही हैं। सुरेश खन्ना ने विधानसभा में यह बात सपा के संग्राम यादव के उठाए सवाल पर कही। संग्राम यादव ने नियम-56 में यह मामला उठाते हुए कहा कि सरकार अदालत में प्रभावी पैरवी नहीं कर रही है। ओबीसी व दलित वर्ग के लोग दर-दर भटक रहे हैं। सरकार की कथनी व करनी में फर्क साफ दिख रहा है। सुरेश खन्न्ना ने कहा कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। अदालत इसमें जो भी निर्णय देगी, उसका पालन कराया जाएगा।

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