JEE Main : जेईई मेन में क्या हो प्लान बी, क्यों है जरूरी, BTech की अन्य राहें भी जानें
जेईई मेन में कम पर्सेंटाइल पाने वालों के लिए अगला कदम क्या हो इससे जुड़ी जरूरी बातें जानना भी अहम है। जेईई मेन्स के लिए फिर से करें तैयारी या अपनाएं इंजीनियरिंग का प्लान बी। जानें एक्सपर्ट से।

आने वाली 18 मई को जेईई एडवांस की परीक्षा है। लेकिन बहुत से छात्र होंगे, जो इस परीक्षा के पहले पड़ाव यानी जेईई मेन्स तक नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे में अगर इंजीनियरिंग आपका सपना है, तो अगला कदम क्या हो इससे जुड़ी जरूरी बातें जानना भी अहम है। जेईई मेन्स के लिए फिर से करें तैयारी या अपनाएं इंजीनियरिंग का प्लान बी, ऐसी कुछ उलझनों और कुछ विकल्पों के बारे में विशेषज्ञ की राय जानना जरूरी है। इस साल 12 लाख से ज्यादा छात्रों ने इंजीनियरिंग की प्रतिष्ठित जेईई मेन्स परीक्षा जनवरी माह में दी, लेकिन कुल में से लगभग 2.5 लाख छात्र ही जेईई एडवांस के लिए उत्तीर्ण कर पाए। वहीं आंकड़े यह भी कहते हैं कि इसमें से लगभग 30-40 फीसदी छात्र हर साल ऐसे होते हैं, जो जेईई मेन्स दोबारा दे रहे होते हैं। यहां बता दें कि जिन युवाओं ने अपना भविष्य इंजीनियरिंग में बनाने का सपना देखा है, उनके लिए जेईई मेन्स और एडवांस परीक्षा के माध्यम से इंजीनियरिंग के टॉप के आईआईटी संस्थानों में प्रवेश का रास्ता खुलता है। इसीलिए इस परीक्षा में हर साल लाखों छात्र बैठते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही जेईई एडवांस देने के योग्य निकलते हैं। अब इस बार के मेन्स उत्तीर्ण छात्रों के लिए जेईई एडवांस 18 मई को होनी है। लेकिन इस संदर्भ में यह भी समझना होगा कि यह एक कठिन स्तर की परीक्षा होती है। इसीलिए जो इस दौड़ में पीछे रह गए, उनको दोबारा इसकी तैयारी से पहले कुछ बातों पर विचार जरूर करना चाहिए। क्योंकि आज इंजीनियरिंग के कई नए रूप भी उभरे हैं, जो एक शानदार भविष्य देने में उतना ही सक्षम हैं।
दोबारा है तैयारी तो...
अगर आपको हर हाल में आईआईटी या टॉप के एनआईटी संस्थानों से ही इंजीनियरिंग करनी है, तो आपमें से कई छात्र फिर जेईई की तैयारी करने का विकल्प अपना रहे होंगे। लेकिन कुछ खास रणनीति बनानी होगी। एक अहम कदम है बीते साल अपनी तैयारियों में हुई गलतियों में सुधार करना। ऐसे छात्रों को कॉन्सेप्ट बिल्डिंग व एनालिटिकल स्किल और बढ़ाने होंगे। जितना अधिक पुराने आए हुए सवालों के पैटर्न को हल करेंगे उतना ही अधिक अपने परिणाम को बेहतर कर सकते हैं। जैसे शिवन विकास तोशिनवाल का उदाहरण लें। उन्होंने जेईई मेन्स 2025 सेशन 1 एग्जाम में परफेक्ट 100 एनटीए स्कोर पाया। हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में अपनी तैयारी के सूत्र साझा करते हुए उन्होंने बताया कि कक्षा 9 से ही उन्होंने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। उनकी राय में मैथमेटिक्स और साइंस में अच्छी तैयारी करनी है तो इसके कॉन्सेप्ट समझने पर ज्यादा ध्यान दें, ना कि फॉर्मूला रटने पर। क्योंकि सिद्धांत ही व्यावहारिक जिंदगी में ज्यादा उपयोगी बनते हैं। तो, जेईई मेन्स की तैयारी के लिए कमर कसने से पहले कुछ बातें जान लें :
सबसे पहले खुद को समझें : क्या आप वाकई इस परीक्षा में बेहतर कर सकते थे? क्या आपको सभी आधारभूत सिद्धांत अच्छी तरह से आते हैं? ईमानदारी से सोचें कि क्या आप कड़े अनुशासन के साथ एक साल तैयारी को और दे सकते हैं?
खुद पर भरोसे को भी आंकें : इन सवालों का जवाब तुरंत हां में आना स्वाभाविक होता है। लेकिन एक अध्ययन की मानें, तो खास प्रतियोगिता की स्थिति में अति आत्मविश्वास हमारे प्रदर्शन में वास्तविकता से कम परिणाम देता है। इसलिए अपनी रुचियों, रुझानों, जानकारी और सामर्थ्य आदि के बारे में वास्तविक आकलन करके निर्णय लें।
सही गाइडेंस चुनें :जेईई मेन्स को उत्तीर्ण करने के लिए अनुभवी मेंटर या शिक्षक होना जरूरी है। ध्यान दें कि आपको आपका कोच या गाइड इसकी तैयारी और परीक्षा देने से संबंधित रणनीति बनाना भी सिखाए।
स्मार्ट प्लानिंग जरूरी : पूरी योजना को तीन चरणों में बांटें। चरण एक में पूरे जेईई मेन पाठ्यक्रम को पूरा करें। चरण दो में पहले सीखे गए सभी विषयों का रिवीजन रखें और सभी शंकाओं को दूर करें। चरण तीन में अधिक से अधिक टेस्ट सीरीज और मॉक टेस्ट हल करें। समय प्रबंधन कर छोटे-छोटे टारगेट बनाएं।
कमजोर विषयों की एक लिस्ट बनाएं और पहले उन पर तैयारी का ज्यादा हिस्सा केंद्रित करें। टॉपिक को रटने के बजाय समझें। किसी भी टॉपिक को न छोड़ें।
गुणवत्तापूर्ण कंटेंट बेहद जरूरी: एनसीईआरटी से शुरुआत करें और जरूरत के अनुसार कुछ अच्छी रेफरेंस किताबें लें।
मॉक टेस्ट और अपना आकलन करें : हर मॉक टेस्ट के बाद अपनी गलतियों का आकलन करें। कहां कमजोर पड़ रहे हैं, समझें और उन गलतियों को दोहराने से बचें।
स्वस्थ रहें : लंबे समय तक पढ़ते रहने के बजाय बीच-बीच में 15-20 मिनट का ब्रेक लेते रहें। अच्छे भोजन, पर्याप्त नींद और हल्के व्यायाम से अपने शरीर और दिमाग को चुस्त रखें,क्योंकि यह एक लंबी परीक्षा होती है और तैयारी का दौर भी काफी लंबा। सकारात्मक रहें।
विशेषज्ञ की राय
एलेन कोटा कैंपस प्रिंसिपल उमेश शर्मा कहते हैं कि जेईई मेन्स का एग्जाम अच्छा नहीं जाने पर भी छात्र अच्छे कॉलेज में अच्छी ब्रांच के साथ इंजीनियरिंग कर सकते हैं, जैसे बिट्स पिलानी, सीयूईटी, पीईएसएसएटी, कॉमडेक, एमआईटी पुणे आदि। यदि कोई ड्रॉप इयर लेना चाहता है, तो जेईई मेन और एडवांस एग्जाम के लिए दूसरा मौका भी होता है। जेईई मेन के लिए कुल तीन मौके उपलब्ध होते हैं, जिस वर्ष 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की हो तथा उसके अगले दो वर्ष बाद तक। यानी यदि 2025 में किसी छात्र ने 12वीं उत्तीर्ण की हो तो वो 2025, 2026 तथा 2027 वाले वर्ष में जेईई मेन की परीक्षा में भाग ले सकता है एवं जेईई मेन उत्तीर्ण करने के उपरांत जेईई एडवांस्ड परीक्षा (दो बार तक) में भाग ले सकता है, अर्थात 2025 एवं 2026 तक। पर उसके बाद जेईई एडवांस्ड परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर सकता। जो भी विद्यार्थी ड्रॉप लेकर तैयारी करना चाहते हैं, उन्हें उन गलतियों में सुधार करना चाहिए। साथ ही सिद्धांतों की समझ और एनालिटिकल स्किल बढ़ानी होगी तथा जितना अधिक पुराने सवालों के पैटर्न पर अभ्यास करेंगे उतना ही अधिक अपने परिणाम को बेहतर कर सकते हैं।
क्या हो प्लान बी
प्लान ए के साथ बैकअप प्लान पर भी सोचें। ये आपकी चिंता को कम करेगा और एकाग्र होने में मदद करेगा। कई तरह से प्लान बी तैयार कर सकते हैं : जैसे कि
वैकल्पिक करियर : विज्ञान के हर छात्र के लिए सिर्फ इंजीनियरिंग ही एकमात्र विकल्प नहीं है। साइंस और टेक्नोल़ॉजी में बीसीए, एआई, डेटा साइंस या साइबर सिक्योरिटी में वोकेशनल डिप्लोमा, विज्ञान विषयों में बीएससी आदि विकल्प भी अच्छा भविष्य देते हैं।
राज्य स्तरीय एग्जाम : देश में राज्य स्तरीय इंजीनियरिंग परीक्षाएं भी होती हैं, जिनके माध्यम से आप इंजीनियरिंग के यूजी कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। ये प्रतिष्ठत भी हैं और जेईई से कम कठिन भी। कुछ प्रमुख परीक्षाएं हैं महाराष्ट्र का एमएचटी-सीईटी, पश्चिम बंगाल का डब्लूबी जेईई, कर्नाटक का केसीईटी। ये क्षेत्रीय छात्रों को इंजीनियरिंग में प्रवेश देती हैं।
निजी विश्वविद्यालय: सीओएमईडीके यूजीईटी कर्नाटक के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए। बिट्स-पिलानी एक प्रतिष्ठित विकल्प है, जिसकी परीक्षा मई-जून में होती है। वीआईटीईईई -वीआईटी (परीक्षा अप्रैल-मई में), एसआरएम जे ईईई -एसआरएम यूनिवर्सिटी ( परीक्षा अप्रैल-मई में), मनीपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी आदि ऐसे कुछ विकल्प हैं।
- आईआईआईटी हैदराबाद का आईआईआईटी -एचयूजीईई /सैट चैनल विशेष प्रवेश चैनल से चयन करता है।
- अब कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालय भी इंजीनियरिंग कोर्स सीयूईटी यूजी के माध्यम से उपलब्ध करा रहे हैं।
- 30 से 40 फीसदी छात्र हर साल ऐसे होते हैं, जो जेईई मेन्स परीक्षा दोबारा दे रहे होते हैं, वेदांतु के आकलन के अनुसार।
जेओएसएए सीएसएबी काउंसलिंग
जेईई मेन में जिनकी ठीक-ठाक रैंक आई है वे जून-जुलाई में जेओएसएए सीएसएबी (सेंट्रल सीट अलोकेशन बोर्ड) काउंसलिंग का विकल्प भी चुन सकते हैं। इसमें रैंक के आधार पर प्रतिष्ठित एनआईटी संस्थानों में या कोर इंजीनियरिंग ब्रांच या लोअर टिअर के संस्थानों में कुछ विशिष्ट इंजीनियरिंग ब्रांचेज मिल सकती हैं। अगर जेओएसएए में सफलता नहीं मिलती तो सीएसएबी की ओर से सरकारी कॉलेजों में सीट पाने का मौका मिल सकता है।