Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़When Prime Minister got angry with Tata the matter reached till resignation

जब प्रधानमंत्री टाटा से हो गए थे नाराज, बात इस्तीफे तक पहुंच गई थी

  • Ratan Tata ke Kisse: रतन टाटा ने अपने करियर के दौरान तत्कालीन पीएम वीपी सिंह की नाराजगी मोल ले ली थी। बात टाटा के इस्तीफे तक पहुंच गई थी। वह इस्तीफा देने का मन बना चुके थे, लेकिन राजीव गांधी ने ऐसा होने नहीं दिया।

Drigraj Madheshia लाइव हिन्दुस्तानThu, 10 Oct 2024 09:42 AM
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रतन टाटा ने अपने करियर के दौरान तत्कालीन पीएम वीपी सिंह की नाराजगी मोल ले ली थी। बात टाटा के इस्तीफे तक पहुंच गई थी। वह इस्तीफा देने का मन बना चुके थे, लेकिन राजीव गांधी ने ऐसा होने नहीं दिया। यह खुलासा खुद रतन टाटा ने मनी लाइफ को दिए एक इंटरव्यू में किया था।

बात उन दिनों की है जब रतन टाटा को एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का चेयरमैन बनाया गया। उन्होंने मनी लाइफ को बताया, "तीन साल तक, मैं एयर इंडिया में था। वे काफी दिक्कतों भरे साल थे, क्योंकि उस दौरान एयर इंडिया का बहुत अधिक राजनीतिकरण हुआ था। इसके बारे में हम बात नहीं करेंगे। वह दौर बहुत ही मुश्किलों भरा था और अलग-अलग विचार थे। मैं इस्तीफा देना चाहता था, लेकिन राजीव ने ऐसा होने नहीं दिया। इसलिए जिस दिन उन्होंने सत्ता खो दी, मैंने पद छोड़ दिया।"

टाटा ने कहा," मुझे लगता है कि मैंने वीपी सिंह की नाराजगी मोल ले ली, जो सत्ता में आए और उन्होंने सोचा होगा कि यह उनके नेतृत्व पर एक प्रतिबिंब था, लेकिन ऐसा नहीं था। यह केवल एयर इंडिया के राजनीतिक उतार-चढ़ाव से दूर होने का मुद्दा था। फिर उस दौरान मेरे दिमाग में चीजें थोड़ी धुंधली हो गईं।"

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वीपी सिंह सरकार के साथ टकराव

वीपी सिंह सरकार के साथ टकराव हुआ, जब जेआरडी टाटा ने वीपी सिंह को Tata Zug पर विदेशी मुद्रा उल्लंघन के आरोपों के बारे में एक कड़ा पत्र लिखा। इंटरव्यू में रतन टाटा ने बताया, "भूरे लाल (पूर्व प्रवर्तन निदेशक, विदेशी मुद्रा) एक जांच का लीड कर रहे थे। मुझे नहीं लगता कि हमने कुछ गलत किया और साथ ही सब कुछ खुलासा किया गया - यह एक मुद्दा था कि क्या माता-पिता की संतान या मूल कंपनी के पोते को भी रजिस्ट्रेशन के लिए रिजर्व बैंक की स्वीकृति/अनुमति की आवश्यकता है या नहीं। यह मुद्दा कभी साबित नहीं हुआ, क्योंकि उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिसका हमने खुलासा नहीं किया था। मुझे लगता है कि यह मुद्दा टाटा के बजाय भारतीय होटलों के इर्द-गिर्द अधिक घूमता था ,क्योंकि उस समय भारतीय होटलों का बहुत सारा विदेशी परिचालन था। वैसे भी, उसके बाद 1991 तक मेरे दिमाग में चीजें धुंधली हो गईं।"

राजीव गांधी के साथ करते थे विचारों का आदान-प्रदान

मनी लाइफ को दिए अपने इंटरव्यू में रतन टाटा ने कहा, "मैं भाग्यशाली था कि मुझे राजीव के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने और उन लोगों के छोटे समूह का हिस्सा बनने का मौका मिला, जिन्हें वे समय-समय पर इनमें से कुछ क्षेत्रों पर राय लेने के लिए बुलाते थे। उसी समय, उन्होंने मुझे एयर इंडिया का चेयरमैन बनाया। सरकार में होने वाली कई चीजों की तरह, मुझसे कभी नहीं पूछा गया। राहुल बजाज को इंडियन एयरलाइंस का चेयरमैन बनाया गया। कम से कम मैं भारत में था, लेकिन राहुल विदेश में थे। हमें यह भी नहीं बताया गया कि हमें चेयरमैन बनाया जा रहा है।"

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