भारतीय शेयरों से पैसे निकाल चीन के बाजार में दांव लगा रहे विदेशी निवेशक, समझें वजह
- Stock Market Crash: इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने इक्विटी बाजारों से 23,710 करोड़ रुपये से अधिक निकाले हैं। इसके साथ ही 2025 में कुल निकासी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इससे अब तक निवेशकों के अरबों खराबों रुपये अस्वाहा हो गए।
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Why Stock Market Crash: शेयर बाजार के लिए इस साल अब तक बेहद निराशाजनक रहा है। अमेरिकी बाजारों में तेज गिरावट, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) की लगातार पूंजी निकासी और अमेरिकी शुल्क दर को लेकर चिंताओं के बीच बाजार में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने इक्विटी बाजारों से 23,710 करोड़ रुपये से अधिक निकाले हैं। इसके साथ ही 2025 में कुल निकासी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इससे अब तक निवेशकों के अरबों खराबों रुपये अस्वाहा हो गए। हालांकि, आज मंगलवार को घरेलू बाजार ने कुछ रिकवरी किया है और इसमें पिछले पांच कारोबारी सत्रों में भारी गिरावट के बाद तेजी दर्ज की गई।
चीन का मार्केट कर रहा अट्रैक्ट!
ट्रम्प की 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी ने 'उभरते बाजारों को छोड़ो' की लहर शुरू कर दी है। इसका असर भारतीय शेयरों पर पड़ा है। अब, चीन की जोरदार वापसी ने इस दर्द को और बढ़ा दिया है, जिससे 'भारत बेचो, चीन खरीदो' कारोबार बढ़ गया है। आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2024 के बाद से भारत के बाजार पूंजीकरण में 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है, जबकि चीन का मार्केट कैप जबरदस्त 2 ट्रिलियन डॉलर बढ़ा है। हैंग सेंग एक महीने में 16% बढ़ गया है, जबकि निफ्टी 2% से अधिक फिसल गया है। डीपसीक की लॉन्चिंग और विस्फोटक रिस्पॉन्स, सस्ते वैल्यूएशन और अलीबाबा व लेनोवो जैसी कंपनियों द्वारा मजबूत तिमाही रिपोर्ट के कारण विदेशी निवेशकों ने चीन में नए सिरे से रुचि ली है। वहीं, भारतीय मार्केट से विदेशी निवेशक लगातार पैसे निकाल रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार?
बोफा ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, "पिछले महीने तेजी से गिरावट के बाद चीन को अलॉटमेंट में फिर से बढ़ोतरी हुई है, जबकि भारतीय इक्विटी के लिए समर्थन, जो कि एक पूर्व बाजार पसंदीदा था, अलॉटमेंट में दो साल के निचले स्तर तक गिरावट जारी है।" इस महीने की शुरुआत में जेफरीज के क्रिस वुड ने सिफारिश की थी कि ग्लोबल निवेशक चीन के नए आकर्षण पर जोर देते हुए यूरोप और चीन दोनों में अपना दांव बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा था, "लालच और डर से एशिया प्रशांत पूर्व-जापान सापेक्ष-रिटर्न पोर्टफोलियो में चीन में ओवरवेट तीन प्रतिशत अंक बढ़ जाएगा।" उन्होंने बताया कि इसे कोरिया, भारत और फिलीपींस को आवंटन कम करके फाइनेंस किया जाएगा। चीन का बाजार पुनरुत्थान आर्थिक प्रोत्साहन, नियामक सहजता और निवेशक-अनुकूल नीतियों के मिश्रण से प्रेरित हुआ है। दर में कटौती, संपत्ति क्षेत्र के समर्थन और लिक्विडिटी जैसे उपायों ने निवेशकों का विश्वास बहाल किया है, जिससे चीनी इक्विटी अपने महंगे भारतीय समकक्षों की तुलना में एक आकर्षक दांव बन गई है।
चीन की यह वापसी उसके सीएसआई300 इंडेक्स के लगातार तीन सालों के निगेटिव रिटर्न के बाद आई है। हैंग सेंग टेक इंडेक्स, जो हांगकांग में सूचीबद्ध 30 सबसे बड़ी टेक कंपनियों को ट्रैक करता है, पिछले सप्ताह 3 सालों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
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