Hindi Newsबिहार न्यूज़Tejashwi Yadav questions Mohan Bhagwat when RSS will have a dalit backward tribal chief on true independence debate

कब RSS प्रमुख बनेगा पिछड़ा, दलित या आदिवासी? ‘असली आजादी’ बहस में कूदे तेजस्वी यादव का सवाल

  • मोहन भागवत द्वारा राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को असली आजादी बताने पर बहस जारी है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने पूछा है कि आरएसएस का प्रमुख पिछड़ा, दलित या आदिवासी कब बनेगा, मोहन भागवत बताएं।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, पटनाFri, 17 Jan 2025 07:00 PM
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के उस बयान पर बहस तेज है जिसमें उन्होंने कहा था कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से देश को असली आजादी मिली, 1947 में राजनीतिक आजादी मिली थी। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भागवत से पूछा है कि वो बताएं कि कोई दलित, पिछड़ा या आदिवासी कब संघ का प्रमुख बनेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आरएसएस देश को तोड़ने का काम कर रहे हैं।

मोहन भागवत के बयान और उस पर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया से जुड़े सवाल पर तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से कहा- “मैं मोहन भागवत से पूछना चाहता हूं कि पिछड़ों और दलितों को कब आजादी मिलेगी। आरएसएस का प्रमुख कब पिछड़ा और दलित समाज का भी होगा या आदिवासी समाज का होगा। इसका जवाब दीजिए। इन लोगों का देश की आजादी में कोई कुर्बानी नहीं है। भाजपा, आरएसएस देश को तोड़ने का काम कर रहा है। संविधान के बदले ये लोग नागपुरिया कानून लागू करना चाहते हैं। जब तक राष्ट्रीय जनता दल है, इनके अन्याय को नहीं सहेगा। इनका हम पुरजोर विरोध करने का काम करेंगे, लड़ाई लड़ेंगे।”

असली आजादी तब मिली, जब रामलला अयोध्या में विराजमान हुए: मोहन भागवत

बताते चलें कि आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने 13 जनवरी को इंदौर में एक कार्यक्रम में कहा था- “प्रतिष्ठा द्वादशी, पौष शुक्ल द्वादशी का नया नामकरण हुआ। पहले कहते थे वैकुंठ एकादशी, वैकुंठ द्वादशी। अब उसको प्रतिष्ठा द्वादशी कहना, क्योंकि अनेक शतकों से परिचक्र झेलने वाले भारत के सच्चे स्वतंत्रता की प्रतिष्ठा उस दिन हो गई। स्वतंत्रता थी, प्रतिष्ठित नहीं हुई। क्योंकि भारत स्वतंत्र हुआ 15 अगस्त को। तो राजनीतिक स्वतंत्रता आपको मिल गई थी। हमारा भाग्य निर्धारण करना हमारे हाथ में आ गया। हमने एक संविधान भी बनाया। एक विशिष्ट दृष्टि जो भारत के अपने स्व से निकलती है, उसमें से संविधान दिग्दर्शित हुआ। लेकिन उसके जो भाव हैं, उसके अनुसार चला नहीं और इसलिए- हो गए हैं स्वप्न सब साकार कैसे मान लें, टल गया सर से व्यथा का भार कैसे मान लें.”

मोहन भागवत का बयान राजद्रोह जैसा, किसी और देश में गिरफ्तार हो चुके होते: राहुल गांधी

मोहन भागवत के इस बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 15 जनवरी को दिल्ली में कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान तीखा हमला किया। राहुल ने कहा था कि भागवत भागवत में ये दुस्साहस है कि वो हर दो-तीन दिन पर देश को बताते रहते हैं कि वो देश के स्वतंत्रता आंदोलन, संविधान के बारे में क्या सोचते हैं। राहुल ने कहा था कि अगर कोई और देश होता तो भागवत को गिरफ्तार करके उन पर मुकदमा चलाया जाता। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का ये कहना कि 1947 में देश को आजादी नहीं मिली, हरेक भारतीय का अपमान है।

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