प्रभु श्री राम के वन गमन की खबर से अयोध्या में छायी उदासी
सूर्यपुरा, एक संवाददाता।गवान राम के राज्याभिषेक पर चर्चा हुई। अयोध्या वासियों और मंत्रियों की सलाह से भगवान राम को राजा बनाने का निर्णय लिया गया

सूर्यपुरा, एक संवाददाता। बाबा बंगालनाथ मंदिर परिसर में आयोजित रामलीला में प्रभु श्री राम के वन गमन की खबर सुन अयोध्या में उदासी छा गई। सनातन संस्कृति धर्म प्रचारक रामलीला मंडली द्वारा आयोजित रामलीला में जहां प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी चल रही होती है। बताया जाता है कि रामलीला की शुरूआत राजा दशरथ के दरबार से हुई। राजा दशरथ के दरबार में भगवान राम के राज्याभिषेक पर चर्चा हुई। अयोध्या वासियों और मंत्रियों की सलाह से भगवान राम को राजा बनाने का निर्णय लिया गया। राजा दशरथ प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक की आज्ञा लेने मुनि वशिष्ठ के पास गए।
वशिष्ठ की आज्ञा मिलने के बाद अयोध्यावासी खुशी मनाने में जुट गए। राम को राजा बनाने की जानकारी दासी मंथरा को मिली। तब वह रानी कैकई के पास पहुंची। मंथरा ने रानी कैकई की मति भ्रष्ट करते हुए राम को वनवास और भरत को राजा बनाने की सलाह दी। कैकई को राजा दशरथ द्वारा दिए गए वरदानों की याद दिलाई। मंथरा की सलाह से कैकई कोप भवन में चली गई। राजा दशरथ ने कैकई के पास जाकर दुख का कारण पूछा। कैकई ने दुख का कारण बताने के पहले राजा दशरथ से दिए गए वरदान को पूरा करने का वचन लिया। राजा दशरथ ने कहा वरदान को पूरा करने का वचन दिया। इसके बाद कैकई ने राम को 14 वर्ष का वनवास और भरत को राजा बनाने की बातें कही। कैकई की वचन सुनकर राजा दशरथ ने समझाने का प्रयास किया। परन्तु वह नहीं मानी। इसके बाद राम का स्मरण करते हुए राजा दशरथ विलाप करने लगे। राम ने पिता दशरथ के दुखी होने का कारण पूछा। राजा दशरथ के वचन को पूरा करने के लिए राम,लक्ष्मण और सीता वनवास के लिए चले गए। फोटो नंबर-13 कैप्शन- रामलीला में वन गमन के पश्चात पुत्र वियोग में विलाप करते राजा दशरथ।
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