संजीव हंस की काली कमाई का बिहार के बाहर निवेश, ईडी की रडार पर कई रियल एस्टेट कंपनी
आईएएस संजीव हंस प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। जांच में नए लोगों के नाम सामने आ रहे हैं और वे जांच की जद में आते जा रहे हैं। दूसरे राज्यों की रियल एस्टेट कंपनियां भी अब ईडी की रडार पर हैं।
आईएएस संजीव हंस प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। जांच में नए लोगों के नाम सामने आ रहे हैं और वे जांच की जद में आते जा रहे हैं। दूसरे राज्यों की रियल एस्टेट कंपनियां भी अब ईडी की रडार पर हैं। दरअसल, बुधवार को हुई छापेमारी में इसके पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि संजीव हंस और इनके साथ के लोगों ने काली कमाई का निवेश सबसे ज्यादा दूसरे राज्यों में मौजूद रियल एस्टेट की कंपनियों में किया है। ये कंपनियां मुख्य रूप से दिल्ली, गुड़गांव के अलावा नागपुर एवं पुणे में हैं। कुछ निवेश जयपुर में किए गए हैं। संजीव हंस फिलहाल जेल में बंद हैं।
इन स्थानों पर ईडी की दबिश के दौरान इससे जुड़े कई साक्ष्य मिले हैं। अब ये निजी कंपनियां भी ईडी की रडार पर आ गई हैं। इनमें निवेश से संबंधित सभी पहलुओं की जांच चल रही है। इन कंपनियों के खिलाफ भी कार्रवाई की संभावना है। जांच में ईडी को प्रमाण मिले हैं कि संजीव हंस जिन विभागों में रहे, वहां पद का दुरुपयोग कर काली कमाई की है। इनकी तैनाती ऊर्जा और जल संसाधन विभाग में लम्बे समय तक रही है।
कंपनियों को अरबों का ठेका दिलाकर करोड़ों की अवैध कमाई की
बुधवार को दिल्ली, गुड़गांव, कोलकाता, जयपुर और नागपुर में 13 स्थानों पर हुई छापेमारी में काली कमाई से जुड़ी करोड़ों की चल-अचल संपत्ति पकड़ी गई। यह सभी एक ही व्यक्ति के जरिये कमाई गई हैं। बिना किसी व्यवसाय के इस व्यक्ति ने इन दोनों विभाग में आईएएस हंस की मदद से कई कंपनियों को अरबों का ठेका दिलाकर करोड़ों की अवैध कमाई की। इसका बड़ा हिस्सा आईएएस एवं उनके परिजनों के नाम पर ट्रांसफर किया। फिलहाल यह व्यक्ति जेल में इनके साथ बंद है। हंस मामले में 11 की गिरफ्तारी हो चुकी है। कई और अभी लाइन में हैं।
बेनामी एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी, सभी पहलुओं पर छानबीन
बिहार के बाहर संजीव हंस के एक करीबी के 13 ठिकानों पर छापेमारी के दौरान 60 करोड़ रुपये के शेयर, 70 बैंक खातों में 10 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन, रियल एस्टेट कंपनियों में 18 करोड़ रुपये के निवेश के प्रमाण समेत अन्य कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद हुए हैं। इनमें काली कमाई से बनाई गई चल-अचल संपत्ति का भी पता चला है। ये सभी संपत्तियां अलग-अलग लोगों के नाम या माध्यम से हैं, लेकिन इन्हें खरीदने का मुख्य स्रोत संजीव हंस की काली कमाई ही है। काली कमाई के इस साम्राज्य को खड़ा करने में पूर्व विधायक गुलाब यादव की भूमिका भी अहम रही है। इस मामले में ईडी बेनामी एक्ट के तहत संजीव हंस समेत अन्य पर कार्रवाई कर सकती है। इससे जुड़े सभी पहलुओं की जांच चल रही है। इसके बाद आगे की कार्रवाई हो सकती है।