नई दिल्ली, राउज एवेन्यू अदालत ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले की सुनवाई को टाल दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने उच्च न्यायालय में जल्दी सुनवाई के लिए आवेदन किया है। सुनवाई 16 जुलाई तक स्थगित...
ईडी ने बताया कि आरोपियों ने ट्रस्ट के पैसे और जमीन को हड़प लिया, जो मूल रूप से सामुदायिक कल्याण के लिए थी। आरोपियों ने ट्रस्टीशिप का दावा करने और बोर्ड व नगर निगम दोनों को गुमराह करने के लिए एक जाली हलफनामा प्रस्तुत किया था।
ईडी से मामला मैनेज कराने के लिए दो लाख की मांग की। इसके बाद डॉक्टर ने ईओयू में इसकी शिकायत की। शिकायत के आधार पर ईओयू में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की गई। जांच के दौरान पुलिस ने छापेमारी कर दो को गिरफ्तार किया। उनके पास से दो की-पैड मोबाइल व एक स्मार्टफोन बरामद हुए।
रिशु श्री के ठिकानों पर ईडी की हुई छापेमारी के दौरान कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिसके आधार पर विभिन्न विभागों के कई अधिकारियों को टेंडर मैनेज करने के एवज में रिश्वत दिए जाने का दावा किया गया है। उसके पास मिले दस्तावेजों में यह राशि प्रतिशत के रूप में अंकित है।
इकबाल ईडी के लिए लम्बे समय से चुनौती बना हुआ है। कुछ समय से उसने दुबई में शरण ले रखी है। ईडी की लखनऊ टीम ने अब उसे निशाने पर ले रखा है। पिछले साल ही ईडी ने सहारनपुर के मिर्जापुर इलाके में इकबाल के स्वामित्व वाली 4440 करोड़ की ग्लोकल यूनिवर्सिटी को जब्त कर लिया था।
पेपर लीक के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया अवैध संपत्ति को जब्त किया जाएगा। बिहार पुलिस की जांच एजेंसी आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने इससे जुड़ा प्रस्ताव केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भेजने का निर्णय लिया है।
ईडी के आरोप पत्र के अनुसार बंसल ने खुलासा किया कि हंस ने बेंच के आदेश का अनुपालन करने और सारंगा अग्रवाल की गिरफ्तारी को रद्द करने के लिए आरएनए कॉर्प के लिए एनसीडीआरसी बेंच से दो अलग-अलग तारीखों की व्यवस्था की।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अभियोजन शिकायत में यह आरोप लगाया कि आईएएस अधिकारी संजीव हंस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निजी सचिव रहते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) से अनुकूल फैसला दिवलवाने के लिए मुंबई की एक रियल्टी फर्म से एक करोड़ की घूस ली थी।
भारत में 2010 के राष्ट्रमंडल खेल (सीडब्ल्यूजी) घोटाले के आरोपों में घिरे सुरेश कलमाड़ी को सोमवार को दिल्ली की एक अदालत से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के 13 साल पुराने एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली है।
इन ठेकेदारों पर खजाने के चालानों में धोखाधड़ी और हेरफेर करके 49,42,45,615/- रुपये के सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने और वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2017-18 के दौरान शराब खरीदने के लिए गैरकानूनी रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने का आरोप है।