जेपी नड्डा देखने आए कि नीतीश ठीक हैं या नहीं; तेजस्वी यादव का बीजेपी अध्यक्ष के बिहार दौरै पर तंज
तेजस्वी यादव ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर सवाल उठाते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बिहार दौरे पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि नड्डा सिर्फ यह देखने पटना आए थे कि नीतीश ठीक हैं या नहीं।
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पटना दौरे पर एक बार फिर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हालचाल जानने बिहार आए थे। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी ने कहा कि वे यह जानने के लिए आए कि सीएम नीतीश की सेहत ठीक है या नहीं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि नड्डा सिर्फ मौज-मस्ती करने और घूमने के लिए पटना आए हैं। बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष सह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने गुरुवार को पटना में एनडीए नेताओं के घर छठ महापर्व मनाया था। इस दौरान उन्होंने नीतीश के साथ छठ घाटों का दौरा भी किया था।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, "आज (8 नवंबर को) नोटबंदी की बरसी है। आप सभी लोग यह भूल गए होंगे। हम उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने नोटबंदी के दौरान अपनी जान गंवाई थी।" तेजस्वी ने बीजेपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि काले धन को रोकने के वादों के बावजूद बीते सालों में कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि साल जब देश में नोटबंदी लागू की गई थी, तब बड़ी-बड़ी बातें की गई थीं। पीएम मोदी ने कहा था कि भ्रष्टाचार और काला धन खत्म हो जाएगा, लेकिन आज इतने लंबे समय के बाद भी कुछ नहीं हुआ। आज बीजेपी ने अपने पैसे से बड़ी-बड़ी इमारतें बनाई हैं, शायद यही काला धन है। बता दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा फैसला लेते हुए तत्काल प्रभाव से 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने की घोषणा की थी। इस दौरान 500 और 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे। सरकार ने दावा किया था कि देश में काले धन को खत्म करने और लोगों में डिजिटल लेनदेन को प्रेरित करने के लिए विमुद्रीकरण का फैसला लिया गया था।
अचानक लिए गए नोटबंदी के फैसले से उस समय जनता को कई तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ा था। बाजार में अचानक कैश की कमी आ गई थी। लोगों को नए नोटों की निकासी के लिए बैंकों के बाहर घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ा था। आरोप हैं कि नोटबंदी की वजह से कई लोग बेरोजगार हो गए और देश में बेरोजगारी की भयावह स्थिति पैदा हो गई, जिसमें अनौपचारिक क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। 2016 से ही कई विपक्षी दल सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। हालांकि, बीजेपी और उसके सहयोगियों ने इस फैसले का समर्थन किया था।