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Bihar Flood: 'हमार लइका सतुआ खाके बाड़ें', ना खाने का ठिकाना ना रहने का ठौर; बिहार में बाढ़ से बर्बादी का दर्दनाक मंजर

Bihar Flood: उस गांव के करीब दो दर्जन से अधिक परिवार गांव को छोड़कर सड़क पर शरण लिये हुए हैं। जिनका न तो खाने का ठिकाना है और न ही रहने का कोई ठौर है। 52 वर्षीय मोहन महतो ने कहा कि खाना बनाने की कोई व्यवस्था तो है नहीं।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, पश्चिमी चंपारणMon, 30 Sep 2024 03:38 AM
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Bihar Flood: बिहार में बाढ़ ने भारी तबाही मचा दी है। बगहा में गंडक की तबाही ने लोगों को इतना मजबूर कर दिया है कि वो दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। बगहा-वाल्मीकिनगर मुख्य पथ पर शरण लिये ठाड़ी गांव की रुक्मिणी ने कहा, 'हमार लइका सं काल्हे से सतुआ खाके बाड़ सं। घर के अगुवारे-पिछूवारे चारु ओर पानिये पानी बा, पूरा गांव में पानी भरल बा। कइसे काम चली समझे नइखे आवत। परकाशवा के बाउजी हइये नइखे उ गइल बाने लुधियाना कमाये।' । उस गांव के करीब दो दर्जन से अधिक परिवार गांव को छोड़कर सड़क पर शरण लिये हुए हैं। जिनका न तो खाने का ठिकाना है और न ही रहने का कोई ठौर है। 52 वर्षीय मोहन महतो ने कहा कि खाना बनाने की कोई व्यवस्था तो है नहीं। ऐसे में चिउडा़ व गुड खाकर ही काम चलाना पड़ रहा है।

बच्चों ने ऐसा बाढ़ देखा नहीं था। ऐसे मे वे बार-बार दाल-चावल की मांग की रहे हैं लेकिन बाढ़ की विभीषिका कुछ इस प्रकार का है कि बच्चों को बेहतर भोजन नहीं दे पा रहे हैं। इस प्रकार के हालात सिर्फ ठाड़ी गांव की ही नहीं है बल्कि चकदहवा, झंडू टोला, कान्ही टोले सहित वाल्मीकिनगर व उसके आसपास के दर्जनों गांव की है। दूसरी तरफ मधुबनी के चिउरही पंचायत के लोग बांध पर शरण लिये हुए हैं। अमूमन जिन बच्चों को घर से बाहर निकलने को मना किया जाता रहा है वे ही मवेशियों के साथ खुले में समय बिता रहे हैं। मां-बाप बेवश होकर देख रहे हैं लेकिन वे कुछ कर नहीं पा रहे है।

पीपी तटबंध पर शरण लिये रमेश प्रसाद, राजय यादव आदि ने बताया कि गंडक में आयी बाढ़ के कारण उनके गांव में पानी भर गया है। जिसके कारण गांव छोड़कर ऊंचा स्थान पर शरण लेना पड़ा। ऐसे में आनन फानन में गांव छोड़ने के कारण कुछ ले नहीं सके। अब खाने और रहने का कोई ठौर नहीं बचा है। गौरतलब है कि आसमान से बादलों ने जो पानी बरसाया वह दर्जनो गांव के सैकड़ो परिवारों पर जलप्रलय के रूप में सामने आया है। लगातार हुए बारिश के कारण घरों में घुसे बाढ़ के पानी के कारण बाढ़ पीड़ित ग्रामीण वाल्मीकिनगर बगहा मुख्य मार्ग पर रविवार की सुबह खाना बनाने को मजबूर दिखे। साथ ही खाट बिछा कर सड़कों के किनारे बैठे दिखे।

लोगों को नहीं मिला भोजन पानी की व्यवस्था भी नहीं

सड़क पर शरण लिए हुए ग्रामीणों ने बताया कि, 24 घंटे से हमलोग सड़क पर शरण लिए हुए है। परन्तु सरकार के तऱफ से कोई खाने पीने की व्यवस्था नहीं किया गया है। स्थानीय प्रतिनिधियों एवं वाल्मीकीनगर के विधायक प्रतिनिधियों द्वारा थोड़ा बहुत चिउड़ा मीठा का व्यवस्था किया गया है। जिसको खाकर हमलोग किसी तरह समय काट रहे हैं।

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