ISRO Scientists Conduct Lidar Survey in Rajgir to Uncover Historical Secrets राजगीर के ऐतिहासिक तथ्यों पर वैज्ञानिकों की लगेगी मुहर, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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राजगीर के ऐतिहासिक तथ्यों पर वैज्ञानिकों की लगेगी मुहर

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Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफThu, 8 May 2025 10:06 PM
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राजगीर के ऐतिहासिक तथ्यों पर वैज्ञानिकों की लगेगी मुहर

राजगीर के ऐतिहासिक तथ्यों पर वैज्ञानिकों की लगेगी मुहर इसरो के वैज्ञानिकों की 6 सदस्यीय टीम पहुंची राजगीर, लिडार सर्वे किया शुरू भारत की सबसे बड़ी ऐतिहासिक साइट किला मैदान के अलावा साइक्लोपियन वाल व राजगीर के सभी प्राचीन स्थलों के रहस्यों पर से हटेगा पर्दा विश्व के प्राचीनतम शोध संस्थान नालंदा विवि के क्षेत्रों की होगी विस्तृत खोज रिमोट सेंसिंग पद्धति से अवशेषों की सतहों और आंतरिक संरचनाओं का चलेगा पता फोटो: लिडार01 : राजगीर के अजातशत्रु किला मैदान में गुरुवार को लिडार को उड़ाने का प्रयास करते इसरो के वैज्ञानिक। लिडार02 : राजगीर के किला मैदान का गुरुवार को हवाई सर्वेक्षण करता लिडार।

राजगीर, निज संवाददाता। राजगीर के ऐतिहासिक तथ्यों पर वैज्ञानिकों की मुहर लगेगी। वहीं, विश्व के प्राचीनतम शोध संस्थान नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन फैलाव क्षेत्र की खोज की जाएगी। इसके लिए गुरुवार को इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की छह सदस्यीय टीम राजगीर पहुंचकर लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) सर्वे शुरू कर चुकी है। टीम के सदस्य सबसे पहले एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के उत्खनन और विश्वभर के इतिहासकारों द्वारा इन दोनों स्थानों के संबंध में लिखे गये तथ्यों की हकीकत का पता लगाएगी। इसके बाद इनसे जुड़े मगध व बिहार राज्य में फैले अवशेषों की भी सतहों और आंतरिक संरचनाओं का पता लगाएगी। भारत की सबसे बड़ी ऐतिहासिक साइट अजातशत्रु किला मैदान के अलावा चीन की दीवार से भी पुरानी व गजब तकनीक से बनायी गयी साइक्लोपियन वाल व राजगीर के सभी प्राचीन स्थलों के रहस्यों पर से पर्दा हटाया जाएगा। अजातशत्रु किला मैदान सहित प्राचीन राजगीर के इतिहास से देश-दुनिया को अवगत कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली के निर्देश पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने किला मैदान का लिडार सर्वेक्षण कार्य शुरू किया। पहले दिन किला मैदान की हद (बाउंड्री) का पता लगाया गया। गौरवशाली अतीत : मगध की इस प्राचीन नगरी का प्रलेखन व इसकी सांस्कृतिक बनावट और विरासत को ढूंढ़ने में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का सहयोग अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के वैज्ञानिक कर रहे हैं, जो रिमोट सेंसिंग पद्धति से इस धरती के गौरवशाली अतीत के पन्नों पर से पर्दा उठाएंगे। 117 साल बाद खुदाई : 117 साल बाद अजातशत्रु किला मैदान की खुदाई कार्य शुरू होने से न सिर्फ लोगों की उत्सुकताएं बढ़ी हैं, बल्कि एएसआई को भी काफी उम्मीदें जुड़ी हैं। एएसआई के पटना मंडल उत्खनन शाखा के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. सुजीत नयन ने इसके पहले खुदाई का वृहत मास्टर प्लान बनाया था। उनकी टीम किला मैदान की खुदाई की और अनेक ऐतिहासिक तथ्यों के करीब पहुंची थी उनके द्वारा उजागर किये गये तथ्यों पर वैज्ञानिक मुहर लगाने के लिए इसरो की टीम ने काम शुरू किया है। देहरादूर इसरो की टीम : देहरादून इसरो के वैज्ञानिकों की छह सदस्यीय टीम में डॉ. हीना पाण्डेय, डॉ. पूनम एस तिवारी, डॉ. शशि कुमार, एस अग्रवाल सहित अन्य शामिल हैं। हालांकि टीम के सदस्य कुछ भी बोलने से गुरेज करते रहे। लेकिन, सूत्रों ने बताया कि लिडार सर्वेक्षण के माध्यम से प्रमुख अवशेषों की धरती की सतहों व आंतरिक संरचनाओं का रिमोट सेंसिंग कार्य की शुरुआत की गयी। क्या है लिडार सर्वे : लिडार टेक्नोलॉजी विशेष प्रकार की रिमोट सेंसिंग तकनीक है, जो लेजर बीम का उपयोग करके किसी वस्तु की दूरी और आकार का पता लगाने में सक्षम है। इस तकनीक से थ्री-डी मानचित्र, वस्तुओं की ऊंचाई का मूल्यांकन और विभिन्न वातावरणों की विशेष जानकारी मिलती है। थ्री-डी तकनीक के माध्यम से किला मैदान की दीवारों से लेकर अनेक पौराणिक संरचनाओं की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई की जानकारी मिल सकेगी। हरकत में आया प्रशासन: गुरुवार की दोपहर जब किला मैदान में इसरो के वैज्ञानिकों की टीम ने जब लिडार उड़ाया, तो पुलिस-प्रशासन एकबारगी सकते में आ गयी। स्थानीय अधिकारी सुरक्षा ख्याल से हरकत में आए और काम रोकवा दिया। लेकिन, जैसे ही पता चला कि यह इसरो की टीम का विशेष कार्य है, तो फिर से काम शुरू कराया गया।

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