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Bihar Land Survey: कर्मचारी की तलाश में परेशान हो रहे जमीन मालिक, कागज जुटाने में छूट रहे पसीने

सर्वे के लिए जरूरी कागजात जुटाने में जमीन वालों के पसीने छूट रहे हैं। इस कार्य के लिए कोई कागजात की कमी या अधूरा न रह जाए, इसको लेकर किसान राजस्व कर्मचारियों को खोजते फिर रहे हैं। वह उनकी तलाश में कभी पंचायत तो कभी उनके आवास और कभी अंचल कार्यालय की दौड़ लगा रहे हैं।

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तानThu, 12 Sep 2024 12:10 PM
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जमीन सर्वे का काम बिहार के सभी जिलों में जारी है। लेकिन इसके लिए जरूरी कागजात जुटाने में जमीन वालों के पसीने छूट रहे हैं। इस कार्य के लिए कोई कागजात की कमी या अधूरा न रह जाए, इसको लेकर किसान राजस्व कर्मचारियों को खोजते फिर रहे हैं। वह उनकी तलाश में कभी पंचायत तो कभी उनके आवास और कभी अंचल कार्यालय की दौड़ लगा रहे हैं। उनका कहीं एक जगह बैठकर काम करने का कोई स्थान निश्चित नहीं है। इसलिए किसान परेशान हैं।

कैमूर के खरेंदा के मनोहर गोंड बुधवार को राजस्व कर्मचारी के इंतजार में अंचल कार्यालय के पास बैठे हैं। पूछने पर बताया कि वह कर्मचारी की तलाश में दो दिन से इधर-उधर भटक रहे हैं। उन्होंने बताया कि परिमार्जन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। इस दौरान रसीद पर दो किसान के नाम अंकित करने की जगह एक ही का नाम कर्मचारी द्वारा अंकित किया गया। ऐसे में सर्वे का काम अधूरा रह जाएगा। इसलिए कर्मचारी के इंतजार में दो घंटा से यहां बैठा हूं।

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झाली के किसान बलदेव कहार ने बताया कि नाम हस्तानांतरण के लिए आंनलाइन आवेदन किया हूं। लेकिन अब तक उनका नहीं हुआ है। मैं कर्मचारी से मिलकर यह जानना चाहता हूं कि मेरा म्यूटेशन क्यों नहीं हो रहा है? कर्मचारी के आने क इंतजार में अंचल कार्यालय के बाहर बैठा हूं। यह चंद उदाहरण है। मनोहर व बलदेव की तरह अन्य कई किसान यहां परेशान दिख रहे हैं। अपना काम करानेवालों की यहां भीड़ लग रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि इन दिनों मौसम भी खराब रह रहा है। कामकाज छोड़कर राजस्व कर्मचारी की तलाश में वह यहां आ रहे हैं। उनकी मजदूरी मारी जा रही है और काम भी नहीं हो रहा है। तीखी धूप व बारिश के बीच गांव से यहां आना पड़ रहा है। कोई बाइक से तो कोई भाड़े के वाहन से आता है। ईंधन व भाड़े पर राशि खर्च होती है। हमारी परेशानी से किसी को मतलब नहीं है। अगर समय पर उनका काम हो जाता तो उन्हें कर्मचारियों की तलाश में इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। खेतीबारी के सीजन में उन्हें नाहक परेशान होना पड़ रहा है।

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