बिहार में जमीन सर्वे के दूसरे चरण के 18 जिलों के जिन 26786 मौजों में भूमि सर्वे का काम शुरू किया गया है, उनमें 70 फीसदी से अधिक मौजों में तेरीज लेखन का काम पूर्ण कर लिया गया है। शेष मौजों में इस माह के आखिर तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा।
बिहार में चल रहे जमीन सर्वे में फिर से रुकावट आ गई है। 21 फरवरी तक ऑनलाइन दस्तावेज और वंशावली जमा करने की प्रक्रिया बंद हो गई है। बताया जा रहा है कि सर्वर में समस्या आना के कारण राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने फैसला लिया है।
वर्तमान में राजस्व विभाग की कवायद गलत ऑनलाइन जमाबंदी में सुधार से संबंधित है। वर्तमान में 4.39 करोड़ जमाबंदियों को ऑनलाइन किया जा चुका है। जमाबंदियों के डिजिटाइजेशन एवं उसे त्रुटिरहित करने के लिए 15 मार्च तक विशेष अभियान चलेगा
Bihar Land Survey: बिहार जमीन सर्वेक्षण को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने सर्वे में अब तक लगभग 18 लाख एकड़ सरकारी जमीन तलाशने में सफलता पाई है।
राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि किस्तवार और खानापूर्ति की प्रक्रिया के साथ भूमि सर्वेक्षण फरवरी के अंत से गति पकड़ेगा। फिर मसौदा जारी करेंगे। जिसके बाद सर्वेक्षण प्रक्रियाओं के अनुसार आपत्तियां और दावे मांगेंगे।
बिहार में चल रहे डिजिटल क्रॉप सर्वे में हुई एक गलती ने आरा के हजारों किसानों की नींद उड़ा दी। 14 प्रखंड़ों को 45 हजार प्लॉट की लोकेशन हिंद महासागर में दिखाई दे रही है। बताया जा रहा कि अक्षांश और देशांतर में हुई तकनीकी खराबी के कारण ये गड़बड़ी दिख रही है।
बिहार में जमीन सर्वे का काम खत्म होने के बाद राज्य में नए सिरे से जमीन की प्रकृति का निर्धारण किया जाएगा। जिससे पता लगाया जाएगा कि कौन-सी जमीन गैर-मजरुआ, गैर-मजरुआ आम, पुश्तैनी या रैयती है। सभी जिलों में जमीन के निबंधन रोक या छूट का निर्धारण संबंधित डीएम के स्तर से होता है।
बिहार में जमीन और संपत्ति के लिए रिश्तों के कत्ल की वारदातें लगातार हो रही हैं। ताजा मामला पूर्वी चंपारण और बेगूसराय जिलों से आई है। पूर्वी चंपारम के मोतिहारी में जमीन के विवाद में बड़े भाई ने अपने सहोदर भाई को गोली मार दी तो बेगूसराय में भाई ने बहन को मौत के घाट उतार दिया।
बिहार में चल रहे जमीन सर्वे की मियाद अब जुलाई 2026 तक बढ़ा दी गई है। पहले जुलाई 2025 तक भूमि सर्वेक्षण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।
दखल कब्जा जमीन पर है, लेकिन जमाबंदी और रसीद नहीं है और बिना साक्ष्य कोई किसी जमीन पर रह रहा है, तो स्वामित्व की स्थिति पुराने सर्वे के अनुसार स्पष्ट की जाएगी। अगर गैर-मजरूआ मालिक जमीन पर किसी ने मकान बना रखा है, तो पिछले खतियान के समय से जो रैयत इस पर बसे हुए व्यक्ति को स्वामित्व दिया जा सकता है।