राम के बाद श्याम भी गए; आरजेडी और लालू को कितना नुकसान, क्या है रजक का फ्यूचर प्लान?
लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्कर्ष के दौर में उनके सहयोगी राम-श्याम की जोड़ी मशहूर थी। इनमें से रामकृपाल यादव पहले ही भाजपा के साथ हो चुके हैं और एकबार फिर श्याम रजक ने भी लालू प्रसाद से किनारा कर लिया है। वे पहली बार 2009 में राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुए थे।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के करीबी रहे कद्दावर नेता श्याम रजक ने राष्ट्रीय जनता दल से इस्तीफा दे दिया है। पिछले पांच-छह माह में राजद छोड़ने वालों में श्याम रजक नौवें नेता हैं। चार दशक से बिहार की राजनीति में सक्रिय श्याम रजक का राजद से रिश्ता तोड़ना महज राजनीतिक घटनाक्रम नहीं है। इसका एक बड़ा संदेश भी है। श्याम रजक ने लालू को संबोधित अपने पत्र में कविता के अंदाज में चार पंक्तियां ही लिखी हैं लेकिन उसके गहरे निहितार्थ हैं। सीधे-सीधे राजद में अपने साथ धोखा होने का उन्होंने आरोप लगाया है। हालांकि श्याम रजक ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि उनका अगला कदम क्या होगा, लेकिन जदयू ने उनका स्वागत किया है। वहीं राजद का दावा है कि श्याम रजक के जाने का कोई असर पार्टी पर नहीं पड़ेगा।
लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्कर्ष के दौर में उनके सहयोगी राम-श्याम की जोड़ी मशहूर थी। इनमें से रामकृपाल यादव पहले ही भाजपा के साथ हो चुके हैं और एकबार फिर श्याम रजक ने भी लालू प्रसाद से किनारा कर लिया है। वे पहली बार 2009 में राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुए थे। करीब 11 साल जदयू में रहते खाद्य आपूर्ति, उद्योग समेत कई महकमों के मंत्री भी रहे। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले श्याम रजक ने एक बार फिर पार्टी छोड़कर श्याम रजक ने लालू प्रसाद यादव को बड़ा झटका दिया है।
श्याम रजक वर्ष 2020 में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बड़ी उम्मीद लेकर राजद में लौटे थे। सरकार में मंत्री रहते उन्होंने जदयू से इस्तीफा दिया था। तब तेजस्वी यादव ने खुद उन्हें दल में शामिल कराया और राजद का राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया। हालांकि अब भी वे इसी पद पर थे, लेकिन पार्टी में खुद को हाशिए पर पा रहे थे। पिछले विधानसभा चुनाव में उनके क्षेत्र फुलवारीशरीफ से उन्हें टिकट नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में उन्होंने समस्तीपुर से चुनाव लड़ने का मन बनाया लेकिन अवसर भी नहीं मिला। राज्यसभा चुनाव की बारी आई तो यहां भी उन्हें खाली हाथ ही रहना पड़ा। लगातार इन तीन धक्कों से आहत रजक ने अंतत राजद से रिश्ता तोड़ लिया। राजनीतिक जानकारों की मानें तो चंद्रशेखर के सहयोगी रहे श्याम रजक के पार्टी छोड़ने से राजद को नुकसान होगा। श्याम रजक राष्ट्रीय स्तर पर धोबी समाज के संगठन से जुड़े हैं और वंचित समाज में उनकी अपनी पैठ है।
इसके पहले ये सब छोड़ चुके हैं राजद
श्याम रजक के पूर्व वृषिण पटेल, पूर्व सांसद अशफाक करीम, पूर्व डीजीपी करुणा सागर और रामा सिंह राजद छोड़ चुके हैं। इनमें से अशफाक करीम अब जदयू में हैं। बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान चार विधायक, चेतन आनंद, नीलम देवी, संगीता कुमारी और प्रह्लाद यादव भी राजद छोड़ एनडीए के पाले में आ चुके हैं।
मेरे पास सारे विकल्प खुले रजक
श्याम रजक ने राजद से इस्तीफे के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि फुलवारीशरीफ का जो विकास होना चाहिए था, वो नहीं हुआ, इसका मुझे दुख है। यहां की जनता को भी इसका दुख है। मैं कल तक आरजेडी का सदस्य था। अब मैंने इस्तीफा दे दिया है, मेरे पास सारे विकल्प खुले हुए हैं। अपने विजन को मंजिल तक पहुंचाने के लिए किस दल के साथ काम करूं, इस पर विचार करुंगा।
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