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साल 2024 की आखिरी अमावस्या कब है? जानें स्नान-दान मुहूर्त, मंत्र,दान-सामग्री, पूजाविधि और नियम

  • Paush Amavasya2024 :हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2024 की आखिरी अमावस्या 30 दिसंबर को पड़ रही है। इस दिन शुभ मुहूर्त में स्नान-दान के कार्यों का बहुत महत्व है। साथ ही पितरों को प्रसन्न करने के लिए भी कई उपाय किए जाते हैं।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 23 Dec 2024 08:53 AM
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Paush Amavasya December 2024 : हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि के दिन स्नान-दान के कार्य बेहद महत्वपूर्ण माने गए हैं। इस दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। दृक पंचांग के अनुसार, साल 2024 की आखिरी अमावस्या 30 दिसंबर को पड़ रही है। इस दिन वृद्धि योग और ध्रुव योग का निर्माण भी हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वृद्धि योग में दान-पुण्य के कार्य कल्याणकारी माने गए हैं। इस दौरान धार्मिक कार्यों का दोगुना शुभ फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं साल 2024 की आखिरी अमावस्या की सही तारीख, स्नान-दान मुहूर्त, पूजाविधि, दान-सामग्री और नियम समेत सभी जानकारियां...

कब है आखिरी अमावस्या 2024?

दृक पंचांग के अनुसार, पौष माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआ 30 दिसंबर को सुबह 04: 01 ए एम पर होगा और अगले दिन 31 दिसंबर 2024 को सुबह 03: 56 ए एम पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 30 दिसंबर 2024, सोमवार को पौष अमावस्या मनाई जाएगी। सोमवार को अमावस्या पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा।

स्नान-दान मुहूर्त :

पौष अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदीं में स्नान करना शुभ माना जाता है। 30 दिसंबर 05:16 ए एम से 06:11 ए एम तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा। इसके बाद अभिजित मुहूर्त में 11:54 ए एम से 12:35 पी एम तक दान-पुण्य के कार्य उत्तम माने जाते हैं।

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पौष अमावस्या पूजाविधि:

पौष अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।

घर की साफ-सफाई के बाद पवित्र नदी में स्नान करें

अगर ऐसा संभव न हो, तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

साफ वस्त्र पहनें और लोटे में जल और काला तिल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

इसके बाद विष्णुजी की पूजा आरंभ करें।

भगवान विष्णु को फल,फूल,धूप,दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न-धन और वस्त्र का दान करें।

मंत्र : पौष अमावस्या के दिन विष्णुजी और पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जा सकता है।

1. ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय

2. ऊँ पितृ देवतायै नमः

3.ऊँ प्रथम पितृ नारायणाय नमः

दान सामग्री :

पौष अमावस्या के दिन अनाज, तिल, फल, गुड़,आंवला, चीनी, मिठाई, जूते, काले कपड़े, कंबल इत्यादि का दान करना उत्तम माना गया है। मान्यता है कि इन चीजों का दान पितर प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि और खुशहाली का वरदान देते हैं।

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इन नियमों का करें पालन :

पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदी में या गंगाजल से स्नान जरूर करें।

पितरों को तर्पण दें और क्षमतानुसार दान-पुण्य के कार्य करें।

इस दिन ब्राह्मणों को और गरीबों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।

पौष अमावस्या के दिन तामसिक भोजन का सेवन करने से बचें।

इस दिन गाय, कुत्ता और कौवे को भोजना करना शुभ माना गया है।

अमावस्या के दिन मौन व्रत रहें और अपशब्दों का इस्तेमाल करने से बचें।

मान्यता है कि अमावस्या के दिन तुलसी और बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।

पौष अमावस्या के दिन नए कार्यों की शुरुआत करने की मनाही होती है।

इस दिन मांगलिक कार्य करना भी वर्जित माना गया है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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