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Somvati Amavasya 2024 :वृद्धि योग में सोमवती अमावस्या, नोट कर लें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, दान-सामग्री और नियम

  • Somvati Amavasya 2024 Date : दृक पंचांग के अनुसार, साल 2024 की आखिरी अमावस्या 30 दिसंबर दिन सोमवार को है। इसलिए इसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा। इस दिन स्नान-दान के कार्य बेहद शुभ माने जाते हैं।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 28 Dec 2024 05:24 PM
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Somvati Amavasya 2024 : हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन स्नान-दान के कार्य पुण्य फलदायी होते हैं। इसके अलावा इस दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। दृक पंचांग के अनुसार, साल 2024 की आखिरी अमावस्या 30 दिसंबर दिन सोमवार को है। सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगी। यह दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए विशेष माना जाता है। पौष महीने में आने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या भी कहा जाता है। आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या की सही तिथि, शुभ मुहूर्त व योग, पूजाविधि, दान सामग्री और नियम...

पौष अमावस्या कब है?

दृक पंचांग के अनुसार, पौष माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 30 दिसंबर को सुबह 04:01 ए एम पर शुरू होगा और 31 दिसंबर को सुबह 03:56 ए एम पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 30 दिसंबर 2024 दिन सोमवार को पौष अमावस्या या सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त :

ब्रह्म मुहूर्त : 05:24 ए एम से 06:19 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या : 05:51 ए एम से 07:13 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त : 12:03 ए एम से 12:45 पी एम तक

विजय मुहूर्त : 02:07 पी एम से 02:49 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त : 05:32 पी एम से 05:59 पी एम तक

वृद्धि योग : 30 दिसंबर को रात 08 बजकर 32 मिनट तक वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान दान-पुण्य के कार्य शुभ माने जाते हैं। इसके अलावा इस दिन ध्रुव योग भी बन रहा है।

पूजाविधि :

पौष अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।

पवित्र नदी या पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।

साफ वस्त्र धारण करें और संभव हो,तो मौन व्रत रहें।

जल में काला तिल मिलाकर सूर्यदेव को अर्पित करें।

इसके बाद विष्णुजी और शिवजी की विधिवत पूजा करें।

पितरों का श्राद्धकर्म और तर्पण भी कर सकते हैं।

गरीबों,ब्राह्मण और जरुरतमंदों को भोजन कराएं।

अपने क्षमतानुसार दान-पुण्य के कार्यों में शामिल हों।

दान-सामग्री : पौष अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए काले तिल का दान कर सकते हैं। इसके अलावा गरीबों और जरुरतमंदों को अन्न,कंबल, गर्म कपड़े इत्यादि का दान कर सकते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन चावल और अनाज का दान करना भी पुण्य फलदायी माना गया है। इस दिन देवी-देवताओं की प्रतिमा के समक्ष घी या तेल का दीपक जरूर जलाएं।

नियम :

सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रख सकते हैं। इसके अलावा इस दिन शिवजी और पितरों के पूजन का विशेष महत्व है।

सोमवती अमावस्या किन पवित्र नदी में स्नान करें और अगर ऐसा संभव न हो, तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

सोमवती अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में दान-पुण्य के कार्य भी बेहद शुभ माने जाते हैं।

सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाना चाहिए।

इस दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें। आध्यात्मिक कार्यों में मन लगाएं।

अमावस्या के दिन नकारात्मक विचारों से दूर रहें। मन में सकारात्मक विचार लाएं। गॉसिप, आलोचना और अपमान से बचें।

सोमवती अमावस्या के दिन वाद-विवाद और लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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