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लक्ष्मी-नारायण योग में सावन पूर्णिमा, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और दान का महत्व

  • Sawan Purnima 2024 Shubh Sanyog : इस साल 19 अगस्त को सावन पूर्णिमा पर शोभन योग समेत 3 शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। जिससे इस शुभ मौके पर विष्णुजी-मां लक्ष्मी की पूजा से बेहद शुभ फल प्राप्त होंगे।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तानMon, 19 Aug 2024 04:42 AM
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Sawan Purnima 2024 : हिंदू धर्म में किसी माह की पूर्णिमा तिथि का बड़ा महत्व है। इस दिन स्नान-दान के कार्यों का बड़ा महत्व है। यह विशेष दिन जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णुजी की पूजा-आराधना के लिए समर्पित है। हर साल सावन माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि के दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षासूत्र बांधती हैं और उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं। वहीं, भाई भी अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन लेते हैं। इस बार सावन पूर्णिमा पर बेहद शुभ योग बन रहे हैं। जिससे इस शुभ दिन पर विष्णुजी की पूजा-उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आएगी। आइए जानते हैं सावन पूर्णिमा की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पुजाविधि और उपाय...

सावन पूर्णिमा 2024 : दृक पंचांग के अनुसार,19 अगस्त को सुबह 03 बजकर 04 मिनट पर पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो रहा है, जिसका समापन 19 अगस्त 2024 को रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार,19 अगस्त को ही सावन पूर्णिमा और रक्षाबंधन मनाया जाएगा।

चंद्रोदय का समय : सावन पूर्णिमा के दिन शाम 06:56 पीएम पर चंद्रोदय होगा। इस समय आप चंद्रदेव को जल अर्घ्य दे सकते हैं और उनकी पूजा कर सकते हैं।

स्नान-दान मुहूर्त : इस दिन सुबह -4 बजकर 32 मिनट से लेकर 05 बजकर 20 मिनट तक स्नान-दान के कार्यों का शुभ मुहूर्त का निर्माण होगा।

पूर्णिमा तिथि पर बनेंगे कई शुभ संयोग : ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस साल सावन पूर्णिमा पर शोभन योग और करण योग का निर्माण होगा। इसके साथ ही सिंह राशि में बुध और शुक्र की उपस्थिति से लक्ष्मी-नारायण योग का भी निर्माण होगा। साथ ही सावन पूर्णिमा पर श्रवण नक्षत्र का संयोग बनेगा। इस शुभ योग में विष्णुजी और मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में खुशियों का आगमन होता है।

सावन पूर्णिमा की पूजाविधि :

सावन पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ-सुथरे कपड़े धारण करें। इस बार सोमवार के दिन सावन पूर्णिमा पड़ रहा है। इसलिए इस दिन सावन सोमवार का पांचवा और आखिरी व्रत भी रखा जाएगा। इस खास मौके पर लक्ष्मी-नारायण के साथ विष्णुजी की पूजा-उपासना से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इसलिए पूजा के लिए फल, फूल,मिठाई, बेलपत्र, धूप-दीप, गंगाजल, समेत सभी पूजा सामग्री एकत्रित कर लें। सबसे पहले एक छोटी चौकी की शिव परिवार और लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा स्थापित करें। सभी देवी-देवताओं को फल, फूल,धूप-दीप और नेवैद्य अर्पित करें। अब शिव-गौरी और लक्ष्मी नारायण समेत सभी देवी-देवता की आरती उतारें। शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं। इसके बाद शाम को चंद्रोदय के समय चंद्रदेव को जल अर्पित करें।

सावन पूर्णिमा पर दान-सामग्री :

सावन पूर्णिमा पर आर्थिक समस्याओ से छुटकारा पाने के लिए दूध या दही का दान कर सकते हैं।

वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए सुहागिनें 16 श्रृंगार की सामग्री दान कर सकती हैं।

वहीं, इस शुभ मौके पर लक्ष्मी-नारायण के पूजन के साथ गरीबों और जरुरतमंदों को अन्न, कपड़े और धन का दान करना चाहिए। मान्यता है कि इससे जीवन में धन की कमी नहीं रहती है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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