Mahalaya 2024:महालया आज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त,महत्व समेत अन्य डिटेल्स
- Mahalaya 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि की शुरुआत से पहले महालया मनाया जाता है। इस दिन को महालया अमावस्या भी कहता है। इस दिन घर में सभी पितरों के लिए तर्पण व श्राद्ध किया जाता है और मां दुर्गा की पूजा की जाती हैं।
Mahalaya 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि से एक दिन पहले महालया पर्व का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आदिशक्ति मां दुर्गा का धरती पर आगमन होता है। इस साल आज यानी 2 अक्टूबर को महालया है और कल 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी। महालया के दिन देवी भागवती का आह्वान किया जाता है। इसके अगले दिन से नवरात्रि शुरू होती है। महालया पर्व का दिन सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, यह पितरों की आत्माशांति और मोक्ष दिलाने लिए आखिरी दिन होता है। इस दिन श्राद्ध व तर्पण पाकर पितर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हुए पितृ लोक वापस चले जाते हैं। वहीं, इस दिन मां दुर्गा भी कैलाश पर्वत से विदा लेती हैं और धरती लोक पर भ्रमण के लिए आती हैं। आइए जानते हैं महालया अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और महत्व समेत अन्य डिटेल्स...
महालया : हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या मनाया जाता है। इसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 01 अक्टूबर को रात 09 बजकर 34 मिनट पर हो चुकी है। जिसका समापन 02 अक्टूबर की देर रात 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार,2 अक्टूबर को महालया मनाया जाएगा।
महालया पर्व क्यों खास है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महालया अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध कर्म करने के बाद वह पितृ लोक लौट जाते हैं। साथ ही इस दिन देवी भगवती पर धरती पर भ्रमण के लिए निकलती हैं। धार्मिक मान्यता है कि महालया अमावस्या के दिन मां दुर्गा की मूर्ति को अंतिम रूम दिया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के आगमन पर स्वागत करने के लिए पूजा पंडाल को सजाने काम शुरू कर दिया जाता है। मान्यता है कि अश्विन माह के सर्व पितृ अमावस्या तिथि के दिन ही देवताओं ने अत्याचारी राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए देवी भगवती से प्रार्थना की थी, तब मां दुर्गा ने अगले दिन अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को धरती पर मां दुर्गा के रूप में अवतरित होकर नौ दिनों तक नौ रूपों में कठिन तपस्या करने के बाद महिषासुर का वध किया था और उसके अत्याचार से देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। इसलिए दुर्गा पूजा के आरंभ से पहले महालया पूजा का बड़ा महत्व है।
महालया के दिन क्या करें ?
पितरों का श्राद्ध व तर्पण : महालया अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध व तर्पण जरूर करें और उन्हें स्मरण करते हुए सम्मानपूर्वक विदा करें।
पीपल के पेड़ की पूजा : सर्व पितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा अति शुभ मानी जाती है। इस दिन पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और वृक्ष की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
महिषासुर मर्दिनी का पाठ करें: महालया के दिन सायंकाल में दीपक प्रज्ज्वलित करें। देवी दुर्गा की विधिवत पूजा करें और महिषासुर मर्दिनी का पाठ करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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